कुछ लोगों की तारीफ में आपने सुना होगा कि वह पढ़ा भले नहीं, लेकिन कढ़ा है। यह कढ़ा होना असल में किसी के सामाजिक होने की पहचान है। बच्चों में भी यह गुण विकसित करना जरूरी है। कई बार माता-पिता बच्चे को पढ़ाने पर तो पूरा जोर देते हैं, लेकिन उसकी सामाजिकता की अनदेखी कर देते हैं। कभी-कभी पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चे भी लोगों के साथ रहना और व्यावहारिक बनना नहीं सीख पाते हैं। कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर बच्चों को सामाजिक बनाया जा सकता है। तो चलिए आर्टेमिस अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान के प्रमुख मनोचिकित्सक व प्रमुख सलाहकार डॉ. राहुल चंडोक से जानते हैं कि बच्चों को कैसे सोशल बनाया जा सकता है।
बच्चे की पसंद को पहचानें और समान रुचि वाले अन्य बच्चों के साथ खेलने के लिए प्रेरित करें। इसके लिए आप बच्चे को उसकी पसंद के खेल वाले ग्रुप में भेज सकते हैं। वैसे तो बच्चे का सभी के साथ घुलना-मिलना जरूरी है, लेकिन इसकी शुरुआत अगर अपने जैसी पसंद वालों के साथ हो तो परिणाम और भी बेहतर हो जाता है। असल में यह बच्चे को सामाजिक बनाने की दिशा में पहली सीढ़ी है।
संबंधों को मजबूत बनाने और बच्चों को सहज बनाने में प्रश्नों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए बच्चों को प्रश्न पूछना सिखाएं। उन्हें ऐसे प्रश्न पूछना सिखाएं, जिनका उत्तर केवल हां या ना में देना संभव न हो। आपसे भी बच्चा कोई प्रश्न करे तो उसे सिर्फ हां या ना बोलकर न टालें।
बच्चों के साथ भूमिका बदलकर खेलना उन्हें सिखाने में मददगार होता है। अगर आपको लगता है कि बच्चा किसी से बोलने में हिचकता है, तो खेल-खेल में उसे उसी व्यक्ति की भूमिका निभाने को कहें। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि बच्चा किन बातों पर झिझकता है। ऐसे खेल को रोल प्ले कहा जाता है। बच्चे को सामाजिक बनाने में रोल प्ले की कारगर भूमिका हो सकती है।
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अगर बच्चा लोगों की भावनाओं को समझने लगे, तो वह एक अच्छे और सामाजिक व्यक्तित्व के रूप में निखरकर सामने आता है। इसके लिए जरूरी है कि आप उसे लोगों की भावनाओं का सम्मान करना सिखाएं। उसके सामने किसी की तकलीफ का मजाक न उड़ाएं। एक सामाजिक व्यक्ति में लोगों की भावनाओं का सम्मान करने का सामर्थ्य होना चाहिए।
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बच्चे के सामने हमेशा अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखें। लोगों से उसी तरह पेश आएं, जैसी आप अपने बच्चे से उम्मीद करते हैं। आप जैसा करेंगे, बच्चा वैसा ही सीखेगा। इसके अलावा अपने बच्चे की सीमा भी समझें। सभी बच्चे समान रूप से व्यवहार करें, यह जरूरी नहीं है। इस बात को स्वीकारना जरूरी है कि कुछ बच्चे अन्य की तुलना में कम सामाजिक होते हैं। अगर स्थिति चिंताजनक लगे तो डॉक्टर से मिलना चाहिए।
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