ज़्यादातर पेरेंट्स शिकायत करते हैं कि उनके बच्चे उनका कहना नहीं मानते या उनकी बात को अनसुना करते हैं। यह सभी पेरेंट्स की कॉमन प्रॉब्लम है जिसका सॉल्यूशन सभी पेरेंट्स चाहते हैं। जब बच्चे एक बार में कहना नहीं मानते तो पेरेंट्स गुस्सा दिखाते हैं तो जिससे बच्चे और भी ढीठ होते चले जाते हैं। कभी-कभार तो पेरेंट्स इसको अपनी इज़्ज़त-बेज्जती से आंकने लगते हैं। अगर उनके बच्चे ने उनका कहना एक बार में नहीं माना तो वो समझते हैं कि उनके बच्चे उनकी रेस्पेक्ट नहीं करते। अगर आप भी अपने बच्चों की इस तरह की बातों को लेकर पेरशान है तो हमारे ये टिप्स आपके काम आ सकते हैं जिनकी मदद से शायद आप अपने बच्चों में सुनने की आदत का विकास कर सकें।
अगर आप किचन में खड़े होकर या घर के किसी कोने से अपने बच्चे को आवाज़ लगाकर बुला रही हैं तो बहुत कम चांस है कि वो आपकी बात को सुने। इसलिए बच्चे को दूर से चिल्ला कर बोलने की आदत छोड़ दें। बच्चे के नज़दीक आकर उससे आई-कॉन्टेक्ट बनाते हुए सॉफ्ट टच देकर उससे अपनी बात कहें। बच्चों पर हुई अनेक रिसर्च इस बात को प्रूव करती हैं कि कनेक्ट होकर कही गयी बात बच्चों पर गहरा असर डालती है।
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अगर आपके एक बार कहने पर बच्चा रेस्पॉन्स नहीं कर रहा है तो अपनी बात को बार-बार न दोहराएं। इस बात को समझें कि बच्चे का ध्यान आपकी तरफ है ही नहीं और ये भी हो सकता है कि वो आपकी बात सुन रहा लेकिन आपको फॉलो नहीं करना चाहता। इसके लिए आप बच्चे के नज़दीक जाकर स्टेप 1 की प्रोसेस को दोहराएं। हमेशा ध्यान रखें कि बार-बार कहने से बच्चे थोड़े बेशर्म प्रवृति के बन जाते हैं। बच्चों के साथ रिश्ते सही बनाने के लिए आपको बहुत ध्यान रखने की जरूरत होती है।
अगर आप किसी काम में बिज़ी होते हैं और आपके पार्टनर आपको उस काम को रोकने को कहते हैं तो शायद आपको बुरा लगता है। ऐसी स्तिथि में आप भी उनकी बात को नज़रअंदाज़ कर देती हैं। ऐसी ही स्तिथि बच्चों के साथ भी होती हैं। इसलिए अगर आपका बच्चा किसी काम में बिज़ी है और आपकी बात नहीं सुन रहा है तो इस बात को तूल न दें। अपनी बात को कुछ समय के टाल दें और ज्यादा ज़रूरी है तो बच्चे को नज़दीक आकर इसकी इम्पोर्टेन्स समझाएं।
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जब आप कोई टीवी सीरियल या मूवी देख रहे होते हैं और बच्चा आपसे अपनी कोई बात कहता है तो आप उसको यह कहकर झटक देती हैं कि बाद में सुनूंगी। ध्यान रखिए आप उसके लिए रॉल-मॉडल हैं। वह बहुत सारी बातें आपको ऑब्ज़र्व करके सीखतें हैं। अगर आप चाहती हैं कि वो एक बार में आपकी बात सुने तो इसकी शुरुआत आपको खुद से ही करनी होगी। आप बचपन से ही बच्चे की बात को एक बार में सुनें इससे बच्चे को भी आपकी बात सुंनने की आदत होगी। जिसका सुख आपको जीवन भर मिलता रहेगा और अपने बच्चे की तारीफ़ सुनकर आपको अपनी पेरेंटिंग पर प्राउड फील होगा।
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