मुगल इतिहास के सबसे क्रूर शासक का नाम जब भी याद किया जाता है, तो औरंगजेब का नाम सबसे ऊपर आता है। औरंगजेब ने भारत में 1658 से लेकर 1707 तक शासन किया था। औरंगजेब का शासनकाल कठोर इस्लामी कानून, आक्रामक सैन्य अभियानों और धार्मिक असहिष्णुता के लिए जाना जाता है। भले ही, उसने अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए कुछ हिंदू राजाओं से संधियां की थी और उन्हें अपने दरबार में जगह दी थी, लेकिन उसका बर्ताव हिंदुओं के प्रति हमेशा कठोर रहा था। आज हम इस आर्टिकल में औरंगजेब के क्रूर शासक होने की कहानी और हिंदू पर किए गए उसके जुल्मों के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
मुगल सम्राट शाहजहां और मुमताज के तीसरे बेटे का नाम औरंगजेब था, जिसका जन्म 1618 में हुआ था। औरंगजेब एक कुशल योद्धा और प्रशासक था, लेकिन उसने सत्ता हासिल करने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाया था। उसने अपने पिता शाहजहां को बंदी बना लिया था और अपने भाइयों को मरवाकर सिंहासन पर कब्जा किया था।
औरंगजेब को उसकी कठोर नीतियों और धार्मिक असहिष्णुता की वजह से क्रूर शासक कहा जाता है। जहां एक तरफ अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता बनाए रखने की कोशिश की थी, वहीं दूसरी तरफ औरंगजेब ने सख्त इस्लामी कानून लागू कर दिए थे और हिंदुओं पर कई प्रतिबंध भी लगाए थे। उसने कई हिंदू त्योहारों को बंद करवा दिया था। अपने शासनकाल में उसने मंदिरों को नष्ट कराया, जजिया कर लगाया, देवी-देवताओं को अपमानित किया। औरंगजेब ने करीब 50 सालों तक भारत पर सख्ती से शासन किया। हालांकि, औरंगजेब की कड़ी नीतियों और सख्त रवैये ने मुगल साम्राज्य को पतन की तरफ ले जाना शुरू कर दिया था।
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मुगल बादशाह औरंगजेब की नीतियां हिंदुओं के प्रति कठोर थीं, जिससे समाज में असंतोष और विद्रोह भड़क उठा था। उसने अपने शासनकाल में हिंदुओं के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए थे।
साल 1584 में मुगल सम्राट अकबर ने जजिया कर को खत्म कर दिया था, जिससे हिंदुओं को राहत मिली थी। लेकिन, 1679 में औरंगजेब ने दुबारा हिंदुओं से जजिया कर वसूलना शुरू दिया । इससे समाज में गहरी नाराजगी फैल गई और विरोध शुरू हो गया। विरोध प्रदर्शन कर रही भीड़ को क्रूर शासक ने हाथियों से कुचलवा दिया था। औरंगजेब ने साफ आदेश दिया था कि जजिया कर गैर-मुसलमानों से लेना जरूरी है। उसने निर्देश दिया था कि बाकी करों में छूट दी जा सकती है, लेकिन जजिया कर जरूर लिया जाना चाहिए। अगर इसमें किसी भी तरह की छूट दी गई, तो यह इस्लाम के खिलाफ होगा।
औरंगजेब के शासनकाल में भारत में कई हिंदू मंदिरों को तोड़ने के आदेश दिए गए थे, जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर, केशव देव मंदिर और विश्वेश्वर मंदिर शामिल थे। इन मंदिरों को नष्ट करके उसने वहां पर मस्जिदों का निर्माण करवाया था। इससे हिंदुओं में भारी आक्रोश और अंसतोष फैल गया था।
औरंगजेब ने हिंदू त्योहारों और सांस्कृतिक परंपराओं पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे। उसने 1665 में दीवाली के त्योहार को अंधविश्वास बताते हुए, बाजारों को रोशन करने पर रोक लगा दी थी। वहीं होलिका दहन के लिए लकड़ी इकट्ठा करने और होली खेलने को अभद्रता बताते हुए सख्त नियंत्रण किया था। इतना ही नहीं, औरंगजेब ने 1695 में एक फरमान जारी किया था, जिसमें राजपूतों को छोड़कर बाकी हिंदुओं के लिए हाथी, घोड़े और पालकी की सवारी करने की मनाही थी। साथ ही, हिंदुओं के हथियार रखने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
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औरंगजेब ने हिंदू शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने के लिए कई कदम उठाए थे। उसने अपने शासनकाल में कई हिंदू स्कूलों और शिक्षण संस्थानों को नष्ट करवा दिया था या उन्हें मदरसों में तब्दील करवा दिया था। भारत के संस्कृत स्कूलों और गुरुकुलों पर ताले पड़वा दिए थे।
औरंगजेब ने अपने शासनकाल में केवल हिंदुओं को ही नहीं, बल्कि सिखों को भी प्रताड़ित किया था। 1675 में नौवें सिख गुरु तेग बहादुर की हत्या हुई थी। जब उन्होंने धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाई और इस्लाम कुबूल करने से मना कर दिया था, तो उन्हें दिल्ली में मौत के घाट उतार दिया गया था। इस घटना के बाद से मुगलों और सिख समुदाय के बीच दुश्मनी पैदा हो गई थी।
इतिहासकार जदुनाथ सरकार के मुताबिक, औरंगजेब जबरन इस्लाम कबूल कराने के लिए दो तरीके अपनाता था। पहला लालच और दूसरा सजा। जो लोग इस्लाम कुबूल कर लेते थे, उन्हें हाथी पर बैठाकर धूमधाम से जुलूस निकाला जाता था। उन लोगों को नौकरी दी जाती थी और वेतन दिया जाता था। वहीं, दूसरी तरफ जो लोग इस्लाम कुबूल करने से इनकार कर दिया करते थे, उन्हें प्रताड़ित किया जाता था और उनकी हत्या करवा दी जाती थी।
औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज के साम्राज्य में मराठों का कड़ा विरोध किया था। शिवाजी ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। औरंगजेब ने शिवाजी को बुलाकर धोखे से कैद कर लिया था, लेकिन वह चतुराई के साथ जेल से भाग निकले थे। वहीं, शिवाजी के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज को भी षड्यंत्र रचकर औरंगजेब ने अपना कैदी बनाया था। उसने छावा को इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया था। इसके बाद, क्रूर शासक ने संभाजी महाराज को शारीरिक प्रताड़ना दी थी और आखिरी में उन्हें मौत का घाट उतार दिया था।
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Image Credit - wikipedia, jagran
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