उत्तराखंड के इस सिद्धपीठ में गिरी थी माता सती की नाभि, यहां आने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

 हमारे यहां मां की आराधना सबसे ज्यादा की जाती है। इसलिए मां के 9 दिनों में भी खास पूजन किया जाता है। इससे मां की प्रसन्न होती हैं और अपने बच्चों पर हमेशा कृपा बनाएं रखती है।
image

हिंदू धर्म में शक्ति की आराधना के लिए हर साल नवरात्रि आती है। यह साल में 2 बार आती है। इन दिनों हर कोई मां को अपने घर लाता है और उनकी पूजा करता है। इन दिनों कई सारे लोग ऐसे होते हैं जो मां के शक्तिपीठों के दर्शन करते जाते हैं, ताकि उनकी मनोकामना पूरी हो सके। ऐसा ही एक शक्तिपीठ उत्तराखंड में मौजूद है। जिसे पूर्णागिरी के नाम से जानते हैं। यहां पर बहुत दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं, ताकि मां के दर्शन कर सके। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर भी माता सती के शरीर का एक अंग गिरा था। तभी से यह 51 शक्तिपीठों में शामिल हुआ। यह मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है, जहां पर लोग शाम होने के बाद नहीं ठहरते हैं। चलिए ऐसी ही और भी जानकारी आपको आर्टिकल में बताते हैं।

पूर्णागिरी में गिरी थी मां सती की नाभि

Purnagiri temple

पूर्णागिरी का यह मंदिर 5500 फीट ऊचाई पर मौजूद है। आपको बता दें कि जब माता सती आग में जल गई थी। तब भगवान शंकर उनके देह को लेकर तांडव कर रहे थे। तभी विष्णु जी ने आकर उनके देह को अपने सुदर्शन चक्र से कई भागों में बांट दिया। इसमें से कई सारी जगहें ऐसी हैं, जहां पर माता सती के देह का अंग गिरा। पुर्णागिरी में उनकी नाभि गिरी थी। तभी से इसे भी शक्तिपीठ कहते हैं। माता की नाभि के ऊपर ही इस मंदिर को स्थापित किया गया है, ताकि लोग दर्शन करके मां का आशीर्वाद पा सके।

मंदिर पहुंचने का रास्ता

Mandir dwar

टनकपुर से 24 किलोमीटर दूर मां पूर्णागिरि का धाम स्थित है। इस धाम में पहुंचने के लिए पहले आपको नैनीताल आना होगा। इसके बाद आप ठुलीगाड़ पहुंचेंगे। टनकपुर पहुंचने के बाद श्रद्धालु पवित्र शारदा नदी में स्नान कर दर्शनों को जाते हैं। इसके बाद आप भैरव मंदिर पहुंचते हैं। लेकिन आपको इस मंदिर में दर्शन करने से पहले मां के दर्शन के लिए यात्रा शुरू करनी पड़ती है, जो करीबन 4 किमी है। यह खड़ी चढ़ाई है, जहां पर रास्ता आपको सीढ़ियों वाला भी मिलेगा। साथ ही, प्लेन रास्ता भी आपको मिल जाएगा।

इसे भी पढ़ें: नवरात्रि में करना चाहती हैं माता के दर्शन तो जाएं दुर्गा कुंड, वाराणसी के प्रमुख मंदिरों में से है एक

मां के दर्शन के बाद करें भैरव के दर्शन

Mandir darshan

जब आप माता के दर्शन कर लेंगी, तो इसके बाद आपको भैरव बाबा के भी दर्शन करने जरूरी है, तभी आपकी मनोकामना पूरी होगी। इसके लिए आप वापस आते हुए भगवान के दर्शन करें। वहां से भभूति जरूर लें। ऐसा कहा जाता है कि भैरव बाबा माता के द्वारपाल के तौर पर खड़े हैं। उनके दर्शन की अनुमति के बिना आप मां के दर्शन नहीं कर पाते।

इसे भी पढ़ें:Shardiya Navratri 2024: इस दिन से होगी नवरात्रि की शुरुआत.....कलश स्थापना मुहूर्त समेत माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा विधि तक यहां लें पूरी जानकारी

पुर्णागिरी जानें से आप 51 शक्तिपीठों में से एक मां के मंदिर में दर्शन कर लें। ऐसे में जब भी आप देवियों के दर्शन के लिए जाएं तो यहां पर भी जाकर माता के दर्शन जरूर करें। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर मांगी गई हर मुराद पुरी होती है। साथ ही, आपको मां दोबारा जरूर दर्शन के लिए बुलाती है।

इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही,अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हर जिन्दगी के साथ

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP