शास्त्रों में बताए गए इन तीन ऋणों को चुकाना क्यों माना जाता है बेहद जरूरी

आज हम आपको हिन्दू धर्म में बताए गए उन तीन ऋणों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें चुकाना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।   

 debt in hinduism

Debt In Hinduism: जब भी बात ऋण की आती है तो दिमाग में बस पैसों से जुड़े ही ख्याल आते हैं। वहीं, हिन्दू धर्म में भी ऋण के विषय में बहुत कुछ बताया गया है। हालांकि धर्म ग्रंथों में जिस ऋण का उल्लेख मिलता है वह पैसों वाले ऋण से बेहद अलग है।

हिन्दू धर्म में तीन विशेष ऋणों का महत्व बताया गया है। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से जब हमने इस बारे में पूछा तो उन्होंने हमें शास्त्रों में वर्णित तीन ऋणों से जुड़ी अत्यंत महत्वपुर्ण जानकारियां दी जो आज हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं।

शास्त्रों में देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण के बारे में उल्लेख मिलता है। हिन्दू धर्म के अनुसार, जो व्यक्ति इन ऋणों को नहीं उतारता उसे न सिर्फ वर्तमान और भविष्य में बल्कि अगले जन्म में भी दुख और संताप उठाना पड़ता है।

देव ऋण

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  • देव ऋण में आपके कुल देवता या जिस भी भगवान को आप मानते हैं उनका ऋण चुकाना होता है। सभी मांगलिक कार्यों में देवताओं का आवाहन किया जाता है।
  • देवताओं के आशीर्वाद से ही घर में सुख, समृद्धि और सम्पन्नता बनी रहती है।
  • ऐसे में देव ऋण को उतारना भी महत्वपूर्ण और आवश्यक बताया गया है।
  • देव ऋण उतारने के लिए नियमित रूप से पूजा-पाठ (पूजा-पाठ से जुड़ी इन चीजों का टूटना शुभ या अशुभ) और पुण्य कर्म करने चाहिए।
  • इसके अलावा, देवताओं को स्मरण कर यज्ञ-अनुष्ठान आदि में उनका स्थान अवश्य रखना चाहिए।

पितृ ऋण

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  • पितृ ऋण में पिता पक्ष आता है। यानी कि दादा-दादी, ताऊ, चाचा और इसके पूर्व की तीन पीढ़ी का कर्म इस परिवार के वर्तमान में स्थिति पुरुष और उसके पूरे परिवार को प्रभावित करता है।
  • एक व्यक्ति के भरण पोषण में उसके पिता का अत्यधिक महत्व होता है। शास्त्रों में पितृ भक्ति को मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म माना गया है।
  • ग्रंथ-पुराणों के अनुसार, जो व्यक्ति पिता के इस अमूल्य ऋण को उनकी अहर्निश सेवा और मृत्यु के पश्चात नियमानुसार श्राद्ध कर्म करके नहीं चुकाता है उसकी आने वाली पीढ़ी पितृ दोष से परेशान रहती है।

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ऋषि ऋण

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  • हर व्यक्ति किसी न किसी ऋषि का वंशज है। मुख्य रूप से जिन सप्त ऋषियों (कौन हैं सप्त ऋषि) का उल्लेख मिलता है उन्हीं के गोत्र में हर एक मनुष्य का जन्म होता है।
  • ज्यादातर लोग उस गोत्र को नाम के साथ नहीं जोड़ते हैं जिससे उनके ऊपर ऋषि ऋण चढ़ जाता है।
  • इसलिए अपने गोत्र को अपने नाम के साथ जोड़ना और हर शुभ कार्य में उस गोत्र से जुड़े ऋषि को स्मरण करना ही ऋषि ऋण से मनुष्य को बचाए रख सकता है।

तो ये थे हिन्दू धर्म के वो तीन ऋण जिन्हें चुकाना आवश्यक माना गया है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Pexels, Pinterest

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