सोसाइटी की बात की जाए या फिर बॉलीवुड इंडस्ट्री की, तकरीबन सभी लोगों का मानना है कि यह मेल डोमिनेटिंग ही हैं। बॉलीवुड इंडस्ट्री में भी किसी हीरो की एक्टिंग एज हीरोइन की एक्टिंग एज से कहीं ज्यादा लम्बी है। वैसे, कुछ अभिनेत्रियां ऐसी भी हैं जो कि सदाबहार हैं। जिन्हें अपनी उम्र के बढ़ते सिरे पर भी अच्छी फ़िल्में और अच्छे किरदार मिलते हैं। ‘क्या सच में औरतों के लिए बॉलीवुड इंडस्ट्री में किरदार सीमित हैं?’ यह एक चर्चा का विषय है और इस विषय पर हाल ही में हमसे बेहतरीन एक्ट्रेस तब्बू ने बात की।
बेस्ट एक्ट्रेस के लिए दो नेशनल अवार्ड जीतने वालीं तब्बू का मानना है कि भले ही बॉलीवुड मेल डोमिनेटिंग हो मगर ऐसा नहीं है कि औरतों को करने के लिए कुछ नहीं है। तब्बू ने कहा, “मुझे लगता है कि औरतों के हर केरेक्टर में बहुत सारे लेयर्स हैं। और मैंने पिछली कई फ़िल्में इसी लेयर्स को निभाया है। मैं बहुत खुश हूं कि मुझे यह करने मिल रहा है।“ औरतों के किरदार में लेयर्स की बात की जाए तो तब्बू की पिछली कुछ फ़िल्में ‘फ़ितूर’, ‘हैदर’ और ‘दृश्यम’ इन्हीं लेयर्स का सबूत है। इन फ़िल्मों में आप तब्बू के निभाए गए हर किरदार में नयापन और औरतों की भावनाओं की लेयर्स देखेंगे।
वैसे, देखा जाए तो इस साल बहुत सी ऐसी फ़िल्में रिलीज़ हुई हैं जिसमें औरतों के अलग-अलग भाव को दर्शाया है। जैसे श्रीदेवी की ‘मॉम’, स्वरा भास्कर की ‘अनारकली ऑफ़ आरा’, तापसी पन्नू की ‘नाम शबाना’, कोंकणा सेन शर्मा और रत्ना पाठक ‘लिपस्टिक अंडर माय बुरखा’।
तब्बू हाल ही में रोहित शेट्टी की फेमस फ्रेंचाइजी ‘गोलमाल अगेन’ में नज़र आई थीं। यह एक हॉरर कॉमेडी फ़िल्म है और तब्बू ने कहा कि वो हॉरर बहुत एन्जॉय करती हैं और कॉमेडी तो उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में भी की थी। यहां तब्बू ने आज की जनता और फ़िल्म देखने के उनके नज़रिए पर भी बात की और कहा, “मुझे लगता है कि आज की जनता अपने आपको फ़िल्मों में काफी इन्वॉल्व करती है। वो समझदार है और रियल सिनेमा और रियल किरदारों को देखना पसंद करती हैं।“
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