
"शान्ति में शक्ति है, प्रशांतता में शक्ति है, प्रेम में शक्ति है।" आज गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के सुविचार में हम जानेंगे कि दुनिया में ऐसी कोई समस्या या शत्रु नहीं है, जिसे प्रेम से न जीता जा सके। जिस लक्ष्य को आप शारीरिक बल या हथियारों से हासिल नहीं कर सकते, उसे प्रेम पाया जा सकता है। प्रेम की शक्ति को सुनने की नहीं, जीवन में अनुभव करने की जरूरत है। विश्व में सबसे शक्तिशाली ऊर्जा 'प्रेम' है, क्योंकि यह लोगों के शरीरों को नहीं, बल्कि उनके दिलों को जीतती है।
गुरुदेव के इस विचार का मतलब है, जो आप बल से नहीं जीत सकते, वह आप प्रेम से जीत सकते हो। प्रेम की इस शक्ति को अनुभव करने की जरूरत है, विश्व में सबसे शक्तिशाली प्रेम है। प्रेम के माध्यम से हम लोगों के दिल जीत सकते हैं।
अहंकार से प्राप्त की हुई जीत का कोई मूल्य नहीं। अहंकार की जीत भी हार है और प्रेम में हार भी जीत है। अतंर्मन की जो शक्ति हम सभी में है, उसके प्रति अवगत होना एक चुनौती है। जब हम शांत होते हैं, तब हम अपने आस-पास के लोगों में भी शांति बिखेरते हैं और दूसरे भी शांत हो जाते हैं।
ऐसा ही विश्व और लोगों की मानसिकता के बारे में भी है, लोगों के दिल और मन में शांति, प्रेम और विश्वास लाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत होती है। हमारे स्वयं की शांत और ध्यानस्थ व प्रार्थनामय स्थिति निश्चय ही इसमें सहायक होगी। यह मत सोचो कि 'मैं क्या कर सकता हूं?' जब विश्व में समस्या हो, तो यह मत सोचो कि तुम्हारा कोई महत्व ही नहीं है। तुम्हारी भी उसमें जिम्मेदारी है।

'शक्तिशाली बनना चाहते हैं?
शोर मचाना छोड़ें!'
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के अनुसार अक्सर हम विद्यार्थियों को लगता है कि क्लास में सबसे ज्यादा बोलने वाला या दूसरों पर धौंस जमाने वाला विद्यार्थी सबसे शक्तिशाली होता है, लेकिन गुरुदेव सिखाते हैं कि असली शक्ति आपके भीतर की 'एकाग्रता' में है।
जब आप शांत होते हैं, तब आपकी मानसिक ऊर्जा अनावश्यक बातों में बर्बाद नहीं होती है। यह ऊर्जा आपकी याददाश्त और सीखने की क्षमता को बढ़ाती है।
परीक्षा के दबाव में जो छात्र शांत रहता है, वह मुश्किल सवालों के जवाब भी आसानी से ढूंढ लेता है। इसलिए, सफलता के लिए शोर नहीं, बल्कि अपने अंदर अनुशासन पैदा करें।

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के अनुसार, कॉर्पोरेट की भागदौड़ और 'डेडलाइन' के तनाव के बीच खुद को शांत रखना ही आपकी सबसे बड़ी प्रोफेशनल खूबी है। एक अच्छा लीडर वह नहीं होता जो कर्मचारियों पर चिल्लाता है, बल्कि वह होता है, जो मुश्किल परिस्थितियों में भी शांत रहकर ही निर्णय लेता है।
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जब ऑफिस में विचारों का टकराव हो, तब अहंकार के बजाय प्रेम और सहनशीलता से बातचीत करें। गुरुदेव कहते हैं कि जब हम नम्र होकर बात करते हैं, तब बिगड़ा हुआ तालमेल फिर से बैठ जाता है। 2026 में अपनी शांति और विश्वास को अपना हथियार बनाएं, यह आपकी कार्यक्षमता को कई गुना बढ़ा देगा।
इसलिए, आइए हम सभी मिलकर शांति, सुविचार और शुभ-इच्छाएं बिखेरें। जब हम भीतर से बदलेंगे, तभी यह संसार बदलेगा।
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