बच्चों के एग्ज़ाम खत्म होने के बाद परेंट्स और बच्चों को उनके रिजल्ट का इंतज़ार रहता है। बच्चों का अच्छा और बुरा रिजल्ट बच्चों और पेरेंट्स दोनों पर ही असर डालता है। जहां बच्चे के ख़राब ग्रेड्स उनके स्ट्रेस, फ़्रस्ट्रेरशन और आंसुओं का कारण बन जाते हैं वहीं ख़राब ग्रेड्स को देखकर परेंट्स निराश हो जाते हैं। वे सोचते हैं कि उनके बच्चे शैक्षिक राह से भटक रहे हैं और उनके भविष्य की योजनाएं धुंधली हो रही हैं। अगर आप भी एक स्कूल जाने वाले बच्चे के पेरेंट्स हैं तो ये टिप्स आपके और आपके बच्चे के रिपोर्ट कार्ड के स्ट्रेस को कुछ हद तक कम कर सकते हैं –
अक़्सर बच्चों के ख़राब ग्रेड्स देखने के साथ ही पेरेंट्स निराश हो जाते हैं। लेकिन आप ऐसा बिलकुल न करें रिपोर्ट कार्ड मिलने के बाद टीचर द्वारा लिखे गए कमेंट्स को अच्छे से पढ़ें। इन कमेंट्स के जरिए आप अपने बच्चे के वीक पॉइंट्स और एक्सकिलेंट पॉइंट्स के बारे में पता कर सकते हैं। अपने बच्चे की ओवर ऑल परफॉर्मेंस का विश्लेषण करें। केवल ख़राब ग्रेड्स से बच्चों की क्षमता का आंकलन न करें। क्योंकि आपकी प्रतिक्रिया बच्चों में नकारात्मक और सकारात्मक भावनाओं का विकास कर सकती है।
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अगर लगातार आपके बच्चे के मार्क्स कम हो रहे हैं तो इसका कारण जाने की कोशिश करें। इसके लिए आप बच्चे की टीचर से लगातार मिलती रहें। टीचर बच्चे के साथ कई घंटे का समय व्यतीत करती हैं वो कक्षा में बच्चों की हर एक एक्टिविटी को देखती हैं, उनको ऑब्ज़र्व करती हैं। वह आपको अच्छे से बता सकती हैं कि बच्चा किन पॉइंट्स पर स्ट्रगल कर रहा है और कहां पर उसको सुधार की जरूरत है। ऐसी मीटिंग्स के लिए PTM का इंतज़ार न करें आप पर्सनली अपॉइंटमेंट लेकर टीचर से मिलें। अपने बच्चे के स्कूल में टीचर्स से मिलते समय रखें इन बातों का ख्याल
कुछ पेरेंट्स रिपोर्ट कार्ड मिलने के साथ ही बच्चे पर बरसने लगते हैं। आप ऐसा बिलकुल न करें ज़ाहिर सी बात है ख़राब ग्रेड्स देखने के बाद बच्चा भी निराश होगा। वो भी स्ट्रेस फील कर रहा होगा। रिपोर्ट कार्ड को लेकर बच्चे से कोई भी बात करने से पहले आप मेन पॉइंट्स को नॉट कर लें। इससे आप को अंदाजा रहता है कि आपके डिस्कशन का मुद्दा क्या है। कितनी बार आवेश में आकर पेरेंट्स मेन मुद्दे से हटकर बात करते हैं और वास्तव में वो जो जानना चाहते थे उनको पता ही नहीं चलता। ध्यान रखिए बच्चे के साथ शांत माहौल वाली बातचीत पॉजिटिव और प्रॉडक्टिव हो सकती है। इन वास्तु टिप्स से बच्चों की याद्दाश्त होगी तेज, करेंगे अच्छी पढ़ाई
बच्चे से रिपोर्ट कार्ड का डिस्कशन करते समय किसी भी तरह का डिस्ट्रेक्शन न होने दें। इसके लिए एकांत वाली जग़ह पर बैठे, टीवी और फ़ोन को ऑफ रखें। ताकि जो भी कुछ बच्चा आप से शेयर करने जा रहा उसमें से कोई पॉइंट मिस न हो जाए। जो आपके और उसके दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। एग्जाम के दिनों में भी बच्चा पढ़ाई से जी चुरा रहा है तो इन 4 टिप्स से इंटरेस्ट बढ़ाएं
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बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को लेकर सबसे पहले कुछ पॉजिटिव पॉइंट्स को लेकर बात शुरू करें। जैसे कि-'तुमने इंग्लिश में इस बार बहुत अच्छा स्कोर किया है'। इससे बच्चे को पॉजिटिव फील आती है उसको अपना स्ट्रांग पॉइंट पता लगता है। फिर सजहता के साथ उसको वीक पॉइंट्स के बारे में समझाएं। इससे बच्चे में कॉन्फिडेंस पैदा होगा कि उसके पेरेंट्स को उसकी फीलिंग्स की क़द्र है। हो सकता है कि एक नए कॉन्फिडेंस के साथ वह आपको अच्छा कर दिखाने का प्रॉमिस करें जो शायद वो पूरा भी करें।
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