अपने बच्चे के स्कूल में टीचर्स से मिलते समय रखें इन बातों का ख्याल

अगर आपका बच्चा स्कूल जाता है तो आप PTM में इन बातों का ध्यान ज़रूर रखें क्योंकि एक टीचर कभी नहीं चाहती कि आप ऐसी बातें करें।

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टीचर हमारे जीवन का अभिन्न अंग है जहां एक तरफ वो हमारे बच्चों को पढ़ाई में सहयोग करते हैं वही दूसरी तरफ उनको आत्मविश्वास देकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की इच्छाशक्ति भी पैदा करते हैं। सरल मायनों में वो हमारे बच्चों के भविष्य निर्माता हैं जो बचपन से उनमें नैतिक गुणों का विकास तो करते ही हैं साथ ही उसके स्कूल के शुरूआती दिनों में उनको खाना खिलाने से लेकर बोलना तक सिखाती हैं।एक टीचर का जीवन आसान नहीं होता कितनी बार अभिवावक अपने बच्चों की कमियों के लिए टीचर को ही दोषी ठहरा देते हैं। अगर आप भी स्कूल जाने वाले बच्चे के पेरेंट्स हैं तो अपने बच्चे टीचर के साथ भूलकर भी ये सब न करें।

टीचर को बेवजह ब्लेम न करें

पेरेंट्स-टीचर मीटिंग वाले दिन हम सभी अपने बच्चों के स्कूल जाना अपनी ज़िम्मेदारी मानते हैं और टीचर से अपने बच्चे के मार्क्स की वजह तो जानना चाहते हैं लेकिन अपने बच्चों द्वारा की गयी शैतानियों और ठीक से पढ़ाई न करने की बात को सही नहीं मानते। ऐसे पेरेंट्स समझते हैं कि टीचर ही उनके बच्चों के टैलेंट को नहीं पहचान रही है। लेकिन आप ऐसा बिलकुल न समझें और अपने बच्चे की कमियों के लिए टीचर को ब्लेम न करें। आप इस बात को समझें कि वह टीचर क्लास के दूसरे बच्चों को संभालती है तो सिर्फ आपके बच्चे को ही क्रिटिसाइज़ क्यों करेंगी। आप टीचर को सुनें और अपनी बात रखकर आपसी समझ से बच्चे के लिए सही निर्णय लें।

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एक ही समस्या को बार-बार डिस्कस न करें

पेरेंट-टीचर मीटिंग के दौरन टीचर को अच्छे से सुनें। उनसे अपने बच्चे की बेहतर परफॉरमेंस के लिए सुझाव मांगे। टीचर द्वारा सुझाए हुए तरीकों को अपनाएं। अगली PTM में दोबारा वही प्रॉब्लम डिस्कस न करें। अगर आप ऐसा करते हैं तो ये आपकी लापरवाही को दर्शाता है कि शायद आपने उस प्रॉब्लम पर ठीक ढंग से काम नहीं किया।

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बच्चे की पढ़ाई का हिस्सा बनें

आपके बच्चे की पढ़ाई का सारा ज़िम्मा स्कूल टीचर का नहीं होता इसमें थोड़ा योगदान आपका भी बनता है। इसलिए समय-समय पर बच्चे से उसकी पढ़ाई के अपडेट लेते रहें। बिना अपना सहयोग दिए बच्चे से एग्ज़ाम के अच्छे अंकों की उम्मीद न करें। इस बात को समझें कि अच्छी परफॉरमेंस के लिए घर पर पढ़ाई ज़रूरी होती है।

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बेवज़ह दूसरे बच्चों को दोषी न बनाएं

अपने बच्चों की बुरी आदतों और गलतियों के लिए क्लास के दूसरे बच्चों को ज़िम्मेदार न ठहराएं। ध्यान रखिए टीचर के लिए सभी बच्चे एक समान है आप किसी भी छोटी बात के लिए दूसरे बच्चों दोषी न बताएं। अगर आपके बच्चे को कोई बच्चा परेशान करता है या मारता है तो इस बात को बहस का मुद्दा बिल्कुल न बनाएं और सहजता के साथ इस बात को सुलझाए। बेवजह भड़कने से स्तिथि और बिगड़ सकती है।

All photo credit: newhorizongurukul/ fairgaze/ nbcnews

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