'पढ़ेगा-लिखेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया'। शायद आपने ये शब्द कभी ना कभी सुना या पढ़ा हो, लेकिन क्या कभी इस शब्द के पीछे का अर्थ आपने समझे की कोशिश किया है। इसका मतलब होता है, हमारे देश में जीतनी अच्छी शिक्षा मिलेगी हमारा देश उतना ही आगे बढ़ेगा। लेकिन, शिक्षा के क्षेत्र में हमारा देश तभी आगे बढ़ सकता है, जब लोग साक्षर यानि शिक्षित अधिक हो। इसीलिए हर साल साक्षरता दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है। आज इस लेख में हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि आखिर साक्षरता दिवस का विचार कब आया? और इसे क्यों मनाया जाता है? तो चलिए इस ज्ञानवर्धक सफर को शुरू करते है और जानते हैं इसके पीछे की कहानी को-
यूनेस्को ने शिक्षा के प्रति विश्व के सभी लोगों में जागरूकता फ़ैलाने के लिए शिक्षा पर जोर दिया। यूनेस्को अपने अभियान से सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहता था कि लोगों में शिक्षा के प्रति रूचि बढ़े और सब को सम्मान शिक्षा मिले। इसलिए यूनेस्को ने ये फैसला किया किया शहर से लेकर गांव और देहात तक, सभी लोगों में जागरूकता फैलाएंगी, जिसके माध्यम से सब को प्रेरणा मिल सके कि शिक्षा कितनी ज़रूर है। तब से विश्व भर में 'विश्व साक्षरता दिवस' मनाया जाता है।
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कहा जाता है साल 1965 से एक विश्व मंच पर विश्व के कई नेता बैठे कर ये फैसला लिया कि विश्व से अशिक्षित यानि निरक्षरता को खत्म करने की ज़रूरत है। इस बैठक में ये फैसला लिया गया कि एक तारिक या दिन का निर्णय लिया जाए दिन दिन 'विश्व साक्षरता दिवस' दिवस मनाया जाए। कई किताबों और लेखों में लिखा मिलता है कि ये बैठक ईरान के शर तेहरान में हुआ था। (राफेल स्क्वाड्रन की पहली महिला फाइटर पायलट)
साल 1965 के बाद में ये फैलसा लिया गया की हर साल विश्व भर में 8 सितंबर 'विश्व साक्षरता दिवस' दिवस मनाया जायेगा और विश्व के सभी लोगों में ये जागरूकता फैलाई जाएगी कि शिक्षा सब का अधिकार है और सब को शिक्षित करना है। (भारत के प्रसिद्ध पेंटर्स)
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इसका कोई अभी अधिकारिक जानकारी नहीं है कि भारत में फ़िलहाल साक्षरता दर कितना है लेकिन, कहा जाता है कि भारत में साक्षरता लगभग 77 फीसदी से अधिक है। ये भी कहा जाता है देश में सबसे अधिक शिक्षित राज्य केरल है जहां लगभग 97 फीसदी को शिक्षित है। आंध्र प्रदेश को इस मामले में सबसे नीचे बताया जाता है। (फ्लोटिंग शेल्फ डेकोरेट आईडियाज)
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