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7 Sages: कौन हैं वो सप्तऋषि जिनके बिना ज्योतिष गणना भी है अधूरी

हिन्दू धर्म में सप्तऋषि ज्योतिष गणना का मूल आधार माने जाते हैं। इनके बिना ग्रह-नक्षत्रों का कोई महत्व नहीं है।  
Editorial
Updated:- 2022-11-30, 11:07 IST

7 Sages: हिन्दू धर्म में ऋषि-मुनियों को पूजनीय माना गया है। धर्म शास्त्रों और ग्रंथों में कई ऐसे दिव्य और तपस्वी ऋषियों का नाम वर्णित है जिन्होंने अपने तप और कर्म से समाज का उद्धार किया है। इन्हीं में शामिल हैं वो सप्तऋषि जिनके बिना ज्योतिष शास्त्र की रचना और उससे जुड़ी सभी गणनाएं संभव ही नहीं।

हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स का कहना है कि हिन्दू धर्म में उल्लेखित सप्तऋषि ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अगर तारामंडल में इनकी मौजूदगी न हो तो ग्रह-नक्षत्रों का भी कोई मोल नहीं रह जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं कौन हैं सप्तऋषि और कैसे हुई इनकी उत्पत्ति।

सप्तर्षियों के नाम (7 Sages Name)

saptarishi

  • कश्यप: कश्यप ऋषि सभी देवताओं एवं दैत्यों के पिता माने जाते हैं।
  • अत्रि: अत्रि ऋषि ने श्री राम के वनवास के दौरान उन्हें कई ज्ञानवर्धक बातें बताई थीं। इसके अलावा, ऋषि अत्रि भगवान दत्तात्रेय के पिता भी हैं।
  • विश्वामित्र: ऋषि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की थी। इन्होनें ही श्री राम और माता सीता का विवाह भी कराया था।

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  • गौतम: श्री राम के द्वारा जिन माता अहिल्या को श्राप से मुक्ति मिली थी वह ऋषि गौतम की भार्या थीं।
  • जमदग्नि: जमदग्नि ऋषि भगवान विष्णु (भगवान विष्णु को क्यों कहते हैं नारायण) के अवतार भगवान परशुराम के पिता हैं।
  • वशिष्ठ: ऋषि वशिष्ठ राजा दशरथ के कुल गुरु थे। इन्होनें ही श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को शिक्षा प्रदान की थी।
  • भारद्वाज: ऋषि भारद्वाज ने आयुर्वेद समेत कई दिव्य ग्रंथों की रचना की थी।

सप्तर्षियों की उत्पत्ति (7 Sages Birth)

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विष्णु पुराण समेत सभी ग्रंथों में सप्त ऋषियों का उल्लेख मिलता है। पुराणों के अनुसार, सप्तर्षियों का जन्म ब्रह्मा जी के मस्तिष्क से हुआ था और शिव जी (कौन हैं भगवान शिव की 5 बेटियां) ने गुरु का दायित्व संभालते हुए इन सप्तऋषियों को शिक्षा और ज्ञान प्रदान किया था।

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सप्तऋषियों का ज्योतिष में महत्व (7 Sages In Astrology)

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  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, सप्तर्षियों की उत्पत्ति सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए हुई थी। संसार में कर्म, धर्म, मर्यादा आदि सभी गुणों के प्रचार-प्रसार एवं उसके विस्तार के लिए सप्तऋषियों को नियुक्त किया गया था।
  • सप्तऋषि अपने प्रभाव से सृष्टि में शांति और सुख की स्थापना करते हैं। सप्तऋषि ग्रहों को भी नियंत्रित रखते हैं। अगर किसी ग्रह या नक्षत्र का प्रभाव व्यक्ति के कर्म के फल से अधिक उसे मिल रहा है फी चाहे वो शुभता के रूप में हो या अशुभता के रूप में सप्तऋषि उसे नियंत्रित करते हैं।
  • तारा मंडल में सप्त ऋषि 7 तारों के रूप में स्थापित हैं और ध्रुव तारे की परिक्रमा लगाते हैं। फाल्गुन-चैत्र माह से लेकर श्रावण-भाद्र माह तक इन सप्तऋषियों के दर्शन सरलता से संभव हैं।

तो ये था सप्तऋषियों का ज्योतिष में महत्व। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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