क्‍या आपको भी मेट्रो में मिलती हैं ऐसी महिलाएं ?

दिल्‍ली मेट्रो का महिला कोच कई मायनों में खास है। यह कोच रौनक और रोचकताओं दोनों से भरा हुआ है। इसमें सफर करना हर महिला को एक अलग एक्‍सपीरियंस देता है। मगर एक्‍सपीरियंस के साथ ही इस कोच में कई टाइप की महिलाएं रोज ही टकरा जाती हैं।

Types of women travel in delhi metro and their tantrums     ()

दिल्‍ली मेट्रो, इसे दिल्‍ली की लाइफलाइन कहा जाता है। जिस तरह मुंबई की लोकल अगर ए‍क दिन न चले तो मुंबई ठप हो जाती है कुछ वैसा ही हाल दिल्‍ली मेट्रो का है। ऑफिस जाना हो या पार्टी में दिल्‍ली मेट्रो हर जगह दिल्‍लीवासियों को कम समय में पहुंचा देती है। इस मेट्रो की सबसे बड़ी खासियत इसका महिला कोच है। यह कोच कई मायनों में खास है। यह कोच रौनक और रोचकताओं दोनों से भरा हुआ है। इसमें सफर करना हर महिला को एक अलग एक्‍सपीरियंस देता है। मगर एक्‍सपीरियंस के साथ ही इस कोच में कई टाइप की महिलाएं रोज ही टकरा जाती हैं। मैं खुद बीते 6 सालों से दिल्‍ली मेट्रो की लॉयल कस्‍टमर हूं और महिला कोच दिल्‍ली में मेरा तीसरा ठिकाना है। तीसरा इसलिए क्‍योंकि अगर मैं घर या ऑफिस में न पाई जाउं तो निश्चित ही मैं मेट्रो में सफर करती मिल जाउंगी। खैर दिल्‍ली मेट्रो से मैंने अब तक दिल्‍ली के हर रास्‍ते नाप लिए हैं और आजकल रोज मयूर विहार एक्‍सटेंशन मेट्रो स्‍टेशन से डीएमआरसी की नई नवेली मजंटा लाइन के मेट्रो स्‍टेशन ओखला एनएसआईसी का सफर कर रही हुं। इतने सालों में मेट्रो में कई बदलाव हुए। किराया बढ़ा, कोच बड़़े हुए, नई मेट्रो लाइने खुल गईं मगर मेट्रो के महिला कोच में सफर करने वाली महिलाओं के स्‍वभाव में जरा भी फर्क नहीं पड़ा। पड़े भी क्‍यों भला सफर में सफर करना और दूसरे लोगों को कराना इनकी पुरानी आदत जो है। मैं इस आर्टिकल में दिल्‍ली मेट्रो में सफर करने वाली महिलाओं की ऐसी ही आदतों का जिक्र करुंगी, जिससे आप भी कभी न कभी रु ब रू हुई होंगी और नहीं हुईं तो हो जाएंगी।

Types of women travel in delhi metro and their tantrums     ()

सेल्‍फी क्‍वीन

मेट्रो में कितनी भी भीड़ हो। महिलाएं एक दूसरे से चिपकी हुई हों। मगर सेल्‍फी क्‍वीन टाइप महिलाओं को इन सबसे मतलब नहीं होता। वो इस कंडीशन में भी अपने लिए सेल्‍फी लेने की वजह खोज लेती हैं। भीड़ में धक्‍का लग जाए और तस्‍वीर बिगड़ जाए तो लड़ाई करने में भी ऐसी महिलाएं पीछे नहीं रहतीं।

दूसरों पर नजर रखने वाली

हमें यह बात स्‍कूल में ही सिखा दी जाती है कि दूसरे की इजाजत लिए बगैर आप उसकी किताब में मत झांकिए मगर मेट्रो में यह रूल कुछ महिलाएं बिलकुल फॉलो नहीं करतीं। ऐसी महिलाओं के लिए सफर के दौरान बगल वाली महिलाओं के मोबाइल झाकना सबसे अच्‍छा पास टाइम होता है।

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थोड़ एडजस्‍ट कर लो प्‍लीज

माना की ऑफिस से लौटते वक्‍त थकान हो जाती मगर कुछ महिलाएं दो स्‍टेशन के लिए भी खड़ा होना पसंद नहीं करतीं। 5 लोगों की सीट में भले पहले से 6 लोग बैठें हों मगर उन्‍हें इससे कोई मतलब नहीं होता, वो एक बार ‘थोड़ा एडजस्‍ट कर लो प्‍लीज’ कह कर सीट में पाने की कोशिश करने से पीछे नहीं हटतीं।

गेट गार्ड

सबको ऑफिस पहुंचने की जल्‍दी होती है। मगर महिलाएं गेट गार्ड की तरह मेट्रो में घुसते ही गेट से चिपक कर खड़ी हो जाती हैं। दूसरे यात्री अपने स्‍टेशन पर उतर पाएं या चढ़ पाएं इससे उन्‍हें कोई लेना देना नहीं होता। यहां तक की जिन यात्रियों का स्‍टेशन आने वाला होता है उन्‍हें भी वो आगे नहीं आने देतीं।

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रूल्‍स ब्रेकर

रूल्‍स ब्रेक करने में कुछ महिलाओं को बहुत अच्‍छा लगता है। मेट्रो में एनाउंसर समय समय पर कहता रहता , ‘मेट्रो में फर्श पर बैठना दंडनीय अपराध है, मेट्रो में कृपया कुछ न खाएं, मेट्रो में तेज गाने सुनना अपराध है।’ इसके बावजूद कई महिलाएं ये सारे काम मेट्रो में करती हैं। भले मेट्रो में खड़े होने की जगह न हो मगर फर्श पर बैठे बिना कुछ महिलाओं को शांति ही नहीं मिलती।

पोल डांसर

मेट्रो ट्रेन के अंदर खड़े होने वाले यात्रियों के लिए पोल्‍स लगाए जाते हैं मगर इन पोल्‍स का सहारा लेकर खड़े होने की जगह कुछ महिलाए उस पर पोल डांस शुरु कर देती हैं। कुछ महिलाएं अपने ब्‍यॉफ्रेंड से बात करते-करते पोल पर ऐसे झूलती हैं जैसे कि वो मेट्रे में नही गार्डन में हों।

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टच मी नॉट

‘टच मी नॉट’ एटीट्यूड वाली महिलाओं की भी दिल्‍ली मेट्रो में भरमार है। भीड़ में अगर जरा सा किसी का हाथ लग जाए तो यह महिलाएं लड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं। इन महिलाओं को दूसरों के टच से इतनी समस्‍या होती है कि उनका रिएक्‍शन देख कर लगता है जैसे रोज वे अपनी पर्सनलऑडी में सफर करती हों।

मिस ब्‍यूटी क्‍वीन

ऑफिस जाने की जल्‍दी में कई महिलाएं घर से अधूरे मेकअप के साथ ही मेट्रो ट्रेन में चढ़ जाती हैं मगर अपने अधूरे मेकअप को वो मेट्रो के अंदर कंप्‍लीट कर लेती हैं। लि‍पस्टिक लगाने से लेकर हेयरस्‍टाइल बनाने तक सारे काम उनके मेट्रो के अंदर हो जाते हैं।

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चैटर बॉक्‍स कर

बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप करना हो या पैचअप कुछ महिलाओं के लिए दिल्‍ली मेट्रो इसके लिए सबसे सेफ प्‍लेस होती है। जाहिर है घरवालों के सामने बॉयफ्रेंड से बातें करना आसान नहीं होता मगर मेट्रो में तो कोई एकदूसरे को नहीं जानता। इसलिए तेज आवाज से किसी को क्‍या दिक्‍कत हो रही है इससे चैटर बॉक्‍स टाइप महिलाओं को कोई फर्क नहीं पड़ता

ऐसी महिलाएं हो सकता है आपसे भी रोज टकराती होंगी। इन सिचुएशंस को डील करना आसान नहीं होता मगर इसे इंटरटेनमेंट के तौर पर लिया जाए तो लंबा सफर कब कट जाता है पता नहीं चलता।

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