भारत में हर 26 जनवरी और 15 अगस्त पर यह गाना हमें अक्सर सुनाई देता है। ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा’ यह गीत उस दिन बच्चे-बच्चे की जुबान पर है। सच कहें तो यह गीत भारत के देशभक्ति गीतों में शुमार है। लेकिन क्या है आपको पता है कि इस गाने का कनेक्शन पाकिस्तान से भी है। जी हां यह सच है, यह गीत जिस शायर द्वारा लिखा गया आगे चलकर उसे पाकिस्तान देश की नीव रखी।
आज के आर्टिकल में हम आपको इस गाने से जुड़े इतिहास के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में शायद आपको ज्यादा जानकारी न हो। तो देर किस बात की, आइए जानते हैं इस गाने के पाकिस्तान कनेक्शन के बारे में-
दोनों देशों में मिला अल्लामा इकबाल को प्यार-
ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि नया मुल्क बनाने का विचार मोहम्मद अली जिन्ना का था। लेकिन इसके अलावा इस विचार दूसरा नाम अल्लामा मोहम्मद इकबाल का था। अल्लामा इकबाल जितने हिंदुस्तान में पसंद किए गए उससे कई ज्यादा प्यार उन्हें पाकिस्तान में मिला। आगे चलकर वो पाकिस्तान के राष्ट्रकवि के रूप में भी जाने गए।
कौन थे अल्लामा इकबाल-
अल्लामा इकबाल अपने समय के मशहूर कवि थे, जिनकी अधिकांश रचनाएं फारसी भाषा थीं। अल्लामा इकबाल का जन्म 9 नवंबर 1877 सियालकोट में हुआ, वो कश्मीर के रहने वाले थे। बता दें कि उसके पुरखे तीन सदी पहले कश्मीरी पंडित हुआ करते थे, लेकिन बाद में उनके पुरखों ने इस्लाम स्वीकार लिया।
19वीं सदी के दौरान कश्मीर पर सिखों का कब्जा हो गया, जिसके बाद उनका परिवार पलायन करके पंजाब आ गया। उनके पिता शेख नूर मोहम्मद सियालकोट में दर्जी का काम किया करते थे। 4 साल की उम्र में उनका दाखिला मदरसे में करवा दिया गया, जिसके बाद उन्होंने कानून दर्शन, फारसी और अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई की। साल 1905 में अल्लामा इकबाल ने सारे जहां से अच्छा गीत लिखा, जो भारत के बच्चे-बच्चे की जुबान पर चढ़ा।
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पाकिस्तान के जनक बने अल्लामा-
भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इकबाल ने ही उठाया था। साल 1930 में उन्हीं के नेतृत्व में मुस्लिम लीग के सबसे पहले भारत के विभाजन की मांग उठाई। इतना ही उन्होंने जिन्ना को भी मुस्लिम लीग में शामिल होने और पाकिस्तान देश की स्थापना करने के लिए प्रेरित किया।
1905 में लिखा तराना-ए-हिंद-
भारत में अल्लामा इकबाल को 2 रूप देखने को मिलते हैं। पहला जब उन्होंने सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा जैसा खूबसूरत तराना-ए-हिंद लिखा। इस गीत के बाद भारत में अल्लामा इकबाल को देशभक्त के रूप में जाना गया। वहीं अल्लामा इकबाल का दूसरा रूप तब देखने को मिलता है, जब उन्होंने मुस्लिम लीग के अधिवेशन में भाषण दिया था। माना जाता है अल्लामा इकबाल का यह भाषण आगे चलकर पाकिस्तान के निर्माण का कारण बना।
पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि बने अल्लामा इकबाल-
वैसे तो अल्लामा इकबाल विभाजन का दौर नहीं देख पाए, लेकिन विभाजन के बाद भी पाकिस्तान की सियासत में उन्हें हमेशा याद रखा गया। जब भारत का विभाजन होकर पाकिस्तान बना तो उन्हें वहां का राष्ट्रीय कवि घोषित किया गया।
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1910 में लिखा था तराना-ए-मिल्ली-
जहां 1905 में अल्लामा इकबाल मे भारत पर गीत लिखा। वहीं 1910 में अल्लामा इकबाल ने तराना-ए-मिल्ली लिखा जो कि एक कौमी तराना था। गाने को बोल थे ‘चीनो-अरब हमारा, हिंदुस्तान हमारा। मुस्लिम हैं हम, वतन है सारा जहां हमारा।
ते ये था सारे जहां से अच्छा गीत से जुड़ा पाकिस्तान कनेक्शन, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
Image Credit- Wikipedia.com
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