एग्‍जाम के दिनों में भी बच्‍चा पढ़ाई से जी चुरा रहा है तो इन 4 टिप्‍स से इंटरेस्ट बढ़ाएं

अगर आपके बच्चे के मन पढ़ाई में थोड़ा कम लगता है तो हमारे ये टिप्स अपनाकर शायद आप उसकी मदद कर सकती हैं।

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आज के समय के स्‍टडी पैटर्न हमारे ज़माने से काफ़ी डिफरेंट हैं। स्कूलों में स्‍टडी के अलावा बच्चों को बहुत सारे प्रोजेक्ट्स और एक्टिविटी भी करनी पड़ती हैं जिसके चलते बच्चे मेन सब्जेक्ट्स को सफिशिएंट टाइम नहीं दे पाते और एग्जाम के समय पर प्रेशर फील करने लगते हैं। यह प्रेशर कितनी बार स्‍टडी में बच्चों के इंट्रेस्ट को कम कर देता है। अगर आप भी ऐसा ही फील कर रही हैं कि तो शायद हमारे ये टिप्स आपके काम आ सकते हैं जिसकी हेल्‍प से आप अपने बच्चे में स्टडी के लिए इंट्रेस्ट जगा सकती हैं।

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इज़ी नोट्स की आदत

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अपने बच्चे को कहें कि सेशन स्टार्ट होने के साथ ही हर एक टॉपिक से रिलेटेड शार्ट नोट्स अपनी हैंड राइटिंग में तैयार करें। इन नोट्स को सेप्रेट शीट्स पर बनाएं ताकि पढ़ते वक़्त उसको सिर्फ उसी टॉपिक का ख्याल हो। मोटी बुक को देखकर कितनी बार बच्चे प्रेशर में आ जाते हैं जबकि हर एक चैप्टर की अलग शीट्स उनके इस प्रेशर को कम कर सकती हैं। यह मेरा पर्सनल अनुभव है कि बच्चों को सेल्फ-मेड नोट्स से टॉपिक जल्दी क्लियर होते हैं।बच्चे को पढ़ाई में बनाना है तेज तो ये पांच चीजें उन्हें दिन में जरूर खिलाएं

शेेड्यूल बनाएं

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हर एक हार्ड टास्क के बाद जो रिवॉर्ड मिलता है उसका मज़ा ही कुछ अलग होता है। आप भी अपने बच्चे को कहें कि किसी भी मुश्किल टॉपिक को पढ़ने के बाद एक कप कॉफ़ी या अपने मनपसंद सीरियल के एक एपिसोड़ से खुद को रिफ्रेश करे। अपने मनपसंद स्नैक्स भी एन्जॉय किये जा सकते हैं ऐसे ब्रेक बच्चे को बोर नहीं होने देते। इसलिए बच्चे को कहें कि शेेड्यूल बनाते वक़्त अपना शेेड्यूल भी तय कर ले।

पढ़ाई की जगह बदलें

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बच्चे अपने स्‍टडी रूम में एक जगह बैठकर स्‍टडी करने से भी अक्सर बोर हो जाते हैं इसलिए बच्चे को कहें कि कुछ घंटे की स्‍टडी के बाद वह स्‍टडी प्लेस चेंज कर ले। हर वक़्त टेबल-चेयर स्टाइल वाली स्‍टडी भी बोर कर देती है। बच्चों को लिविंग रूम में स्‍टडी करने का ऑफर दे सकती हैं। हो सके तो टाइम-टाइम पर बच्चे के रूम की सेटिंग चेंज करती रहे ताकि उसको पुराने रूम में भी नयी फील आए।

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सेल्फ़ चेलेंज की आदत

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बच्चों को बिजी करने के लिए किसी टॉपिक को लेकर उनकी तय की गई टाइम लिमिट को बीट करने को कहें। जैसे कि अगर बच्चे ने किसी टॉपिक के लिए तीन घंटे की लिमिट तय की है तो उसको कहें कि वह खुद को चैलेंज करें और इस काम को तीन घंटे से कम टाइम लेकर पूरा करे।

Image Credit: pxhere.com

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