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Nagchandreshwar Temple Ujjain: पूरे साल में केवल एक बार खुलता है इस मंदिर का द्वार, पढ़ें पौराणिक कथा

नागचंद्रेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह साल में केवल एक बार ही खुलता है। आइए इस लेख में इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-04-01, 10:07 IST

उज्जैन, मध्य प्रदेश भारत का एक प्राचीन शहर है, जो अपने धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इसी मंदिर के तीसरे खंड पर नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। जो साल में केवल एक दिन नागपंचमी के अवसर पर ही खुलता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसके पीछे पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हैं। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

नागचंद्रेश्वर मंदिर का इतिहास क्या है?

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नागचंद्रेश्वर मंदिर को लेकर इतिहास यह है कि इस मंदिर को परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के आसपास बनवाया था। यह मंदिर नागदेवता को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि नागराज तक्षक यहां स्वयं निवास करते हैं और नागपंचमी के दिन प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होते हैं।

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साल में एक बार खुलती है नागचंद्रेश्वर मंदिर

नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में सिर्फ एक बार खुलता है, इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। एक मान्यता के अनुसार, नागराज तक्षक ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अमरता का वरदान दिया और कहा कि वे नागपंचमी के दिन इस मंदिर में निवास करेंगे। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि नागपंचमी के दिन नागराज तक्षक के दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर में नागों की अपार शक्ति होने के कारण, इस शक्ति के दुरुपयोग से बचने के लिए आम दिनों में इस मंदिर को बंद रखा जाता है। केवल नागपंचमी के दिन ही विशेष पूजा-अर्चना के साथ मंदिर के कपाट खुलते हैं, जिससे श्रद्धालु नाग देवता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

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नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन और पूजन से दूर होता है कालसर्प दोष

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नागचंद्रेश्वर मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन और पूजन करने से कालसर्प दोष दूर होता है। इस मंदिर में दर्शन करने से सभी प्रकार के सर्प दोषों से मुक्ति मिलती है। नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को भगवान शिव और नाग देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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