Lord Vishnu On Snake: भगवान विष्णु का शेषनाग के साथ एक खास संबंध है। भगवान विष्णु के हर अवतार में उनके साथ शेषनाग भी अवतरित हुए हैं। यहां तक कि भगवान विष्णु की शैय्या भी शेषनाग ही हैं। ऐसे में हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आज हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि आखिर भगवान विष्णु क्यों शेषनाग पर ही सोते हैं।
- शास्त्रों में ये पंक्ति आपने शायद पड़ी होगी जो कुछ इस प्रकार है कि 'शान्ताकारं भुजगशयनं'। इस पंक्ति का अर्थ है भुजंग यानी कि शेषनाग पर शयन करने वाले शांत स्वरूप भगवान विष्णु। जहां एक तरफ भगवान विष्णु को शांत, आनंदमयी और कोमल हृदय का बताया गया है। वहीं, शेषनाग का वर्णन एक भयंकर जहरीले नाग के रूप में मिलता है।

- ऐसे में जो सार निकल कर आता है वो ये कि एक भयंकर विषयले सांप पर विराजमान होने के बाद भी कैसे भगवान विष्णु (भगवान विष्णु को क्यों कहा जाता है नारायण) आनंद और शांति में रह सकते हैं और शयन कर सकते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब एक बार भगवान शिव पृथ्वी के भ्रमण पर निकले तब उन्होंने देखा कि सृष्टि का ऐसा कोई कोना न था जहां सुख स्थापित हो।
- मनुष्य अपने जीवन में चल रही परेशानियों से बहुत दुखी थे और आने वाली परेशानियों के विषय में सोचकर भयभीत भी। पृथ्वी पर मौजूद हर घेर में एक अलग सी निराशा छाई हुई थी। कोई रो रहा था तो कोई भगवान को कोस रहा था। यह देख भगवान शिव का मन विचलित हो गया और उन्होंने भगवान विष्णु से सृष्टि में सकारात्मकता, प्रसन्नता और साहस का पुनः संचार करने के लिए कहा।

- तब भगवान विष्णु ने शेषनाग का आवाहन किया और उनपर शयन की मुद्रा में स्थापित होते हुए सभी मनुष्यों को संदेश पहुंचाया। वो संदेश यह था कि एक जहरीले सांप की ही भांति मनुष्य के जीवन में कठिनाइयां, निराशा और दुख आते हैं लेकिन उन परिस्थितियों से घबराकर भागने के बजाय उनका सामना करना चाहिए और उनसे बाहर आने का कोई रास्ता खोजना चाहिए और यह तभी संभव है जब मनुष्य खुद को शांत और हर स्थिति में आनंदमयी रखे।
- भगवान विष्णु ने शेषनाग के साथ जब यह मुद्रा धारण की तो स्वयं भगवान शिव (भगवान शिव का पाठ) ने इसका पृथ्वी पर प्रचार किया और लोगों तक इसके पीछे का महत्व भी पहुंचाया। तभी से संसार को जागृत करने के लिए भगवान विष्णु ने शेषनाग को अपना निद्रासन बना लिया। इसी कारण से हिन्दू धर्म में शेषनाग को भगवान विष्णु का ऊर्जा स्रोत माना जाता है।
तो ये थी भगवान विष्णु के शेषनाग पर ही सोने का रोचक कारण। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Herzindagi
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