निर्भया मामले में सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ ने दोषी पाए गए पवन गुप्ता की क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया है, जिससे निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा 3 मार्च को दिया जाना तय माना जा रहा था, लेकिन पटियाला हाउस कोर्ट ने अपने नए आदेश में अगले फैसले तक निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक लगा दी है। यह तीसरी बार है, जब निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा टली है। हालांकि इस मामले में अब दोषियों के पास कानूनी उपायों लगभग खत्म हो चुके हैं। साथ ही आरोपियों को फांसी दिए जाने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट डेथ वारंट भी पहले ही जारी कर चुका है
7am, Jan 22: All 4 convicts to be hanged till death #NirbhayaCase #Nirbhaya Case
— Pratyush Ranjan (@pratyush_ranjan) January 7, 2020
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निर्भया रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद निर्भया के दोषियों को फांसी दिए जाने की लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को केंद्र सरकार की उस याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें निर्भया के गुनहगारों को अलग-अलग फांसी नहीं देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।
निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं दिए जाने पर उठाए जा चुके हैं सवाल
इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने गुरुवार को जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष इस याचिका का उल्लेख करते हुए अदालत से गुहार लगाई थी कि इस पर जल्द से जल्द फैसला किया जाए। नटराज का कहना था कि चारों दोषियों की पुनर्विचार और सुधारात्मक याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं और तीन की दया याचिकाएं भी खारिज हो चुकी है, इसके बाद भी जेल प्रशासन चारों दोषियों की फांसी नहीं दे पा रहा है।
राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं अक्षय सिंह की दया याचिका
इस मामले में निर्भया के दोषी अक्षय की दया याचिका को राष्ट्रपति ने 1 फरवरी को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने राष्ट्रपति से फांसी की सजा माफ करने की गुहार लगाई थी। अक्षय सिंह की सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद ही दोषियों को फांसी दिए जाने का रास्ता साफ हो गया था। अक्षय सिंह की दया याचिका पर शीर्ष अदालत की तरफ से कहा गया है कि बचाव पक्ष ने अपनी ओर से जो तर्क दे रहा है, उन पर पहले भी सुनवाई हो चुकी है और याचिका में जो बातें कहीं गई हैं, उनका कोई आधार नहीं है। इसके साथ ही निर्भया के दोषियों के लिए सजा से बचने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं। माना जा रहा है कि अब जल्द ही निर्भया के दोषियों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी किया जाएगा और तय किए वक्त पर उन्हें फांसी दी जाएगी।
Akshay kumar Singh - time has come to pay for what you have done.
— MarcoChacha (@MarcoChacha8) December 18, 2019
Your life might be worthless but you ruined a very precious family!
May #Nirbhaya get justice now. #NirbhayaCase pic.twitter.com/0Xn8W7fj6P
Review petition of 4th convict in #Nirbhaya case has been dismissed by Supreme Court.
— Kadambini Sharma (@SharmaKadambini) December 18, 2019
Now they will go for other legal options like curative petition and mercy petition to President.
Finally wheels of justice are moving faster...
No mercy for NIRBHAYA rapists !!!! Thanks to the bench that took the decision and to the Solicitor General 🙏 Slap on AP SINGH's face👍👍#Nirbhaya
— Guru Kotha (@ping2gbk) December 18, 2019
प्रदूषण तब भी था जब रात में उस बेटी को रेप करके मरने के लिए मजबूर किया गया था।अब जब अपने ऊपर आई तो बगलें झाँकने लगे।याद है कैसे तिल तिल कर मौत ने उसको निगल लिया था।उसके भी अपने सपने थे,वह भी मरना नहीं चाहती थी,उसे न्याय मिलना ही चाहिए,यह उस बेटी का अधिकार है।
— Ramesh Tiwari (@rtrip64) December 10, 2019
16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ हुआ था गैंगरेप
दक्षिण दिल्ली के मुनीरका इलाके में 16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ था। इस दौरान 23 साल की निर्भया को बुरी तरह पीटा गया था और प्राइवेट बस में टॉर्चर किया गया था। निर्भया के साथ जब यह घटना हुई, तब उनके साथ उनका दोस्त भी मौजूद था।
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आरोपियों ने निर्भया के साथ बर्बरता से गैंगरेप किया और उनके दोस्त के साथ उन्हें चलती बस से फेंक दिया। इस घटना के 11 दिन बाद उन्हें सिंगापुर के एक अस्पताल में इमरजेंसी ट्रीटमेंट के लिए भेजा गया था, लेकिन गंभीर चोटों की वजह से उसकी मौत हो गई।
दोषियों को फांसी दिए जाने का इंतजार
इस घटना के बाद देशभर में आंदोलन हुए थे और निर्भया के दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाने की मांग की गई थी। इस मामले में आरोपी राम सिंह ने पुलिस कस्टडी में सुसाइड कर लिया था, वहीं नाबालिग आरोपी को अधिकतम तीन साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 10 सितंबर, 2013 को बचे हुए चार आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपियों की सजा बरकरार रखी थी। इसके बाद आरोपियों ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी, तब उनकी फांसी पर स्टे मिल गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को rarest of rare case श्रेणी में रखते हुए कहा था कि 'इस मामले में हम extreme punishment दी जाएगी ताकि पीड़िता को न्याय मिले।'
महिलाओं के साथ यौन हिंसा और रेप के मामले बढ़े
हाल ही में हैदराबाद में वेटरनरी डॉक्टर के साथ रेप और बाद में उन्हें जिंदा जला दिए जाने की घटना ने देश को शर्मसार कर दिया था। इसके कुछ दिन बाद ही उन्नाव रेप पीड़िता के बेल पर छूटे दोषियों ने उन्हें जिंदा जला दिया था। 90 फीसदी जल जाने के बाद पीड़िता को दिल्ली लाया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। दुख की बात ये है कि निर्भया के साथ गैंगरेप की घटना को 7 साल बीत जाने के बाद रेप के मामलों में कमी नहीं आई, बल्कि साल-दर-साल इनकी संख्या बढ़ रही है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो( NCRB) के आंकड़ों के अनुसार साल 2001 और 2017 के बीच भारत में रेप के 4,15,786 मामले दर्ज किए गए। यानी इस दौरान औसत तौर पर हर दिन 67 महिलाओं के साथ रेप हुआ। दूसरे शब्दों में कहें तो हर घंटे तीन महिलाओं के साथ रेप हुआ। साल 2001 में रेप के 16,075 मामले दर्ज किए गए थे और साल 2017 में यह आंकड़ा बढ़कर 32,559 तक पहुंच गया, यानी रेप की घटनाओं में 103 फीसदी की बढ़त देखने को मिली।
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