साल भर में 4 नवरात्रि आती हैं, हिंदू धर्म में सभी का अलग-अलग महत्व होता है। इनमें से 2 गुप्त नवरात्रि होती हैं। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि को हिंदू परिवार में धूम-धाम से मनाया जाता है। खासतौर पर शारदीय नवरात्रि को बहुत ही शुभ माना गया है। शारदीय नवारात्रि के नौ दिन लोग बेहद उत्साह के साथ देवी दुर्गा की पूजा करते हैं।
साल भर के इंतजार के बाद एक बार फिर से शारदीय नवरात्रि का त्यौहार आ गया है। लोगों ने भी देवी दुर्गा के स्वागत की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। इस बार नवरात्रि कब से शुरू हो रही हैं और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है, यह जानने के लिए हमनें उज्जैन के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य मनीष शर्मा से बात की और जाना कि देवी दुर्गा का आगमन इस बार कैसे होगा और किस दिन किस देवी की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होंगे।
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इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू हो रही हैं। यादि आप घर पर कलश स्थापना करती हैं तो इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात:काल 6:27 बजे से 10:13 बजे तक है।
शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने के बाद देवी दुर्गा का विधिवत पूजन करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। चलिए पंडित जी से जानते है देवी दुर्गा की पूजा करने की सही विधि क्या है-
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मां दुर्गा के जब वाहन की बात आती हैं तो जहन में सिंह की तस्वीर उभर आती है। मगर हर वर्ष नवरात्रि के अवसर पर जब मां दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं तो उनकी सवारी विशेष होती है। पंडित मनीष शर्मा बताते हैं, ' मां दुर्गा के वाहन अनेक हैं। इस वर्ष देवी दुर्गा घोड़े पर सवार हो धरती पर पधारेंगी। वैसे तो मां दुर्गा हर व्यक्ति को उसके आचरण और कमग् के मुताबिक ही फल देती हैं। मगर नवरात्रि के अवसर पर मां दुर्गा की सवारी भविष्य में होने वाली विशेष घटनाओं की ओर भी संकेत करती है। हर साल मां दुर्गा अलग वाहन पर आती हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि मां दुर्गा का पृथ्वी पर आगमन शनिवार के दिन होता है तो मां घोड़े पर सवार हो कर आती हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि शनिवार के दिन है। इसलिए मां का अगमन घोड़े पर होगा। जब ऐसा होता है तो इसके फल मानव जाति के लिए शुभ नहीं होते हैं।' इतना ही नहीं, इस बार मां दुर्गा के वापिस लौटने की सवारी भैंस होगी, यह भी शास्त्रों में अशुभ ही माना गया है।
17 अक्टूबर, शनिवार- मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना, प्रतिपदा
18 अक्टूबर, रविवार - मां ब्रह्मचारिणी पूजा, द्वितीया
19 अक्टूबर, सोमवार- मां चंद्रघंटा पूजा, तृतीया
20 अक्टूबर, मंगलवार- मां कुष्मांडा पूजा, चतुर्थी
21 अक्टूबर, बुधवार - मां स्कंदमाता पूजा, पंचमी
22 अक्टूबर, गुरुवार- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा, षष्ठी
23 अक्टूबर शुक्रवार - मां कालरात्रि पूजा, सप्तमी
24 अक्टूबर, शनिवार- मां महागौरी दुर्गा पूजा, अष्टमी
25 अक्टूबर, रविवार- मां सिद्धिदात्री पूजा, नवमी
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Image credit: Freepik, Arunachal observer
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