सुंदरता की असली पहचान क्या है? यह सवाल सालों से चर्चा का विषय रहा है। कई लोगों के लिए यह गोरी त्वचा है, तो कई पतला फिगर कहते हैं। हालांकि, हर कोई इसे अपनी पसंद अनुसार जाहिर करता है। लेकिन आज भी दुनियामें ऐसी जनजातियां या लोगों का समूह है, जो इन पैमानों के बिल्कुल विपरित है। चलिए जानते हैं दुनिया भर में क्या है सुंदरता से जुड़े रिवाज या पैमाने।
म्यांमार में कायन लोगों की पदुंग महिलाएं गले में कॉइल रिंग्स पहनती हैं। पहली बार 5-8 साल की उम्र में यह रिंग पहनाई जाती है। यहां लंबी गर्दन को खूबसूरती का प्रतीक माना जाता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ इन रिंग की गिनती भी बढ़ जाती है।
45 साल तक महिलाएं 10 कॉइल रिंग पहनती हैं, जिसका वजन करीब 15 किलो होता है। कहा जाता है कि जितनी बड़ी गर्दन उनकी उन्हें उतना ही अच्छा पति मिलेगा।
पुराने समय में चीन की महिलाओं की सुंदरता को उनके छोटे पैरों से देखी जाती है। लेकिन इसके लिए उन्हें कई जतन भी करने पड़ते थे। यानी इसमें महिलाओं के पैर के आकार को बदला जाता था, जिसके लिए 5 साल की उम्र से उनके पैरों को बाधंना शुरू कर दिया जाता था। इस रिवाज को फूट बाइडिंग या लोट्स फूट कहा जाता था।
इसके लिए लोट्स शूज भी बनाए जाते थे। यानी पैरों का आकार 2 फीट से ज्यादा नहीं होना चाहिए। पैर सॉफ्ट, सिमेट्रिकल और फ्रेग्नेंट होने चाहिए। यहां बड़े पैरों को अच्छा नहीं माना जाता था। हालांकि, कुछ समय बाद इस पर बैन लगा दिया था। लेकिन आज भी आपको पुरानी महिलाएं इस ब्यूटी ट्रेडिशन को फॉलो करती हुई नजर आ सकती हैं।(जानें शादी से जुड़े अजीब रिवाज)
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मुर्सी के महिलाओं के लिए खूबसूरती का मतलब बड़े होंठ हैं। लेकिन अब आप सोच रहे होंगे इसमें कौन-सी नई बात है। पर आपको बता दें कि यहां होंठों को बढ़ा करने के लिए सर्जरी नहीं बल्कि इनमें मिट्टी की प्लेट लगाई जाती है। इसे उनकी पहचान और खूबसूरती के रूप में देखा जाता है। (महिलाएं पैर की उंगली में बिछिया क्यों पहनती हैं?)
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दक्षिण केन्या की मसाई जनजाति की महिलाओं की खूबसूरती का पैमाना उनके बड़े कान के छेद हैं। वह कलरफुल शॉल और कपड़ों के साथ अलग प्रकार की ईयररिंग्स पहनती हैं। उनके ईयरलॉब बेहद बड़े होते हैं, जिनमें वह डैंगलिंग ईयरिंग्स पहनती हैं। वह अपने कान के छेद को बड़ा करने के लिए दांत, पत्थर और लकड़ी जैसी भारी चीजों का इस्तेमाल करती हैं। यहां की महिलाएं ईयररिंग्स से मैच करता हुए हेडस्कार्फ़ और जूता पहनती हैं। (भारत में पीरियड्स से जुड़े रिवाज)
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