
19 दिसंबर 2025 को पौष माह की अमावस्या है जिसे धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दिन का पंचांग इसलिए खास है क्योंकि यह शुक्रवार के दिन पड़ रही है जिससे इसका महत्व और बढ़ गया है। अमावस्या तिथि का आरंभ सुबह से ही हो जाएगा और इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रभाव रहेगा। इस तिथि की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पितरों की शांति, तर्पण और दान-पुण्य के लिए साल के सबसे शुभ दिनों में से एक मानी जाती है। पौष मास को 'छोटा पितृपक्ष' भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और सूर्य देव को अर्घ्य देने से कुंडली के दोष समाप्त होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। ऐसे में आइये जानते हैं एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी से आज का पंचांग।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| पौष कृष्ण अमावस्या (दोपहर 03:09 बजे तक)/शुक्ल प्रतिपदा | ज्येष्ठा | शुक्रवार | शूल | नाग |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 07:09 बजे |
| सूर्यास्त | शाम 05:28 बजे |
| चंद्रोदय | सुबह 07:11 बजे |
| चंद्रास्त | शाम 05:25 बजे |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 05:19 बजे से सुबह 06:14 बजे तक |
| अभिजीत मुहूर्त (स्नान-दान के लिए) | दोपहर 11:58 बजे से दोपहर 12:39 बजे तक |
| विजय मुहूर्त (पितृ तर्पण के लिए) | दोपहर 02:01 बजे से दोपहर 02:43 बजे तक |
| अमृत काल | सुबह 08:34 बजे से सुबह 10:14 बजे तक |

| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | सुबह 11:00 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक |
| यमगंड | दोपहर 02:53 बजे से शाम 04:10 बजे तक |
| गुलिक काल | सुबह 08:26 बजे से सुबह 09:43 बजे तक |
पौष माह की अमावस्या जिसे 'पौष अमावस्या' कहा जाता है, धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र मानी जाती है। 19 दिसंबर 2025 को पड़ने वाली इस अमावस्या पर मुख्य रूप से पितरों की शांति के लिए व्रत रखा जाता है। चूंकि पौष मास को सूर्य देव की उपासना का महीना माना जाता है, इसलिए इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और भगवान विष्णु व सूर्य नारायण की विशेष पूजा करते हैं। इसे 'छोटा पितृपक्ष' भी कहा जाता है, इसलिए लोग इस दिन पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म और तर्पण करते हैं ताकि उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहे और घर की बाधाएं दूर हों।
इस अमावस्या पर जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति के लिए कुछ सरल उपाय करना लाभकारी होता है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों के नाम से जल में काले तिल मिलाकर अर्पण (तर्पण) करना चाहिए। साथ ही, पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और जरूरतमंदों को सफेद वस्तुओं जैसे चावल, दूध, चीनी या गर्म कपड़ों का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। अमावस्या की शाम को घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और लक्ष्मी जी का आगमन होता है।
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