क्या आपको पता है शैम्पेन को इतना चर्चित बनाने में था महिलाओं का हाथ, जानिए इसका इतिहास

किसी बड़े जश्न में शैम्पेन खोली जाती है। इसे अधिकतर पुरुषों की ड्रिंक माना जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि महिलाओं का इसके इतिहास में कितना योगदान रहा है?

Shruti Dixit
How does champagne came into the world

शराब का इतिहास शायद उतना ही पुराना है जितनी इंसानियत। वाइन की बात करें तो 7000 साल पहले भी इसे बनाने के साक्ष्य मिले हैं। कई यूरोपीय देशों में वाइन कल्चर का हिस्सा है, लेकिन शैम्पेन की बात करें तो इसका आविष्कार नया ही है। 17वीं सदी में फ्रांस के शैम्पेन प्रांत में वाइन से सारी गंदगी निकालने और उसका रंग साफ करने की तकनीक ईजाद की गई। इस नई ड्रिंक को नाम दिया गया शैम्पेन।

शैम्पेन उसी समय से प्रचलित होने लगी। इसे बबली वाइन (Bubbly Wine) भी कहा जाता है क्योंकि इससे बबल्स निकलते रहते हैं। इसके बनने और प्रचलित होने की कहानी भी बहुत रोचक है। चलिए आज आपको इसकी कहानी ही बताते हैं।

एक साधु ने बना दी थी शैम्पेन

अब इसे विधि का विधान कहा जाए या फिर एक मजाक, लेकिन शैम्पेन को बनाने का श्रेय एक साधु को दिया जाता है। ऐसा परफेक्शन मेथड जो वाइन से सारी गंदनी निकालकर इसे स्पार्कलिंग वाइन बना दे, वो एक साधू ने इजाद किया था। बेनेडिक्टाइन ऐबी ऑफ हॉटविलर्स के डॉम पेरिग्नॉन ( Benedictine Abbey of Hautvillers, Dom Pérignon) ने इसका आविष्कार किया था।

champage inventor

डॉम को शैम्पेन के पिता होने का दर्जा हासिल है। डॉम 1638 से 1715 तक इस प्रांत में रहते थे। डॉम असल में नाम नहीं बल्कि ऐबी में दिया जाने वाला एक टाइटल होता है। ऐबी एक तरह का मठ होता है जहां प्रार्थना की जाती है। यहां डॉम का टाइटल हासिल करने के साथ उन्हें सेलर मास्टर भी बना दिया गया था ताकि वो वाइन की देखरेख करें।

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डॉम को अलग-अलग तरह की वाइन मिक्स करने का शौक था और उसके बाद उन्होंने अपने ऐसे ही एक आविष्कार में शैम्पेन को बना दिया। हालांकि, उनके आविष्कार के बाद कई सारे बदलाव शैम्पेन में किए गए, लेकिन कम से कम उन्होंने कॉर्क स्क्रू, ग्लास बॉटल और फरमेंटेशन प्रोसेस जैसे कई फैसले लिए जिससे मॉर्डन शैम्पेन की नींव रखी गई।

तीन विधवा महिलाओं ने शैम्पेन को बना दिया वर्ल्ड फेमस

बात 19वीं सदी की है जब महिलाओं का घर से ज्यादा बाहर निकलना ही गलत समझा जाता था। वहां एक बिजनेस चलाना तो बहुत ही मुश्किल था। शैम्पेन को लेकर इतिहास में लिए गए सबसे बड़े फैसले महिलाओं द्वारा लिए गए हैं। 19वीं सदी में महिलाएं बिना पिता या पति की इजाजत बिजनेस नहीं कर सकती थीं, लेकिन विधवा महिलाओं का कहीं जिक्र नहीं था।

champagne and widows

नियम के इस लूपहोल का फायदा उठाकर बार्बी निकोल, लुई पॉमेरी और लिली बॉलिन्गर ने अलग-अलग दशकों में ऐसे कदम उठाए जिससे शैम्पेन वर्ल्ड फेमस हो गई।

बार्बी ने इजाद की शैम्पेन से जुड़ी एक तकनीक

बार्बी के पति का एक छोटा सा वाइन बिजनेस था जो ठप्प पड़ा था। उनकी मौत के बाद 27 साल की बार्बी ने कुछ अलग किया। बार्बी ने अपने ससुर से पैसे की मांग की और इसका अंदाजा बार्बी को भी नहीं था कि उसके ससुर हां कर देंगे।

इसके बाद शैम्पेन हाउस Veuve Clicquot-Ponsardin की शुरुआत हुई। Veuve शब्द का अर्थ है विधवा। इसे एक मार्केटिंग स्कीम बना दिया गया। धीरे-धीरे बार्बी ने अपने साथ कई महिलाओं को जोड़ा।

उस वक्त बार्बी ने वाइन बनाने की कला सीखी और उसे सीखने के लिए भी उन्होंने अपने ससुर से पैसे लिए। हालांकि, उस वक्त यूरोप में कई तरह के युद्ध चल रहे थे और ऐसे में बार्बी दिवालिया होने की कगार पर आ गईं। उन्होंने हार नहीं मानी और 1814 में रूस में बिजनेस फैलाने का फैसला लिया। उस वक्त Jean-Remy Moët शैम्पेन कंपनी भी रूस में मार्केट फैलाने की कोशिश में थी। बार्बी ने अपनी सहेलियों के साथ मिलकर रूस में शैम्पेन की बोतलें समगल करवाईं।

उस वक्त मौसम की वजह से शैम्पेन खराब भी हो सकती थी और अगर पकड़ी जाती तो बार्बी की बर्बादी तय थी। पर आखिरकार किस्मत ने बार्बी का साथ दिया। बार्बी की शैम्पेन 90 दिनों के अंदर रूस में कमाल कर गई। रशियन मार्केट में बार्बी 'द विडो' नाम से फेमस हो गईं।

बार्बी की शैम्पेन रशिया में फेमस तो हो गई और उसके साथ ही डिमांड भी बढ़ गई। शैम्पेन बनाने के लिए वाइन से डेड ईस्ट को निकालना होता है। अब ये प्रोसेस हफ्तों ले लेता है, लेकिन बार्बी के पास इतना समय नहीं था। उन्होंने अपने कर्मचारियों से कहा कि उनकी किचन टेबल को नीचे वाइन सेलर में ले जाएं। वहां उसमें कई छेद करें और बोलत को उल्टा रख दें। इससे डेड ईस्ट बोतल के गले तक आ जाएगा। वहां तुरंत स्क्रू को खोलकर ईस्ट निकाल दें और फिर बोतल बंद कर दें।

सभी को लगा कि ये तरीका वाइन को बर्बाद कर देगा। पर उनके पास कोई चारा नहीं था। ये तरीका काम कर गया और इस तकनीक को रिडलिंग कहा गया। ये आज भी शैम्पेन मेकिंग प्रोसेस में यूज की जाती है।

लुई जिसने बना दिया शैम्पेन का साम्राज्य

दूसरी विधवा थीं लुई पॉमेरी। लुई उस दौरान इंग्लैंड से पढ़कर आई थीं। पति की मौत के समय उनके साथ 15 साल का बेटा और एक नवजात बेटा था। उन्होंने पति की मौत के 8 दिन बाद ही उसका शैम्पेन बिजनेस चलाने का फैसला किया।

champagne and its story

उस समय शैम्पेन का स्वाद काफी मीठा हुआ करता था। आज शैम्पेन में 12 ग्राम शक्कर होती है, वहीं उस दौर में 300 ग्राम तक शक्कर होती थी। लुई ने इंग्लिश पैलेट के लिए एक अलग तरह की शैम्पेन बनाने के बारे में सोचा। लुई ने फरमेंटेशन प्रोसेस और और बढ़ा दिया और इसे और फाइन कर दिया। नतीजा? इंग्लिश मार्केट में ये बहुत फेमस हो गई और मॉर्डन शैम्पेन का एक रूप निकला।

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लिली जिसने बना दिया शैम्पेन टूरिज्म

अब शैम्पेन की मांग बढ़ने के साथ-साथ उसका टूरिज्म भी बढ़ने लगा। बात थोड़ा मॉर्डन है जब 1941 में लिली बॉलिंगर ने अपने पति की जगह बिजनेस में ली। उस वक्त तक भी बिजनेस को लेकर महिलाओं को कम सुविधाएं दी जाती थीं।

लिली ने अपनी शैम्पेन अमेरिका तक पहुंचाई। उन्होंने तीन महीने खुद ही ट्रैवल किया और अपनी वाइन उस देश के कोनो-कोने तक पहुंचाई। उस वक्त अमेरिका में लिली की पहचान इतनी बढ़ गई थी कि फ्रांस की प्रथम महिला की तरह लोग उन्हें जानने लगे थे।

1961 तक लिली ने एक नई शैम्पेन तकनीक पर काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने शैम्पेन की बोतल में डेड यीस्ट, अंगूर की खाल और अन्य पदार्थों को रखा और इसे लंबे समय के लिए फरमेंट होने छोड़ दिया। इसके बाद हर बोतल से कचरा हाथ से निकाला गया। ये थी पहली विंटेज शैम्पेन। आज भी विंटेज शैम्पेन की मांग बहुत ज्यादा है।

तो इस तरह से शैम्पेन वर्ल्ड फेमस हो गई। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।