अगर आप साहित्य प्रेमी हैं, तो आपने मंटो के बारे में जरूर सुना या पढ़ा होगा। भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी मंटो एक बड़ा नाम हैं, दुनिया को सालों पहले अलविदा कहने के बाद भी आज तक मंटो की कहानियां हमारे बीच में जिंदा हैं। साल 2019 में आई बॉलीवुड फिल्म ‘मंटो’ सआदत हसन मंटो के जीवन पर आधारित है, जिसे हिंदुस्तान समेत पाकिस्तान में भी बेहद पसंद किया गया है। मंटो की रचनाएं जितनी चर्चित थीं, उससे कई ज्यादा विवाद का विषय बनी रहीं। इतना ही नहीं यह कहानियां जितनी विवादित थीं, उससे कई ज्यादा सच्ची और पारदर्शी नजर आती थीं। जिसे बरदाश्त कर पाना समाज के बस की बात नहीं थी।
मंटो को बदनाम कहानीकार रूप में जाना था और उनकी कहानियों को समाज अश्लील करार दिया गया था। आज के इस आर्टिकल में हम आपको इस शख्सियत के बारे में बताएंगे और जानें गे कि आखिर क्यों सआदत हसन मंटो द्वारा रची गई कहानिया इतनी विवादित थीं।
बोल्ड और बेबाक थीं मंटो की कहानियों में महिला किरदार-
मंटो की कहानियों में महिलाएं काल्पनिक नहीं होती थीं। उन पात्रों को पढ़कर ऐसा लगता है, कि यह हमारे समाज का हिस्सा है, जिन पर पर्दा डालने की कोशिश की गई है। जैसे ही यह पर्दा हट जाएगा, समाज का नंगा चरित्र सामने आ जाएगा। सच कहें तो मंटो की कहानियां अपने समय से बहुत आगे थीं, जिसमें समाज में फैले पाखंड और महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों के बारे में खुलकर लिखा गया है।
मंटो की कहानी ‘ठंडा गोश्त’ में ईश्वर की पत्नी का बेहद बेबाक और मजबूत किरदार चित्रित किया गया है। कहानी उस दौर की है, जब मुसलमानों, हिंदुओं और सिखों के बीच लड़ाई चल रही थी। उस दौर में पुरुष एक-दूसरे के समुदाय की महिलाओं का बलात्कार कर रहे थे। कहानी का पात्र ईश्वर एक लाश के साथ बलात्कार करके आता है, जिस बात का पता चलते ही कलवंत(उसकी पत्नी) अपने पति हत्या कर देती है। मंटो की इस कहानी को लेकर पाकिस्तान में खूब विवाद हुआ, जिसके कारण उन पर मुकदमा भी चलाया गया। पाकिस्तान की कोर्ट ने मंटो पर अश्लीलता फैलाने का आरोप लगया था, साथ ही इस कहानी पर भी पूरी तरह से बैन लगा दिया गया।
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भारत-पाकिस्तान बटवारे में दिखाया है महिलाओं का हाल-
भारत-पाकिस्तान(बटवारे पर बनी फिल्में) बटवारा बेहद दर्दनाक था, जिसके असर लोगों के दिलों में आज भी जिंदा हैं। मंटो की कहानी ‘खोल दो’ में उसी बटवारे का हाल दिखाया गया है। कहानी एक लड़की की है जिसका अपहरण कर सामूहिक बलात्कार किया जाता है, लड़की के पिता उसे राहत शिविर में पागलों की तरह खोजता रहता है। आखिरकार वह लड़की एक अस्पताल में मिलती है, जहां डॉक्टर द्वारा ‘खोल दो’ बोलने पर लड़की अपना सलवार खोलने लगती है। मंटो की यह कहानी बंटवारे के दौरान महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों को दर्शाती है। माना जाता है कि उस दौर में बलात्कार के बाद ज्यादातर महिलाएं आत्महत्या कर लेती थीं, लेकिन इस मुद्दे को मुख्यधारा से बिल्कुल दूर रखा गया था।
असभ्य और अश्लील कहे जाते थे मंटो-
उस दौर में मंटो को असभ्य और अश्लील करार दिया गया था। उनकी कहानियों को उन विषयों पर खुलकर लिखा जाता था, जिसके बारे में समाज बात करना भी वर्जित हुआ करता था। उन्होंने अपनी कहानियों में महिलाओं की कामुकता पर खुलकर बात की है। इतना ही नहीं उनकी ‘स्तन’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जिसे उस दौर में अश्लील और बोल्ड माना जाता था। एक पुरुष द्वारा महिलाओं पर इतने बेबाक तरीके से लिखने के कारण समाज में उन्हें बहुत बुरा भला कहा गया। उनपर अक्सर महिलाओं के शरीर का विस्तार से वर्णन करने का आरोप भी लगाया जाते थे, जिस वजह से उनकी कहानियों के महिला पात्र बेहद खुले हुए नजर आते थे।
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नंगी सच्चाई पर लिखने वाले कहानीकार थे मंटो-
मंटो को शोहरत के साथ बदनामी भी मिली। उन्होंने अपनी कहानियों में समाज का नंगा चित्रण किया है, जिसे उस दौर में अपना पाना मुश्किल था। मंटो की कहानियों में गाली-गलौज और बेबाक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो अक्सर हमारे आसपास सुनाई देते हैं। उनकी कहानियां सभ्यता का नकाब ओढ़े समाज को चुनौती देती हैं, यही वजह है कि ये कहानियां लंबे समय तक विवाद का विषय बनी रहती हैं।
मंटो और उनकी रचनाओं के बारे में पढ़ने के बाद यही महसूस होता है कि वो एक फेमिनिस्ट लेखक थे। जिन्होंने पुरुष होकर भी उस दौर में महिलाओं के मुद्दों पर खुलकर बात की। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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