Panchmukhi Hanuman Ki Puja: हिन्दू धर्म में सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। इसी कड़ी एमिन मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा का विधान है। हनुमान जी की पूजा करने से न सिर्फ बल और साहस की प्राप्ति होती है बल्कि राम कृपा और भक्ति का भी संचार होता है।
ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स का कहना है कि हनुमान जी की पूजा किसी भी रूप में की जाए परम सुख दायक और फलदायी होती है लेकिन पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। पंचमुखी हनुमान जी की पूजा न सिर्फ सामान्य पूजा से भिन्न है बल्कि इसका प्रभाव भी शीघ्र पड़ता है।
पंचमुखी हनुमान जी की कथा
- रामायण के अनुसार, रावण ने श्री राम से युद्ध के समय अपने कई पराक्रमी योद्धाओं और महाबलशाली भाइयों का सहयोग लिया था लेकिन जब उसने यह देखा कि एक से एक महा असुर भी राम सेना के समक्ष टिक नहीं पा रहा है तब उसने अपने भाई अहिरावण को बुलाया। अहिरावण ने अपने मायावी छल से श्री राम (श्री राम और माता सीता की विवाह के दौरान क्या थी उम्र) और लक्ष्मण जी का अपहरण कर लिया और उन्हेई मूर्छित कर पाताल लोक गया।
- असल में यह समय था जब हनुमान जी पंचमुखी रूप धारण कर संसार में अपने इस स्वरूप की स्थापना करें। इसी कारण से श्री राम ने यह लीला रचाई वरना ब्रह्मांड में ऐसा कोई नहीं जो श्री हरि विष्णु अवतार श्री राम और शेषनाग अवतार लक्ष्मण जी को छल सके। बहराल कथा पर पुनः लौटते हुए बता दें कि अहिरावन ने श्री राम और लक्ष्मण को एक कक्ष में रख दिया और दोनों के वध की तैयारी में जुट गया।

- हनुमान जी जब राम जी और लक्ष्मण भैय्या को ढूंढते-ढूंढते पाताल लोक पहुंचे तब उन्होंने देखा कि अहिरावण हवन कर श्री राम और लक्ष्मण जी की बलि देने की तैयारी में है। हनुमान जी ने अहिरावण को युद्ध के लिए ललकारा और दोनों में युद्ध छिड़ गया। बहुत देर तक भी जब हनुमान जी युद्ध करने के बाद भी अहिरावण की मृत्यु कर पाने में सक्षम नहीं हो पाए तब उन्होंने मां पार्वती का स्मरण किया।
- माता पार्वती हनुमान जी के सामने प्रकट हुईं और उन्हें बताया कि अहिरावण की मृत्यु तभी संभव है जब उसके महल के पांच कोनों में रखे पांच दीपक एक साथ एक ही समय पर बुझाए जाएं। तब हनुमान जी ने मध्य में खड़े होकर पांच मुख प्रकट किये और अलग-अलग दिशाओं में उन मुखों को घुमाकर दीपक बुझा दिए जिसके बाद हनुमान जी द्वारा अहिरावण का वध संभव हो सका। तभी से पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का आरंभ हुआ।
पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का महत्व
- पंचमुखी हनुमान जी के पांच मुख पांच अलग-अलग दिशाओं की तरफ हैं। हर एक मुख का अपना विशेष महत्व है। हर एक मुख एक जीवा और उससे जुड़ी खूबियों को दर्शाता है। पंचमुखी हनुमान जी के 5 मुख- पहला वानर का, दूसरा गरुड़ का, तीसरा वराह का, चौथा नृसिंह का और पांचवा अश्व का। जहां एक तरह पंचमुखी हनुमान जी के इस स्वरूप में वानर मुख पूर्व दिशा में है। तो वहीं, गरुड़ मुख पश्चिम दिशा में है।

- पंचमुखी हनुमान जी (हनुमान जी की पत्नी और ससुर का नाम) का वराहमुख उत्तर दिशा में है तो नृसिंहमुख दक्षिण दिशा में है। हनुमान जी का अश्व मुख आकाश की दिशा में है। वानर मुख दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है। गरुड़ मुख जीवन की बाधाओं को हरता है। लंबी उम्र, प्रसिद्धि, बल और शक्ति का परिचायक है। नृसिंह मुख मन से डर और तनाव को दूर करता है। अश्व मुख समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
पंचमुखी हनुमान जी की पूजा विधि
- पंचमुखी हनुमान जी की पूजा हनुमान जी के सामान्य रूप से भिन्न है। पंचमुखी हनुमान जी मूर्ति या तस्वीर घर की दक्षिण दिशा में ही स्थापित करनी चाहिए। यूं तो हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष दिन मंगलवार और शनिवार है लेकिन पंचमुखी हनुमान जी की पूजा सप्ताह के किसी भी पांच दिन की जा सकती है।

- पंचमुखी हनुमान जी को सिन्दूर नहीं चढ़ाया जाता है बल्कि लाल रंग का फूल या चमेली का तेल अर्पित करना शुभ फलदायी होता है। पंचमुखी हनुमान जी की पूजा में नियमों के उलंघन की कोई गुंजाइश नहीं है। इसी कारण से हनुमान जी के पंचमुखी रूप की पूजा करना कठिन माना जाता है।
तो ये था पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Freepik, herzindagi, pinterest
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