Living With Pride: ना आधार कार्ड ना नौकरी, किस तरह गुजरी है ट्रांसमैन कृष्णा की जिंदगी

अगर आपसे आपकी पहचान ही छीन ली जाए, तो आपको नौकरी, घर, इज्जत की जिंदगी कैसे मिल सकती है? यही परेशानी हुई ट्रांसमैन कृष्णा के साथ। 

Story of transman krishna singh

ट्रांसजेंडर शब्द अपने आप में बहुत ज्यादा गलतफहमियों का शिकार है। इस शब्द से लोग हमेशा सिग्नल पर खड़े किन्नरों को जोड़ते हैं। ट्रांसजेंडर और थर्ड जेंडर के बीच का अंतर समझे बिना ही लोग जजमेंट पास करते हैं। कुछ ऐसा ही मानना है ट्रांसमैन कृष्णा का जो फिलहाल अपने ट्रांजीशन के अंतिम चरण में हैं। हमने मित्र ट्रस्ट प्रोजेक्ट के एनजीओ को विजिट किया और वहां रह रहे ट्रांसजेंडर्स की समस्याओं को जानने की कोशिश की।

वहां हमारी बात कृष्णा सिंह से हुई। कृष्णा का जन्म एक लड़की की तरह हुआ था, लेकिन उन्हें शुरू से ही पता था कि कुछ गलत है। अपने पैरों पर खड़े होते ही कृष्णा ने अपने ट्रांजीशन को पूरा करने की ठानी। उन्हें हार्मोनल बदलावों के साथ-साथ अपने आस-पास के लोगों में भी बदलाव नजर आने लगा। कृष्णा से बात करते हुए हमें ट्रांसजेंडर्स की जिंदगी के उस पहलू के बारे में पता चला जिसे शायद हम और आप आसानी से सोच नहीं पाते।

सवाल: आप अपने बारे में कुछ बताएं

जवाब: मैं कृष्णा सिंह हूं। मैं तो बचपन से ही खुद को लड़का मानता हूं। मुझे नहीं पता था कि मैं ट्रांस हूं या क्या हूं। मैं यही समझता था कि बॉडी भले ही जैसी भी हो मैं लड़का हूं तो हूं। हां, मुझे नहीं पता था कि मैं ऐसा क्यों हूं। जहां मैं था वहां सबसे अलग मैं ही था। मेरी उम्र की मेरी फ्रेंडें (सहेलियां) थीं उन्हें कुछ और खेलना पसंद था, लेकिन मुझे तो बैट-बॉल, कंचे आदि खेलने में ही मजा आता था। मैं शुरुआत से ही ऐसा था, मुझे नहीं समझ आता था कि मैं अपनी फीलिंग किसी को नहीं बता पाता था। दोस्तों को बचपना लगता था। मैं हमेशा से ही इस बारे में नहीं सोचता था कि रिश्तेदार क्या कहेंगे या घर वाले क्या बोलेंगे।

मुझे हमेशा से की करके बोलना पसंद नहीं था। मुझे हमेशा का ही पसंद था।

सवाल: घरवालों का सपोर्ट कैसा रहा है?

जवाब: घरवालों ने हमेशा यही चाहा कि जिस तरह से मैं पैदा हुआ हूं मैं वैसा ही रहूं, लेकिन मैं वैसा नहीं रह सकता था। मुझे घुटन होती थी। मैं 6 महीने का था तब मेरी मम्मी की डेथ हो गई थी। मेरी स्टेप मदर चाहती थी कि मैं जैसा हूं वैसा ही रहूं। उनका भी कहना सही था कि घर में कोई और लड़की नहीं थी। पर मैं उसमें कंफर्टेबल नहीं था। जैसे-तैसे मैंने 12वीं की तो घर पर यह बातें होने लगीं कि इसको ऐसी चीजें नहीं पहनने देनी हैं, इसे कुछ अलग समझाना है।

ज्यादा देर तक बाहर रहने पर भी लड़ाइयां होने लगीं। इसके बाद मैंने घर छोड़ दिया। मुझे अब घर छोड़े हुए 9 साल हो गए हैं। मैं अभी 27 साल का हूं। मेरी वजह से मेरे घर के चार और लोग परेशान थे।

मैं एक ट्रांसमैन हूं और मुझे कोई दिक्कत नहीं है इसे बताते हुए। जिसको भी मुझसे समस्या है वो अपनी समस्या अपने पास रखे। मैं उन लोगों से अपने आप दूर हो जाता हूं जिसे मुझसे दिक्कत है। हो सकता है मुझे ऐसे ही अकेले लाइफ काटनी हो।

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सवाल: अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के बारे में बताएं। आपका रूटीन क्या है और आपको क्या पसंद है?

जवाब: मैं फिलहाल तो जॉब करता हूं। दिन में सोता हूं और रात में जॉब पर जाता हूं। मैं रिलेशनशिप में हूं तो छुट्टियों में उससे मिलने चला जाता हूं। नहीं जा पाता हूं तो कोई ना कोई एक्टिविटी करता हूं। मुझे गाना सुनना बहुत पसंद है, नई चीजें सीखना पसंद है, घूमना बहुत ज्यादा पसंद है। मैं कभी-कभी कुकिंग भी कर लेता हूं। घूमते वक्त चाहे बस हो या ट्रेन हो मुझे खिड़की के पास बैठना ही पसंद है। ट्रैवलिंग में मुझे नींद नहीं आती है।

सवाल: अपनी जॉब के बारे में कुछ बताएं..

जवाब: अभी तो मैं ऑनलाइन बसों की बुकिंग करता हूं। मैं अपनी जॉब से खुश हूं। ज्यादा बोर लगता है, तो मैं वीडियो वगैरह बना लेता हूं, गाने गा लेता हूं, रील्स देखता हूं। हम यहां हैं तो सबके साथ घूमना बहुत पसंद है। मतलब घूमना तो समझ लीजिए कि मेरा फेवरेट है।

सवाल: क्या घूमते हुए या जरूरी काम से जाते हुए आपके साथ कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं कि वो बुरा अनुभव छोड़ जाएं?

जवाब: हां, ये तो होती ही हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि काफी लोग देखकर बोलते हैं कि यार ये लड़का है या लड़की है यह समझ नहीं आता। जैसे हम रहते ऐसे हैं और आधार कार्ड पर कुछ और नाम है। इसे लेकर हमेशा दिक्कत होती है।

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सवाल: क्या आपके पहचान पत्र या आधार कार्ड को लेकर आपका कोई बुरा अनुभव रहा है जब आपको लगा हो कि अब नियमों को बदलने की जरूरत है?

जवाब: बिल्कुल मैम बिल्कुल। मैं किराये पर रूम ढूंढता हूं तो मुझे बहुत दिक्कत होती है। हम रहते ऐसे हैं और काफी ऐसे होते हैं जिनका ऑपरेशन भी हो जाता है। कई लोग हार्मोन्स लेते हैं तो उनकी दाढ़ी वगैरह भी आ जाती है। ऐसे में आधार कार्ड तो पुराना ही है। अगर हम नया बनवाने जाएं, तो भी कई तरह के दस्तावेज लगते हैं। इतना हमारे पास होता तो हम ऐसे क्यों रहते। सरकार को यह समझना चाहिए कि हम ट्रांस हैं।

ट्रांस बचपन में तो कोई नहीं बनता। जब होश आता है 18 के बाद तभी बनता है। तब तक आधार कार्ड बन चुका होता है। हममें से कई ऐसे हैं जिनके सभी दस्तावेज घर वालों ने जला दिए हैं या छीन लिए हैं। वो लोग क्या करें। नया आधार कार्ड बनवाना काफी मेहनत का काम होता है। सरकार को यह समझना चाहिए कि यह ट्रांस है। ऐसे में चेंज करने के लिए थोड़ा नॉर्मल प्रोसेस होना चाहिए। या तो सरकार ही कोई ऐसी चीज बनाकर दे दे जो आधार कार्ड की तरह हो ताकि हमें कुछ और करना ना पड़े। अगर आप अदर (other) जेंडर डाल रहे हैं, तो उसके लिए कुछ करें तो सही।

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सवाल: आधार कार्ड बदलने के बाद भी दिक्कत होती है?

जवाब: अभी मैंने अपना आधार कार्ड चेंज कर लिया है, लेकिन पैन कार्ड नहीं बदल रहा। उसके लिए सिरे से मना कर दिया उन लोगों ने। आधार और पैन लिंक करवाना यहां जरूरी हो गया है। अब बताइए ऐसे में हम क्या करें? अगर हम इन दस्तावेजों के काम में लग जाते हैं, तो जॉब वाले बोलते हैं कि काम छोड़कर यही कर लो।

सवाल: पहचान पत्र के कारण आपको अन्य समस्याएं भी हुई हैं?

जवाब: बिल्कुल हुई है। मैं 2017 की बात कर रहा हूं जब मैं जॉब इंटरव्यू दे रहा था। बहुत अच्छी कंपनी थी और मेरा सिलेक्शन भी हो गया था। मुझे काम आता था और मेरी सैलरी भी अच्छी थी। वहां मैंने अपना यही नाम बताया था अपना पुराना नाम नहीं बताया था। इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी थी और वहां एक भी महिला काम नहीं करती थी। जब आधार कार्ड की बात आई तो वो पुराना ही निकला। वहां मेरा सिलेक्शन सिर्फ इसलिए ही नहीं हुआ। मैं अपने करियर में बहुत आगे बढ़ सकता था, लेकिन मेरे पास अपनी पहचान ही नहीं थी।

हम खुद ही कई लोगों को नहीं बताना चाहते कि हम क्या हैं। उनके दिमाग में 10 चीजें चलती हैं। 10 तरह की बातें होती हैं। ऐसा नहीं है कि सही कंपनियां नहीं मिली हैं जिन्होंने मुझे सही ट्रीट नहीं किया। अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि में ट्रांस लोगों को रखा जाता है, लेकिन यहां भी आधार कार्ड की दिक्कत। अगर कोई ट्रांस वुमन है और आधार कार्ड पर अनिल नाम लिखा है, तो उसे सब अनिल पुकारेंगे। ऐसे में उसे अच्छा नहीं लगेगा। इस कारण से कई लोग जॉब नहीं कर पाते। अगर हमें ऐसा ही करना होता तो हम घर पर ही रहते।

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सवाल: आने वाले समय में क्या फ्यूचर सोचा है?

जवाब: बनना तो बहुत कुछ था, लेकिन कुछ नहीं बन पाया। मैं 9 साल से नौकरी कर रहा हूं और थक चुका हूं। मैं अपना काम शुरू करना चाहता हूं जिसमें मेरे साथ-साथ मेरे जैसे अन्य लोग भी काम कर रहे हों। मैं बस यही चाहता हूं कि जल्दी से जल्दी मेरा ऑपरेशन हो, मेरा ट्रांजीशन पूरा हो और मैं अपना कुछ शुरू करूं।

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सवाल: क्या आप अपनी रिलेशनशिप के बारे में शेयर करने में कंफर्टेबल होंगे?

जवाब: मैम मैं अभी जिस रिलेशनशिप में हूं उससे पहले मैं एक लड़की से शादी कर चुका था। वो लड़की ईसाई थी, लेकिन उसके घर वालों को जब पता चला कि मैं ट्रांसमैन हूं तो वो लोग उसे ले गए। हमारा 6 साल का रिलेशन था। उसमें से दो साल हम शादी करके रहे। उसके मम्मी-पापा का एक्सीडेंट हो गया था तो वो चली गई थी। उसके बाद वो चली गई। एक-दो बार वापस आई, लेकिन उसके बाद उसने मुझे पहचानने से ही इंकार कर दिया। आज भी वो सिंगल है और उसे अब सब याद आ गया है, लेकिन उस वक्त पता नहीं क्या हो गया था।

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उस वक्त मेरी तबियत बहुत खराब हो गई थी। फिर जो हुआ उसके बाद से मैं रिलेशनशिप में हूं, लेकिन अब विश्वास नहीं होता किसी से। अभी जिस रिलेशनशिप में मैं हूं उसे फिल्मों में जाना है और वो एक ट्रांसवुमन ही है। मैं बस उससे यह कहता हूं कि जो भी करो बस तरीका सही रखना। मैं उसके सपनों के बीच में नहीं आना चाहता हूं। मैं अब आसानी से डिपेंड नहीं होना चाहता। मैंने खुद को बड़ी मुश्किल से संभाला है।

सवाल: जब आप बाहर कहीं जाते हैं, तो अभी भी जेंडर के कारण समस्या फेस करनी पड़ी है?

जवाब: हां बिल्कुल, धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है जैसे आपको भी पहले नहीं पता होगा कि ट्रांस क्या है। पर यह बहुत धीरे हो रहा है। सरकार जो हमसे वादा करती है उसका 2 प्रतिशत ही हो पाता है। जेंडर को लेकर तो हमें बचपन से ही सुनने की आदत होती है। मैं ऑपरेशन के बारे में डरता नहीं हूं। लोग कहते हैं कि इसमें मरने के भी चांस होते हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि भले ही मैं 2 दिन उस बॉडी में रहूं, लेकिन लड़का बनकर ही रहूं।

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