HZ Exclusive: हमारे सामाज में कुछ धारणाएं हैं जो रूढ़िवादी सोच को दर्शाती हैं। मगर, कुछ लोग बिना लोगों की सोच की परवाह किए बिना अपना रास्ता चुनते हैं। ऐसी ही एक खास स्टोरी हम आज आपके लिए लेकर आए हैं। इस आर्टिकल में जानें राहुल और केतन का बेहद खास सफरनामा।
केतन बजाज मौजूदा समय में में स्विस रे, बैंगलोर में नेट कैट मॉडलर के रूप में काम कर रहे हैं। यहां तक पहुंचने की उनकी यात्रा जीत और संघर्ष दोनों से भरी रही। स्विस रे में शामिल होने से पहले केतन ने IISc बैंगलोर से पीएचडी की। पीएचडी के दौरान उन्हें भूकंप इंजीनियरिंग में काम के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था।
केतन बजाज उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पले-बढ़े। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा डराने-धमकाने और गाली-गलौज का सामना किया। सिर्फ स्कूल में बच्चों ने ही नहीं, बल्कि रिश्तेदारों ने भी उनपर अपमानजनक टिप्पणियां की। "इसे लड़का नहीं लड़की होना चाहिए था", केतन को अक्सर इस तरह के कमेंट्स सुनने के लिए मिलते हैं जिससे उन्हें निराशा होती थी।
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केतन ने कहा, "पीएचडी पूरी करने के बाद मैंने कॉलेज प्रोफेसर बनने का सपना देखा। मुझे देश के कई प्रतिष्ठित संस्थानों से ऑफर मिले, लेकिन दुर्भाग्य से मुझे एक कठिन निर्णय लेना पड़ा। समावेशी वातावरण न मिलने के डर और एक लड़के के रिश्ते से जुड़े सवालों का सामना करने की वजह से कठिनाई हुई। इस वजह से मैंने अपना सपना छोड़ दिया।" हालांकि इस अनुभव ने केतन के संकल्प को और मजबूत बनाया।
जीवन की कठिन परिस्थितियों के बारे में सवाल किए जाने पर केतन बताते हैं, "एक दफा मैंने 5 आदमियों द्वारा छेड़छाड़ और गाली दिए जाने का भयानक अनुभव किया था। मदद मांगने के लिए मेरे रोती हुई गूंज मुझे अभी भी मुझे परेशान करती है। उस समय मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैं कभी न खत्म होने वाले अंधेरे के चक्र में फंस गया हूं।" इस घटना की वजह से केतन आज भी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर अकेले जाने से डरते हैं। अनजान लोगों से घिरे होने पर उन्हें घबराहट होती है।
इसके बाद राहुल ने केतन को फोन किया और बताया कि लड़की का परिवार उसके माता-पिता के पास आया है। राहुल के पेरेंट्स उसे बाबा और मनोचिकित्सकों के पास ले गए। इसके बाद राहुल ने चंडीगढ़ से नोएडा आने का फैसला लिया।
अब साढ़े चार साल से ज्यादा हो गए हैं और राहुल-केतन एक ही छत के नीचे साथ रह रहे हैं। दोनों सुप्रीम कोर्ट के सकारात्मक फैसले का इंतजार कर रहे है। ताकी दोनों बैंगलोर में एक साथ घर खरीद सके और गोद ले सके।
अंत में केतन ने कहा कि हर क्वीयर व्यक्ति लचीलेपन और शक्ति का प्रमाण है। हम सम्मान, समझ और स्वीकृति के पात्र हैं। यदि एक सहयोगी होना आपके लिए कठिन है, तो कम से कम आप यह कर सकते हैं कि होमोफोबिक, ट्रांसफोबिक या क्वेरोफोबिक होने से बचें।
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Photo Credit: HerZindagi
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