श्रद्धा वाल्कर ये वो नाम है जिसने इस समय पूरे हिंदुस्तान को चौंका दिया है। जो घटना हुई है वो इतनी विभत्स्य है कि इसकी कल्पना करना आसान नहीं है। पर ये एकलौता ऐसा केस नहीं है जहां एक पार्टनर ने अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी की हत्या कर दी है। Journal of Epidemiology & Community Health में पब्लिश एक स्टडी ने बताया कि भारत में हर 3 में से 1 महिला के साथ किसी न किसी तरह की घरेलू हिंसा की जाती है। 21% के साथ बहुत ही गंभीर समस्याएं होती हैं।
अगर सिर्फ कोविड के डेटा को देखें तो लॉकडाउन के समय घरेलू हिंसा के रिपोर्टेड मामलों में 53% बढ़त हुई थी। घरेलू हिंसा किसी भी तरह से हो सकती है और किसी भी तरह का शोषण महिलाएं झेल सकती हैं। एक तरह से देखा जाए तो भारत जैसे देश में जहां ये माना जाता है कि शादियों का सक्सेस रेट बहुत ज्यादा है पर असलियत तो ये है कि हर 3 में से 1 महिला अपने पार्टनर से किसी न किसी तरह से परेशान है।
National Crime Records Bureau - राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में 4,28,278 मामले दर्ज हुए जिनमें महिलाओं के खिलाफ किसी न किसी तरह की हिंसा की घटना को बताया गया था। इसमें से 32% 'cruelty by husband' यानी पति के हाथों निर्दयता की कैटेगरी में थे।
ये सरकारी डेटा बताता है कि 'घर' महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है और लॉकडाउन में जिस तरह से हिंसा के मामले बहुत बढ़े थे वो बहुत ही ज्यादा चिंताजनक स्थिति थी।
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अब बात करते हैं रिलेशनशिप से जुड़ी समस्याओं की। इस मामले के बारे में जानने के लिए हमने दो जानी मानी साइकोलॉजिस्ट्स से बात की।
डॉक्टर भावना का कहना है कि, 'अगर आपका पार्टनर आपको तकलीफ पहुंचाने के बाद भी गिल्टी फील नहीं करता। उसे किसी भी गलत फैसले को लेकर बुरा नहीं लगता है और हमेशा आपकी गलती बताने की आदत है। इस तरह का व्यवहार कई बार कानून तोड़ने तक भी पहुंच जाता है। ये समझना जरूरी है कि किसी भी तरह की हिंसा सही नहीं है। आपको ये ध्यान देना चाहिए कि अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो ये गलत ही है और इसके लिए आप बहाने ना ढूंढें।'
'अगर आपके आस-पास भी ऐसा होता दिख रहा है तो हो सकता है कि सामने वाले को मदद की जरूरत हो। एब्यूसिव पार्टनर हिंसक हो सकता है और अगर वो गिल्टी फील नहीं कर रहा है तो उसे किसी भी हद तक जाने में कोई बुराई नहीं महसूस होगी। चुप रहना अधिकतर ऐसे लोगों की हिम्मत को बढ़ा देता है।'
डॉक्टर निष्ठा कहती हैं कि, 'सबसे पहले आपको ये समझने की जरूरत है कि आपकी जिंदगी में जो भी पार्टनर होगा या जो भी रिलेशनशिप होगी वो सही ही होगी और जिंदगी भर के लिए होगी वो सोचना हमें छोड़ना चाहिए। अगर रिश्ते में कंसेंट नहीं है, अगर आपकी रिस्पेक्ट नहीं है, अगर बार-बार वॉयलेंस हो रही है तो आपको सोचने की जरूरत है। पहले हमें ये सोचना चाहिए कि हमारी बाउंड्री क्या है। क्या हमारा पार्टनर हमारी बाउंड्रीज की रिस्पेक्ट करता है? क्या प्राइवेसी की रिस्पेक्ट करता है? क्या परिवार और फाइनेंशियल स्टेटस की रिस्पेक्ट करता है? क्या आपके न कहने पर वो समझता है?'
'आपके रिश्ते में ट्रांसपेरेंसी है या नहीं है और आपसे कहीं बातें छुपाई तो नहीं जा रही हैं? आपको ये भी समझना चाहिए कि कहीं ऐसा तो नहीं हो रहा कि रिलेशनशिप की हर खराब चीज़ को लेकर आपको ही ब्लेम किया जा रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं हो रहा कि हर चीज़ को लेकर गलती निकाली जा रही है।'
'दूसरा लक्षण है डायरेक्ट एब्यूज, अगर आपको वर्बल और फिजिकल एब्यूज झेलनी पड़ रही है तो ये गलत है। यहां ऐसा क्यों हुआ सोचने की जगह ऐसा हुआ है और मुझे इसके बारे में कुछ करना चाहिए ये सोचना चाहिए। ऐसे समय में आपके लिए सबसे अच्छा तरीका होगा कि आप अपनों का साथ लें, किसी की मदद लेने से ऐसे समय में बहुत मदद मिल सकती है। कई बार एक्सपर्ट्स की मदद लेनी भी जरूरी हो जाती है। कई बार हम अपने पार्टनर को खोने से इतना डरते हैं कि उसके आगे कुछ सूझता नहीं है और ऐसे में समस्या बढ़ जाती है। इस डर को खत्म करके पहला स्टेप लेना बहुत जरूरी है।'
'आपको ये बिल्कुल ध्यान रखना है कि किसी भी तरह की हिंसा झेलना आपके लिए ही खतरा होगा। ये फिजिकल हो सकती है, ये वर्बल हो सकती है, ये अपमानजनक बातें हो सकती हैं या कुछ और भी हो सकता है, लेकिन आपकी बाउंड्री आपको ही सेट करनी है।'
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दोनों साइकोलॉजिस्ट्स से बात करके कुछ लक्षण सामने आए हैं जो किसी भी एब्यूसिव या हिंसक पार्टनर में हो सकते हैं। इन लक्षणों से सावधान रहना चाहिए -
अगर आपका पार्टनर किसी भी तरह की हिंसा आपके साथ करता है तो वो सही नहीं है। इसे लेकर आपको मदद मांगनी चाहिए और शिकायत भी दर्ज करवानी चाहिए। हिंसा का कोई बहाना नहीं हो सकता है। घरेलू हिंसा किसी भी तरह से मान्य नहीं हो सकती है।
ये किसी भी तरह से हो सकता है। आपका पार्टनर दूसरों के सामने आपका मज़ाक बनाता है, आपके फाइनेंशियल स्टेटस या आपके परिवार का मज़ाक बनाता है। आपको नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ता है।
ये किसी भी तरह से हो सकता है। आपकी ना को ना मानना और फिर भी फिजिकल रिलेशन बनाने की जिद करना। आपको कहीं आने-जाने ना देना, किसी चीज़ को खरीदने पर या ऐसी ही किसी छोटी सी बात पर गुस्सा दिखाना।
आपकी प्राइवेट चैट पढ़ना, घर वालों या दोस्तों से बात करने में गुस्सा दिखाना, दोस्तों से मिलने में आपत्ति जताना। अपनी बातों को छुपाकर रखना और अपने दोस्तों से आपको ना मिलवाना। ये सब कुछ शक के घेरे में आ सकता है।
किसी भी बात को लेकर सीधा जवाब ना देना। बार-बार झूठ बोलना और सवाल करने पर गुस्सा दिखाना ये सब कुछ खराब साबित हो सकता है। अगर आप कोई सवाल करती हैं तो पार्टनर का सवाल का जवाब ना देना और बहाने बनाकर बातों को आपकी ओर टाल देना और गुस्सा दिखाना या धमकाना गलत है।
इसे लेकर कई तरह के वाद-विवाद पहले भी आपने देखे होंगे। दरअसल, भारत में एक ट्रेंड है जहां महिला को अपने घर में सुरक्षित महसूस नहीं करवाया जाता। छेड़छाड़ की शिकायत पर ये कहा जाता है कि 'लोग क्या कहेंगे, अपने आने-जाने का रास्ता बदल लो।', तलाक के बारे में सोचने पर भी यही कहा जाता है। पति की पिटाई को लेकर महिलाएं ही समझाती हैं कि ये तो होता ही रहता है इसे झेल लेना चाहिए।
ये सोच गलत है और घरेलू हिंसा कब इतना विभत्स्य जुर्म बन जाए इसका भरोसा नहीं किया जा सकता है। ऐसे ना जाने कितने मामले हमने देखे हैं जहां इस तरह का जुर्म पार्टनर द्वारा किया गया है। ऐसे मामलों में चुप ना बैठें और मदद मांगें।
आपका इस मामले में क्या ख्याल है ये हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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