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Shaniwar Vrat Katha: शनिवार की व्रत कथा पढ़ने से मिलेगी साढ़े साती से मुक्ति, साथ ही जानें पूजा विधि और आरती

साढ़े साती का चक्र बहुत पीड़ादायक होता है। साढ़े साती जीवन में तीन बार आती है और उसके प्रभाव से व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।  
Editorial
Updated:- 2023-07-21, 14:25 IST

Shaniwar Vrat Katha, Puja Vidhi aur Aarti: हिन्दू धर्म में सप्ताह के हर दिन की व्रत कथा ग्रंथों में वर्णित है। 

इसी कड़ी में शनिवार की व्रत कथा का भी बहुत महत्व माना जाता है। शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है। 

ऐसे में शनिवार व्रत कथा पढ़ने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और साढ़े साती के कष्टों से भी मुक्ति मिलत जाती है। 

ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं शनिवार व्रत कथा, पूजन विधि और आरती के बारे में। 

शनिवार व्रत कथा

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  • एक बार सभी नौ ग्रहों में इस बात को लेकर होड़ मची की कौन सबसे बड़ा और ताकतवर ग्रह है। 
  • सभी ग्रह इस बात का निर्णय जानने के लिए राजा विक्रमादित्य के पास पहुंचे जो बहुत न्यायप्रिय थे। 
  • विक्रमादित्य ने नव ग्रहों की बात सुनी और नौ सिंहासन का निर्माण करवाकर उन्हें क्रम से रख दिया।
  • वह नौ सिंहासन सुवर्ण, रजत, कांस्य, पीतल, सीसा, रांगा, जस्ता, अभ्रक और लौह से निर्मित थे। 
  • राजा ने शर्त रखी कि इस सिंहासन पर सभी नव ग्रह अपने आप स्वेच्छा से विराजित हो जाएं। 
  • साथ ही, यह भी बताया कि जो ग्रह आखिर में सिंहासन पर बैठेंगे वो ग्रह सबसे छोटे कहलाएंगे। 
  • इस शर्त के कारण आखिर में शनि देव (शनिदेव के प्रसन्न होने के संकेत) ने सिंहासन ग्रहण किया और वह सबसे छोटे ग्रह माने गए। 
  • शनि देव इससे क्रोधित हो गए और राजा को सावधान रहने के लिए बोलकर नाराज होकर चले गए। 
  • शीघ्र ही राजा की साढ़े साती शुरू हो हुई। राजा का जंगल में भूखे-प्यासे भटकना शुरू हो गया। 
  • राजा के साथ एक के बाद एक बुरा होता चला गया। एक समय आया जब राजा अपांग हो गया। 
  • तब शनि देव ने राजा को दर्शन दिए और राजा को अपने द्वारा दी गई चेतावनी का अहसास कराया। 
  • राजा ने शनि देव से क्षमा मांगी तब शनी देव ने राजा को साढ़े साती से मुक्ति का उपाय बताया। 
  • शनि देव ने राजा को शनिवार का व्रत रखने और इस दिन चींटियों को आटा खिलाने के लिए कहा। 
  • राजा ने ऐसा ही किया और धीरे-धीरे शनिदेव का क्रोध शांत हो गया। शनि देव प्रसन्न हुए। 
  • शनिदेव ने राजा के सभी कष्ट हर उन्हें जीवन के सारे भौतिक सुखों का आनंद दिया। 

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शनिवार पूजा विधि 

  • शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
  • इसके बाद शनिदेव का ध्यान करें और पूजा एवं व्रत का संकल्प लें। 
  • शनिवार को पीपल के पेड़ (पीपल के पेड़ की परिक्रमा के लाभ) को जल अर्पित करें। शनि मंत्रों का जाप करें। 
  • काला तिल, सरसों का तेल, काला वस्त्र आदि शनिदेव को चढ़ाएं। 
  • शनिवार व्रत कथा सुने और शाम के समय शनिदेव की आरती उतारें। 

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शनिवार आरती 

saturday vrat significance

  • जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी।। जय जय श्री शनिदेव।।
  • श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी। नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी।। जय जय श्री शनिदेव।।
  • क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी। मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी।। जय जय श्री शनिदेव।।
  • मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी । लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी।। जय जय श्री शनिदेव।।
  • देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी। विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी।। जय जय श्री शनिदेव।।

 

आप भी शनिवार व्रत कथा पढ़ने के साथ-साथ पूजन विधि एवं आरती कर शनि देव को प्रसन्न कर सकते हैं और साढ़े साती से मुक्ति पा सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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