Weapons Of Arjuna: इन भयंकर अस्त्रों के कारण धनुर्धर अर्जुन ने जीता था महाभारत युद्ध

आज हम आपको उन महा भयंकर अस्त्रों के बारे में बताने जा रहे हैं जो महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के पास थे और उन्हीं के बल पर वह विजय हुए थे।  

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Arjun Ke Shastra: ग्रंथों में ऐसा वर्णित है कि महाभारत का युद्ध बहुत ही भयंकर और विनाशकारी था। युद्ध के भयावह होने के पीछे का कारण था युद्ध में इस्तेमाल होने वाले भयंकर और दिव्य अस्त्र-शास्त्र जो हर एक योद्धा के पास थे।

हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आज हम आपको इसी कड़ी में विश्व के महान धनुर्धर अर्जुन के अस्त्रों एवं शस्त्रों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बल पर अर्जुन ने महाभारत का युद्ध जीता था।

ब्रह्मास्त्र

ब्रह्मास्त्र को बहुत ही विनाशकारी और सर्वश्रेष्ठ शस्त्र माना जाता है। ब्रह्मास्त्र के प्रयोग से न सिर्फ शत्रु बल्कि संसार भर का विनाश संभव था। इसी कारण से इस अस्त्र के प्रयोग के कई कड़े नियम थे जिनमें एक यह भी था कि इसका इस्तमाल तभी किया जा सकता है जब योद्धा के पास कोई और विकल्प बचा ही न हो। माना जाता है कि अर्जुन ने ब्रह्म तपस्या कर इस अस्त्र को ब्रह्मा (कैसे हुआ ब्रह्मा का जन्म) से प्राप्त किया था।

पाशुपतास्त्र

पाशुपतास्त्र भगवान शिव का अस्त्र माना जाता है। इसे भगवान शिव ने ही स्वयं अर्जुन से प्रसन्न हो कर उन्हें दिया था। इस अस्त्र की खास बात यह थी कि इसे आंख, दिल और शब्दों मात्र से भी नियंत्रित किया जा सकता था। महाभारत ग्रंथ के अनुसार, अर्जुन ने इसी अस्त्र से ‘जयद्रथ’ का वध किया किया था। इसके अलावा, अर्जुन के पास भगवान शिव का ‘रौद्रास्त’ भी था।

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व्रज्रास्त

अर्जुन इंद्र देव के पुत्र थे। इसी कारण से उन्हें न सिर्फ इंद्र देव की शक्तियां प्राप्त थीं बल्कि इंद्र देव के कई दिव्यास्त्र भी उन्हें मिले थे। जिनमें वज्र अस्त्र, इन्द्र अस्त्र, महेंद्र अस्त्र और शक्ति अस्त्र समेत कई अन्य अस्त्र भी शामिल हैं। इनमें सबसे घातक शक्ति अस्त्र था जिसका प्रतिरूप इंद्र देव ने कर्ण को भी महाभारत युद्ध के दौरान उनके कवच-कुंडल के बदले प्रदान किया था।

यमदंड अस्त्र

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यमदंड अस्त्र वह अस्त्र था जिसके प्रयोग से किसी के भी प्राण हरे जा सकते थे। इस अस्त्र का ज्ञान सिर्फ अर्जुन को ही यमराज से प्राप्त हुआ था। हालांकि श्री कृष्ण के आदेश पर अर्जुन ने इस अस्त्र का प्रयोग महाभारत युद्ध में नहीं किया था। क्योंकि इस अस्त्र के प्रयोग का अर्थात था कि विधि के विधान के विपरीत किसी को मृत्यु प्रदान करना।

वरुडपास अस्त्र

अजुन के पास वरुडपास अस्त्र भी था। यह अस्त्र नागपाश अस्त्र के विरुद्ध इस्तेमाल किया जाता था। इस अस्त्र के प्रयोग से नागों के प्रभाव में आने से गरुड़ देव स्वयं रक्षा के लिए आते थे। मान्यता है कि जब अर्जुन और नागों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया था और अर्जुन के खून के प्यासे हो गए थे नाग तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह अस्त्र अपनी रक्षा के लिए दिया था।

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आदित्य अस्त्र

आदित्य अस्त्र भगवान शिव (भगवान शिव के आगे क्यों नहीं लगता श्री) का अस्त्र है जो मंत्रों की शक्ति से चलता था। इस अस्त्र को मंत्रों जाप कर जिस भी व्यक्ति का नाम लिया जाता था यह अस्त्र उस व्यक्ति के पास पहुंच उसका विनाश कर देता था। इस अस्त्र को स्वयं भगवान सूर्य ने ही बनाया था और अर्जुन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें प्रदान किया था। इस अस्त्र को दुर्योधन ने भी पाने की कोशिश की थी।

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गांडीव

अर्जुन संसार के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माने जाते हैं। ऐसे में उनका मुख्य शस्त्र था उनका धनुष जिसका नाम गांडीव था। माना जाता है कि अर्जुन का गांडीव उनकी सभी बार्तें सुनता व मानता था और उनके कह अनुसार स्वयं ही दिव्य अस्त्रों को प्रकट कर धारण कर लेता था जिससे अर्जुन बिना देरी किये अपने शत्रुओं पर प्रहार कर विजय प्राप्त कर लेते थे।

तो ये थे वो अस्त्र-शस्त्र जिनका अर्जुन ने महाभारत युद्ध में प्रयोग कर जीत हासिल की थी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Pinterest, Pexels

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