अभी हाल ही में देश के मशहूर वकील के के वेणुगोपाल को देश का attorney general बनाया गया है। तब मुझे अचानक ही पिछले साल की सबरीमाला मंदिर की घटना की याद आ गई। ये वही वेणुगोपाल हैं जिन्होंने पिछले साल केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध के खिलाफ दाखिल याचिका पर मंदिर ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया कि "महिलाओं के लिए मंदिर में प्रवेश इसलिए लागू नहीं हो सकती क्योंकि महिलाएं माहवारी या मासिकधर्म के दौरान पूजा नहीं कर सकतीं।"
ये सुप्रीम कोर्ट के उस सवाल का जवाब था, "जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि मंदिर में जाने के लिए जो नियम पुरुषों के लिए हैं वह महिलाओं के लिए क्यों नहीं हैं???"
इस जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर से सवाल किया कि "क्या आप मासिकधर्म को महिलाओं की पवित्रता से जोड़ रहे हैं? क्या बायोलॉजिकल घटना के आधार पर इस तरह की शर्त लगा सकते हैं? क्या यह भेदभाव नहीं है?"
"क्या यह भेदभाव नहीं है?"
(कोई हमसे पूछे तो बताएं ना कि भेदभाव क्या है और कहां-कहां व कबसे हो रहा है। )
तब वेणुगोपाल ने दलील दी थी कि इस मंदिर में महिलाओं को प्रतिबंध पूरी तरह से नहीं है जैसा कि शनि मंदिर में होता है। इस मंदिर में 10 साल से कम उम्र और 50 साल से ऊपर की महिलाओं को प्रतिबंधित नहीं किया गया है। अभी यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के बेंच में सुरक्षित है।
वेणुगोपाल के अटॉर्नी जनरल बनते ही एक सवाल मेरे दिमाग में फिर से उठा था जो मंदिरों में महिलाओं के जाने पर विवाद की वजह बन रहा था।
मेरा सवाल है... 11 साल से 49 साल की महिलाओं का क्या?
क्या वो इस मंदिर में प्रवेश कर सकती है?
मतलब मेरी उम्र पच्चीस वर्ष है तो क्या मैं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती?
ये केवल एक मंदिर या दरगाह की बात नहीं है। बल्कि करोड़ों ऐसे मंदिर और दरगाह इस देश में हैं, जहां महिलाओं का जाना मना है। उनमें से ये रही कुछ जगहों की लिस्ट।
हाजी अली दरगाह, मुंबई (महाराष्ट्र)
महाराष्ट्र स्थित हाजी अली दरगाह में महिलाएं नहीं जा सकतीं। इस पर मुंबई की हाजी अली दरगाह के ट्रस्टीज़ ने बॉम्बे हाईकोर्ट से अक्टूबर में कहा था कि पुरूष मुस्लिम संत की कब्र के पास महिलाओं का जाना इस्लाम में एक भयंकर पाप माना जाता है।
अब इस पर क्या ही कहें...?
भगवान कार्तिकेय मंदिर, पेहोवा (हरियाणा)
हरियाणा के इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय के ब्रह्मचारी रूप की पूजा की जाती है इस कारण यहां महिलाओं का जाना मना है। इसके पीछे एक कहानी है। कहानी तब की है जब भगवान कार्तिकेय ध्यान कर रहे थे। तब देवी इंद्रा को जलन हुई और डर भी लगा कि कहीं ब्रह्मा जी उन्हें उनसे ज्यादा शक्तियां ना दे दें। इसलिए उन्होंने कार्तिकेय का ध्यान भंग करने के लिए उनके पास खूबसूरत अप्सराएं भेंजी। इससे कार्तिकेय उनसे नाराज हो गए और श्राप दिया कि जो भी महिला उनके करीब आएगी वो पत्थर की बन जाएगी।
यार ऐसी कहानियां कौन लिखता है...? भगवान कभी किसी को श्राप नहीं देते।
मावाली माता मंदिर (छत्तीसगढ़)
इस मंदिर में भी जाना मना है। लेकिन इसकी कहानी पूरी तरह से अलग है। इस मंदिर के पुजारी के अनुसार, एक पुरोहित ने कहा था कि उन्होंने माता को धरती से पैदा होते देखा है। माता ने बताया कि उनकी अब तक शादी नहीं हुई है। इसलिए महिलाओं का मंदिर में जाने पर रोक है। केवल पुरूष ही जाते हैं।
मतलब क्या है ये...? इस कहानी का तुक मुझे तो समझ नहीं आया। अगर आपको आया हो तो प्लीज़ कमेंट में हमें भी बता दें।
और हां, इन मंदिरों की तरह असम के पतबाउसी सत्रा, तिरूवनंतपुरम के श्रीकृष्णा मंदिर, मलायिनकीझू और राजस्थान के जैन मंदिर में भी महिलाओं का जाना मना है।
कुछ जगह जाना मना है और कुछ जगह नहीं। इतना कुछ याद करने की जगह मैंने ही मंदिर जाना छोड़ दिया है। आपने क्या किया...???
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