इस वर्ष अक्टूबर के महीने में 15 दिन अधिक मास के पड़ रहे हैं, जो 17 अक्टूबर को खत्म भी हो जाएंगे। अधिक मास के खत्म होते ही इस माह बहुत सारे बड़े त्यौहार आएंगे। इनमें से नवरात्र और दशहरा ऐसे त्यौहार हैं, जिन्हें पूरा देश बहुत ही उत्साह से मनाता है। इसके अलावा भी अक्टूबर में कई पर्व पड़ रहे हैं, जिनकी तिथि और शुभ मुहूर्त हमें उज्जैन के पंडित कैलाश नारायण बता रहे हैं।
शारदिय नवरात्र आरंभ (घटस्थापना), 17 अक्टूबर 2020
17 अक्टूबर से शारदिय नवरात्र प्रारंभ हो जाएगी। इस दौरान कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। इस दिन शुभ मुहूर्त पर घरों में पूरे विधि-विधान के साथ कलश स्थापना की जाती है। कुछ लोग अपने घरों में जवारे भी बोते हैं और पूरी नवरात्र भर इन जवारों में जल चढ़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन जवारों को देवी जी का ही स्वरूप माना जाता है। नवरात्र के आखिरी दिन कन्या भोज के बाद इन जवारों को विसर्जित कर दिया जाता है।
शुभ मुहूर्त : सुबह 6:23 बजे से 10:11 बजे तक।
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कल्परम्भ, 21 अक्टूबर 2020
नवरात्र की षष्ठी से कल्परम्भ की पूजा शुरू होती है। यह बहुत ही विशेष पूजा होती है, जो नवमी तक चलती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी दुर्गा धरती पर अवतरित हुई थीं। इस दिन कलश और अन्य पात्रों में जल भरकर बिल्व वृक्ष के नीचे रखा जाता है और देवी दुर्गा को नींद से जगाने की प्रार्थना की जाती है।
शुभ मुहूर्त: 21 अक्टूबर सुबह 9:09 बजे से शुरू हो कर 22 अक्टूबर सुबह 7:41 बजे तक।
नवपत्रिका पूजा, 22 अक्टूबर 2020
महा सप्तमी के दिन दुर्गा पूजा का पहला दिन होता है और इस दिन नवपत्रिका पूजन किया जाता है। ज्यादातर यह पूजा बंगाल, असम, झारखंड और ओडिशा आदि इलाकों में की जाती है। मगर दुर्गा पूजा का क्रेज अब लगभग हर शहर में देखा जा रहा है। ऐसे में नवपत्रिका पूजन के बाद ही दुर्गा पूजा शुरू होती है।
शुभ मुहूर्त: 22 अक्टूबर 7:41 बजे से शुरू हो कर 23 अक्टूबर 6:58 बजे तक।
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दुर्गा महा अष्टमी और नवमी पूजा, 24 अक्टूबर 2020
इस बार दुर्गा अष्टमी और नवमी दोनों ही एक दिन पड़ रही हैं। अष्टमी और नवमी दोनों ही दिन घरों में कंजक खिलाने की परंपरा है। कई लोग अष्टमी मनाते हैं तो कई लोगों के घर पर नवमी मनाई जाती है। जो लोग सप्तमी को कंजक खिलाते हैं वह अष्टमी को जवारे विसर्जित करते हैं और जो लोग अष्टमी को कंजक भोज रखते हैं वह नवमी के दिन जवारे विर्सजित करते हैं। इतना ही नहीं, कई लोग नवमी वाले दिन भी कंजक भोज कर जवारे विसर्जि तक करते हैं।
शुभ मुहूर्त: दुर्गा अष्टमी 23 अक्टूबर सुबह 6:58 से शुरू और 24 अक्टूबर सुबर 7:01 बजे समाप्त हो जाएगी। वहीं दुर्गा नवमी 24 अक्टूबर सुबह 7:01 बजे से शुरू हो कर 25 अक्टूबर सुबह 7:44 बजे तक रहेगी।
दुर्गा विसर्जन और दशहरा , 25 अक्टूबर 2020
इस बार दुर्गा विसर्जन और दशहरा एक ही दिन मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि दुर्गा विसर्जन के दिन मां शक्ति अपने पुत्र गणेश और कार्तिकेय के साथ अपने मायके से वापिस ससुराल कैलाश लौट जाती हैं। इस दिन जो लोग अपने घर पर दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापित रते हैं वह धूमधाम से उन्हें ससुराल विदा करते हैं। वहीं इस बार दशहरा और दुर्गा विसर्जन एक ही दिन पड़ रहा है, इसलिए यह दिन और भी विशेष हो जाता है।
शुभ मुहूर्त: दुर्गा विसर्जन का समय : सुबह 7:44 के बाद से, दशहरा: विजय मुहूर्त : दोपहर 13:57 से 14:41 तक
पापांकुशा एकादशी, 27 अक्टूबर 2020
पापांकुशा एकादशी के दिन मौन रह कर भगवद्गीता पढ़ने की परंपरा है। इस दिन जो व्यक्ति जगत पिता भगवान विष्णु का व्रत रखता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
शुभ मुहूर्त: 27 अक्टूबर सुबह 6:30 से शुरू हो कर 28 अक्टूबर सुबह 8:44 तक।
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