ऐसा माना जाता है कि घर में हर एक वस्तु यदि वास्तु के नियमों के अनुसार रखी होती है तभी घर में रहने वाले लोगों का कल्याण होता है। ऐसा माना जाता है कि घर का हर एक स्थान वहां निवास करने वालों के लिए बहुत ज्यादा मायने रखता है। मुख्य रूप से जब बात घर के मंदिर की होती है, तब यह वह स्थान माना जाता है जिसमें व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत करता है और दिनभर के बाद रात में भी शांति की तलाश में घर के उसी जगह में जाता है और भगवान से प्रार्थना करता है। इसलिए ऐसी मान्यता है कि घर के मंदिर का वास्तु वहां रहने वालों के लिए सबसे ज्यादा महत्व रखता है।
यही नहीं मंदिर में रखी हर एक चीज वास्तु के नियमों के अनुसार हो तब घर में खुशहाली आती है। वहीं यदि मंदिर में कोई भी चीज यदि वास्तु के अनुसार न हो तो ये भी घर के वास्तु दोष का कारण हो सकता है। जिस प्रकार मंदिर की सही दिशा आपके घर को कई बाधाओं से बचा सकती है, उसी प्रकार मंदिर में रखी पूजा थाली के लिए भी कुछ वास्तु के नियम बनाए गए हैं। आइए Life Coach और Astrologer Sheetal Shapaira से जानें पूजा थाली से जुड़े वास्तु नियमों के बारे में।
पूजा की थाली क्या होती है
पूजा की थाली मंदिर में इस्तेमाल की जाने वाली ऐसी तश्तरी होती है जिसमें आप पूजन सामग्री रखने के साथ इसे आरती में भी इस्तेमाल करते हैं। सभी प्रकार के पूजा पाठ और त्योहारों में इस थाली का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पूजा -पाठ में ऐसी कोई भी थाली का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जिसका हम आमतौर पर घर के अन्य स्थानों पर जैसे खाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। वास्तु की मानें तो पूजा की थाली एक विशेष धातु की हो तो सबसे अच्छी मानी जाती है और जब आप इसे घर के मंदिर में रखते हैं तो सही दिशा का ध्यान रखना चाहिए।
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किस धातु की होनी चाहिए पूजा की थाली
पूजा की थाली आमतौर पर कुछ विशेष धातुओं की होनी चाहिए। वास्तु और ज्योतिष के अनुसार सोने, चांदी, पीतल और तांबे की पूजा थाली सबसे ज्यादा शुभ मानी जाती है। सोना और पीतल गुरु ग्रह की धातुएं होने के कारण शक्ति प्रदान करता हैं और घर की सुख समृद्धि का कारक होती हैं। आप पूजा में स्टील की थाली (करवा चौथ की थाली तैयार करने का तरीका) का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। लेकिन कभी भी लोहे या एलुमिनियम की थाली का इस्तेमाल पूजा में न करें।
मंदिर में किस स्थान पर रखें पूजा की थाली
वास्तु के अनुसार घर में मंदिर एक निश्चित दिशा में रखा जाता है। जिस प्रकार मंदिर घर की उत्तर पूर्व दिशा में यानी ईशान कोण में होना चाहिए उसी प्रकार पूजा की थाली मंदिर के उत्तरी भाग में रखी जाती है। पूजा की थाली को रखने का सबसे अच्छा स्थान मंदिर ही होता है। इसे आप मंदिर के आस-पास रखें और इसे नियमित रूप से साफ़ करनी चाहिए। वास्तु की मानें तो कभी भी गन्दी थाली में पूजा नहीं करनी चाहिए और भगवान को भोग भी गंदी थाली में न चढ़ाएं। पूजा की थाली आप घर के किसी भी दक्षिण कोने में न रखें। ऐसा करना घर में अकारण ही अशांति लाता है।
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इस प्रकार अगर आप घर में खुशहाली बनाए रखना चाहती हैं तो आपको पूजा की थाली से जुड़े वास्तु नियमों को भी जरूर फॉलो करना चाहिए। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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