डोमेस्टिक एब्यूज झेलने से लेकर खुद की पहचान बनाने तक, मिलिए मॉडल, स्टाइलिस्ट, एक्टिविस्ट और आर्टिस्ट अलेशा से

अलेशा ने बचपन में डोमेस्टिक एब्यूज झेला। उन्हें अपनी आइडेंटिटी को लेकर ताने मारे गए, लेकिन अलेशा ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी जिंदगी को नया आयाम दिया। 

Alesha trans Model

अगर आपकी पहचान पर ही दुनिया सवाल उठाने लगे, तो आप क्या रिएक्शन होगा? ऐसा ही बचपन से अलेशा नथानिया से साथ हुआ। उन्हें शुरुआत में ही पता चल गया था कि वह दुनिया से अलग हैं। उनकी भावनाओं में बदलाव हो रहा है। अलेशा का कहना है कि उन्हें बहुत ही छोटी उम्र से पता था कि उन्हें लड़कों में इंटरेस्ट है। इसके बाद उन्हें रियलाइज हुआ कि वह ट्रांसवुमन हैं। अलीशा एक एब्यूजिव घर में बड़ी हुई हैं। उनके पिता हिंसक थे और उनकी मां के साथ भी मारपीट किया करते थे। यही हाल अलेशा का भी था।

जब अलेशा ने अपने बारे में घर पर बताया तब किसी भी टिपिकल भारतीय परिवार की तरह उनका रिएक्शन था। उनके परिवार ने उन्हें कन्वर्जन थेरेपी के लिए भेजा और आज तक यही कोशिश करते हैं। कहते हैं कि दुनिया से लड़ना तो आसान है, लेकिन अपने ही घर वालों से लड़ना आसान नहीं है। अलेशा के परिवार का एक और सदस्य गे था, लेकिन परिवार वालों ने उन्हें ही दोष दिया कि उनकी वजह से उनके कजिन की सेक्सुएलिटी बदली।

उसके लिए बहुत हिम्मत चाहिए और अलेशा ने भी यही किया। केरल की अलेशा सिर्फ 19 साल की हैं और इस दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए बहुत मेहनत कर रही हैं। उन्होंने NIFT दिल्ली फैशन डिजाइनिंग के कोर्स के लिए ज्वाइन किया था, लेकिन कुछ कारणों से उन्होंने कोर्स पूरा होने से पहले ही छोड़ दिया। अलेशा अब एक मॉडल हैं, स्टाइलिस्ट हैं, आर्टिस्ट हैं और एक बेमिसाल इंसान हैं।

आगे पढ़िए अलेशा से हमारी बातचीत का अंश...

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सवाल: क्या आप अपनी पर्सनल जर्नी और LGBTQ+ कम्युनिटी के एक्सेप्टेंस के बारे में कुछ बता सकती हैं?

जवाब: मुझे बचपन से ही पता था कि मैं अलग हूं और मेरा जेंडर मेरे लिए कोई समस्या नहीं था, लेकिन मेरे परिवार वालों के लिए था। जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई मेरे लिए सर्वाइवल बहुत मुश्किल हो गया। परिवार, रिश्तेदार, पड़ोसी, टीचर्स आदि सभी मुझे बुली करते थे। मुझे कई नामों से पुकारा करते थे। मैं इंट्रोवर्ट बन गई, शर्माने लगी। मैं स्कूल इवेंट्स में हिस्सा लेना चाहती थी, लेकिन नहीं ले पाती थी क्योंकि मैं उन लोगों के सामने जाने के लिए तैयार नहीं थी जिन्होंने मुझे बुली किया।

Alesha

मैंने इन कारणों से अपना बचपन खो दिया। मैं श्योर थी कि 18 के बाद मैं अपने परिवार को अपने जेंडर के बारे में बता दूंगी। पर जब ऐसा हुआ तो मेरे माता-पिता ने मेरा साथ नहीं दिया। उन्होंने मुझे कन्वर्ट करने की कोशिश की, मेरा दिमाग बदलने की कोशिश की, उन्हें अभी भी यही लगता है कि मैं बदल जाऊंगी। पर मैं अपने लिए काम कर रही हूं, अपने सपनों को पूरा कर रही हूं और मेहनत कर रही हूं।

सवाल: LGBTQ+ महिला के रूप में आपके एक्सपीरियंस ने किस तरह से आपकी जिंदगी, पर्सनल ग्रोथ और सोच को बदला है?

जवाब: बुलिंग बहुत खराब थी। पर उसने मुझे स्ट्रॉन्ग बनने में मदद की और मुझे बेहतर इंसान बी बनाया। अब मैं नेगेटिव कमेंट्स के बारे में सोचती नहीं हूं। मैंने यह शक्ति नेगेटिव कमेंट्स के जरिए ही पाई है। मेरे एक्सपीरियंस अलग हैं, लेकिन सभी के लिए ऐसा नहीं होता। बुलिंग के कारण लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं। मैं समझती हूं कि बुलिंग सिर्फ आपको तभी मजबूत बनाएगी जब आप नेगेटिव कमेंट्स को पॉजिटिव लें। (बच्चे होते हैं बुली तो ऐसे बढ़ाएं उनका मनोबल)

Alesha Nathania

सवाल: LGBTQ+ समुदाय के एक सदस्य के रूप में आपने किन चुनौतियों का सामना किया है और कौन सी परेशानियां अभी भी होती हैं?

जवाब: ट्रांसवुमन और मॉडल के तौर पर मुझे लगता है कि मुझे मौके ज्यादा नहीं मिलते हैं। अगर कोई फीमेल मॉडल होती, तो उसे शायद ज्यादा अवसर मिलते। मैंने इंडस्ट्री में ही कई बुरे अनुभवों को देखा है और मैं यह मानती हूं कि मेरे जेंडर के कारण काम मिलने में परेशानी होती है। जब हम पब्लिक प्लेस पर जाते हैं, तो लोग ट्रांस होने के कारण अजीब तरह से घूरते हैं। हमें नॉर्मलाइज ट्रांजीशन और जेंडर आइडेंटिटी को सामान्य करने की कोशिश करनी चाहिए।

जेंडर और सेक्सुएलिटी को सामान्य करने की बहुत जरूरत है।

सवाल: आप प्रोफेशनल सेटिंग्स में अपनी आइडेंटिटी कैसे देखती हैं? करियर के मामले में किस तरह का स्ट्रगल रहा है?

जवाब: कई बार लोग सिर्फ फीमेल मॉडल्स को अपने प्रोजेक्ट्स में कास्ट करते हैं। मुझे लगता है कि हमेशा लोग मेरे जेंडर पर सवाल उठा रहे हैं और मुझे किसी से वैलिडेशन की जरूरत नहीं है। पे स्केल काफी कम है और मौके भी कम मिलते हैं।

Story of Alesha Nathania

सवाल: आपके हिसाब से आम भ्रांतियां क्या हैं, किस तरह से स्टेरियोटाइप्स से LGBTQ+ कम्युनिटी को देखा जाता है?

जवाब: यह बताना आसान नहीं है। लोग LGBTQ कम्युनिटी को सेक्स टॉय के रूप में देखते हैं। 2023 में जिस सोसाइटी में हम रहते हैं वहां हम इंसान नहीं सिर्फ शरीर के तौर पर देखे जाते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि यह मेंटल इशू है, लेकिन उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं रहती है। उन्हें लगता है कि हमें सिर्फ भ्रम हुआ है और हमें दवाओं से ठीक किया जा सकता है। अगर लोगों को यह पता ही नहीं है कि हम क्या हैं और क्या महसूस करते हैं, तो हम कैसे उम्मीद करें कि वो हमें समझेंगे।

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सवाल: क्या आप ऐसे ऑर्गेनाइजेशन और इनिशिएटिव्स के बारे में बता सकती हैं जिनके साथ आप इन्वॉल्व हैं और LGBTQ+ राइट्स को प्रमोट करती हैं? उनका किस तरह का इम्पैक्ट रहा है?

जवाब: भारत में ऐसे कई संस्थान हैं जो LGBTQ+ कम्युनिटी को प्रमोट कर रहे हैं जैसे नाज फाउंडेशन, नजरिया, क्वीरीथम आदि। ऐसे ऑर्गेनाइजेशन ने LGBTQ कम्युनिटी के बारे में समझने के लिए युवाओं की बहुत मदद की है। इन्होंने लोगों की मानसिकता को बदलने के लिए बहुत मदद की है। अगर कोई भ्रांति है, तो उन्हें सुलझाने में मदद की है। इस तरह के ऑर्गेनाइजेशन LGBTQ कम्युनिटी के लोगों की आवाज को और बुलंद बनाने में मदद करते हैं।

Story of Alesha

सवाल: क्या आप LGBTQ+ रोल मॉडल्स के बारे में बता सकती हैं जिन्होंने आपको इंस्पायर किया है?

जवाब: सुशांत दिग्विकर, एमजे रॉड्रिग्ज, लावेर्न कॉक्स, त्रिनेत्र हल्दर गुम्मराजू कुछ ऐसे एक्टिविस्ट और रोल मॉडल्स हैं जिन्होंने मुझे नई दिशा दी और मुझे इंस्पिरेशन दी।

सवाल: आपकी जिंदगी से जुड़ा ऐसा कोई किस्सा जो आप हमारे साथ शेयर करना चाहें?

जवाब: बचपन में मुझे रंगों का, मेकअप का, अलग-अलग तरह से ड्रेस अप होने का बहुत शौक था। मैं फिल्मों और फैशन शो में आने वाले फीमेल कैरेक्टर्स से बहुत इंस्पायर होती थी। मेरी मां फैशन शो देखती थी और उन्होंने मुझे यह समझने में मदद की कि बड़े होकर मुझे क्या बनना है। मैंने अपने माता-पिता को बताया कि मैं फैशन इंडस्ट्री में करियर बनाना चाहती हूं। उन्होंने इसपर सपोर्ट किया और मैंने दिल्ली NIFT ज्वाइन कर लिया। अपने सपने की तरफ यह मेरा पहला कदम था। मैंने 18 के बाद मॉडलिंग शुरू की और मेरा सपना है कि मैं मिस वर्ल्ड या इंटरनेशनल मॉडल बन सकूं। हां, जिंदगी में बहुत सारी परेशानियां आती हैं, लेकिन मैं उनसे लड़ रही हूं और आगे बढ़ रही हूं।

अलेशा की जिंदगी एक खुली किताब की तरह है। उन्हें खुद के लिए लड़ना आता है। अलेशा अभी ट्रांजीशन फेज में हैं और अपनी जिंदगी को एक मुकाम तक पहुंचाने के लिए बहुत मेहनत कर रही हैं।

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