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significance of eating rice and bottle gourd on first day of chhath puja

Chhath Puja Lauki Bhat 2024: छठ पूजा के पहले दिन व्रती महिलाएं क्यों खाती है लौका भात?

छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय के दौरान व्रती महिलाएं लौका-भात क्यों खाती हैं। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2024-11-05, 11:23 IST

हिंदू धर्म में छठ पूजा की विशेष मान्यता है। वहीं इस महापर्व का आरंभ नहाय खाय के साथ होता है और माताएं इस व्रत का समापन चौथे दिन सूर्यदेव को सुबह अर्घ्य देकर करती हैं। यह पर्व निर्जला रखी जाती है और इस दौरान सभी माता शुद्धता का बेहद ध्यान रखती हैं। छठ पूजा के दौरान माता पूरी श्रद्धा के साथ पकवान बनाती हैं र छठी माता के साथ-साथ सूर्यदेव को अर्पित करती हैं। अब ऐसे में छठ पूजा के पहले दिन यानी कि नहाय-खाय के दिन व्रती महिलाएं लौका भात क्यों खाती हैं। इसका महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

छठ पूजा के दिन व्रती महिलाएं क्यों खाती है लौका-भात?

lauki bhaat

छठ पूजा के इस लोक आस्था के महापर्व का आरंभ नहाय-खाय के साथ होता है। इस दिन लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल यानी की भात खाने का विशेष महत्व है। इस पर्व की सबसे बड़ी महत्ता यह है कि इसमें शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। छठ पूजा का व्रत महिला और पुरुष कोई भी रख सकता है।

इस पर्व में सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। नहाय-खाय के इस पर्व में कुछ ऐसी चीजों को शामिल किया जाता है। जिससे व्रत के दिन भूख और प्याल कम लगे। नहाय-खाय के दिन बिना प्याज और लहसून की सब्जी बनती है। इस दिन कई लोग लौकी या कद्दू का सेवन करते हैं।

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नहाय-खाय के दिन कद्दू के साथ-साथ लौकी का सेवन करने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व शामिल है। ऐसा कहा जाता है कि यह पर्व निर्जला पूरे 36 घंटे तक रखा जाता है। जिसके कारण शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इसलिए भात और लौका में पानी की मात्रा और पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। जिसके कारण व्रती को व्रत के दौरान शक्ति मिलती है।

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ज्योतिष शास्त्र में लौका भात का महत्व क्या है?

nahay khay

ज्योतिष शास्त्र में लौकी और संबंध मन की शांति से है। ऐसा कहा जाता है कि नहाय खाय के दिन जो व्रती महिलाएं इसका सेवन करती हैं। उनका मन शांत और एकाग्र रहता है। जिसके कारण उन्हें व्रत रखने में मदद मिलती है। साथ ही लौकी और भात को सकारात्मकता और शुद्धता का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए इसका सेवन करने से व्रत रखने के दौरान मन में किसी भी प्रकार का कोई नकारात्मक विचार नहीं आता है।

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