रामायण में वर्णित है श्री राम के ये खास गुण, आप भी कर सकते हैं अपने जीवन में शामिल

Life Lessons From Lord Rama: धार्मिक ग्रंथों में भगवान राम को आदर्श पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम बताया गया है। बड़े-बुजुर्गों के बीच जब भी संस्कृति और सदाचार की बात होती है तो प्रभु श्री राम का ही नाम लिया जाता है।

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Life Lessons From Lord Rama: आपने बड़े-बुजुर्गें से कहते सुना होगा- बेटा हो तो राम जैसा, चरित्र हो तो राम जैसा, राजा हो तो राम जैसा...। ऐसी बातें रामायण से ही पता चलती है, जहां राम जी को सत्य, धर्म, दया और मर्यादाओं पर चलने वाला बताया गया है। प्रभु श्रीराम भगवान विष्णु के 7वें अवतार और उन्हें पुराणों में सबसे श्रेष्ठ पुरुष माने गए हैं। हमारी संस्कृति और सदाचार की जब भी बात होती है तो राम का नाम अवश्य ही लिया जाता है। दरअसल, मर्यादा पुरुषोत्तम राम अनेक गुणों से परिपूर्ण थे। यही कारण है कि लोगों में राम नाम का धून सवार रहता है। इसी कड़ी में आइए जानते हैं श्री राम के वो खास गुण, जिन्हें आम जीवन में आप भी फॉलो कर सकते हैं।

दयालुता

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भगवान राम ने स्वयं राजा होते हुए भी हनुमान, केवट, निषादराज, सुग्रीव, जाम्बवंत आदि सभी को वक्त आने पर नेतृत्व करने का अधिकार दिया था। उनके इन्हीं गुणों के कारण लोग प्रभु श्री राम को पूजते और अपना आदर्श मानते हैं। उनका दयालु स्वभाव सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं पशु-पक्षियों पर भी होता था। इस तरह इंसान को भी अपने जीवन में श्रीराम के इस गुण को शामिल करना चाहिए।

धैर्यवान

रामायण के अनुसार, भगवान राम के अंदर धैर्य और सहनशीलता थी। रामजी ने कैकेयी की आज्ञा का पालन करने के लिए 14 वर्ष का वनवास किया और रामसेतु तैयार करने के लिए तपस्या की। यही नहीं, बाद में माता सीता का भी परित्याग कर सन्यासी की तरह जीवन यापन किया। ऐसी सहनशीलता और धैर्य कहां किसी व्यक्ति में नजर आती है। आज कल लोगों में पैसे और सफलता पाने की होड़ लगी रहती है। उनसे थोड़ा इंतजार भी बर्दास्त नहीं होता है। ऐसे में लोगों को प्रभु श्रीराम के चरित्र से सीख जरुर लेनी चाहिए।

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मित्रता का गुण

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भगवान राम ने हर रिश्ते को अच्छे से निभाया है। बात जब उनकी मित्रता की आती है, तो उन्होंने इस रिश्ते को भी दिल से निभाया है। रामायण के अनुसार, केवट, निषादराज, सुग्रीव और विभीषण सभी उनके परम मित्र थे। प्रभु श्रीराम ने मित्रता निभाने के लिए कई बार स्वयं भी संकट झेले थे।

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भाई का फर्ज

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रामायण में प्रभु श्रीराम को एक आदर्श भाई भी कहा जाता है। भगवान राम के भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के प्रति प्रेम और समर्पण के कारण ही उन्हें अच्छा भाई कहा जाता है। आजकल हर घर में भाईयों के बीच लड़ाई देखने को मिलता है, जो कि परिवार में कलह-क्लेश का कारण भी बनता है। ऐसे में उनलोगों को भी चाहिए कि प्रभु श्रीराम से कुछ सीख लें।(राम जी के विचार)

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Image Credit: Herzindagi, Unsplash

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