इस जमाने में शायद ऐसे कई लोग हो सकते हैं जिन्होंने साहिल लुधियानवी और अमृता प्रीतम का नाम नहीं सुना, लेकिन साहित्य और कविताओं से जुड़ा ऐसा कोई नहीं हो सकता जो इन दोनों को जानता न हो। साहिर लुधियानवी और अमृता के लिए हमेशा ये कहा जाता है कि इन दोनों का इश्क कभी मुकम्मल नहीं हो सका। वो प्यार जो सिर्फ कविताओं, चिट्ठियों और अब किस्सों का हिस्सा बनकर रह गया। आज़ादी के पहले से लेकर अभी तक अगर कोई प्यार और इश्क से जुड़ी कविताओं की बात करता है तो इन दोनों का नाम जरूर याद आता है।
31 अगस्त को अमृता प्रीतम की बर्थ एनिवर्सरी होती है और इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं अमृता और साहिर लुधियानवी की खूबसूरत प्रेम कहानी के बारे में।
साहिर और अमृता एक दूसरे के प्रति बेहद सजग थे। ये दोनों जितना एक दूसरे से प्यार करते थे उतना ही एक दूसरे की इज्जत भी करते थे। रिश्तों में होने वाली परेशानियां इनके साथ भी थीं, लेकिन फिर भी इन दोनों ने एक दूसरे की कविताओं के सहारे अपने इश्क को अमर कर दिया।
खूबसूरत अमृता और बदसूरत साहिर का इश्क-
अमृता प्रीतम जो अपने जमाने की सबसे मश्हूर कवित्री हुआ करती थीं वो काफी खूबसूरत भी थीं। लेकिन साहिर के चेहरे पर दाग थे और वो काफी औसत दिखते थे।
दोनों एक दूसरे से 1944 की एक शाम एक मुशायरे में मिले थे। उससे पहले अमृता की शादी हो चुकी थी। कट्टर परिवार से ताल्लुक रखने वाली अमृता की शादी 16 साल की उम्र में ही कर दी गई। पर उन्हें उनकी शादी में खुशी नहीं मिली थी। कभी नहीं, तभी तो फिर साहिर का यूं मिलना उन्हें अच्छा लगा था। आज़ादी की लड़ाई के दौर में जहां सभी वीरता पर कविताएं लिखते थे वहीं साहित ने प्यार को लेकर कविताएं लिखी थीं और यहीं अमृता उन्हें दिल दे बैठी थीं। अमृता प्रीतम ने उनकी सूरत नहीं सीरत देखी थी।
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एक अधूरी चाय की प्याली से इश्क..
एक किस्से में साहिर ने अमृता को याद करते हुए लिखा था, 'एक अधजलि सिगरेट, एक गंदी चाय की प्याली और अमृता की यादें'। साहिर चेन स्मोकर थे और अमृता को चाय बहुत पसंद थी। उस समय अमृता साहिर के घर पर जाया करती थीं। ये बहुत बड़ी बात थी 1940 के दशक की किसी महिला के लिए। पर साहिर को भी अमृता का ये बेबाक़पन बहुत पसंद था।
जब साहिर और अमृता मिले थे तो अमृता की शादी प्रीतम सिंह से हो चुकी थी। ये बाल विवाह ही था। लेकिन समाज के बंधन में बंधे दोनों सिर्फ चिट्ठियों में ही अपना प्यार बयां कर पाए और वही चिट्ठियां तो बनी कविताएं।
'मेरे शायर'...
साहिर लुधियानवी को अमृता प्रीतम 'मेरे शायर' कहती थीं। अपनी चिट्ठियों में वो यही लिखा करती थीं।
एक बार अमृता को लेकर साहिर लुधियानवी ने अपनी मां से कहा था, 'वो अमृता प्रीतम थी, वो आपकी बहु बन सकती थी।' उस समय पहली बार साहिर की मां ने अमृता को देखा था।
वो प्यार जो पूरा न हो सका...
एक दूसरे से बहुत प्यार करने वाले इन दोनों के बीच हमेशा अनकहा इश्क रहा। अपनी ऑटोबायोग्राफी 'रसीदी टिकट' में लिखा था कि कैसे दोनों घंटों एक दूसरे को देखते हुए। अमृता कई बार साहिर की अधजलि सिगरेट उठा लिया करती थीं सिर्फ अहसास लेने के लिए। इसी से अमृता को सिगरेट पीने की आदत लगी थी।
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क्यों पूरा नहीं हुआ प्यार...
उस समय के प्यार में बहुत सी दिक्कतें थीं। साहिर और अमृता दोनों लाहौर में रहते थे और बंटवारे के वक्त दोनों को ही मुंबई आना पड़ा। इसके बाद अमृता और उनके पति दिल्ली शिफ्ट हो गए, लेकिन अमृता की शादी खत्म होने वाली थी। लुधियानवी ने अमृता को कभी भी प्यार का वादा नहीं किया, लेकिन अमृता के लिए अब उनकी शादी बोझ ही थी। प्यार पूरा नहीं हुआ क्योंकि साहिर उन लोगों में से नहीं थे जो कमिटमेंट कर लेते।
साहिर को अमृता से प्यार तो था, लेकिन वो इस बारे में पूरी तरह से सोच नहीं पाते थे। अमृता ने इसके बारे में कविताएं भी लिखी थीं।
अमृता और साहिर लुधियानवी के प्यार से ही कई सारी कविताएं और गीत लिखे गए और दोनों ने एक दूसरे के लिए ही काफी कुछ लिखा जो उस दौर की फिल्मों में लिया गया। अमृता प्रीतम की कहानियों में कई फिल्में भी बनी हैं। जैसेउर्मिला मातोंडकर द्वारा अभिनित 'पिंजर' फिल्म।
साहिर लुधियानवी की कविताओं पर भी कई फिल्मी गाने लिखे गए। बस यही थी दोनों के प्यार की कहानी। एक डर के कारण जो पूरी न हो सकी।
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अमृता प्रीमत, साहिर लुधियानवी और इमरोज़ की कहानी सबने सुनी है और ये कहानी वाकई बहुत खूबसूरत है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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