गुजरे जमाने की मश्हूर एक्ट्रेस नूतन की जिंदगी में बहुत से उतार चढ़ाव आए और उसके साथ ही उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी बहुत ही हंसमुख अंदाज़ में जी। 21 फरवरी को नूतन की डेथ एनिवर्सरी है। नूतन अपनी फिल्मों के साथ-साथ अपने हंसमुख व्यवहार के लिए भी जानी जाती थीं। नूतन ने चार दशकों तक बॉलीवुड में राज किया था। 4 जून 1936 को जन्मी नूतन की मृत्यू 21 फरवरी 1991 को हुई थी। नूतन को अपनी जिंदगी में कई अवॉर्ड मिले, उनकी जिंदगी में कई विवाद भी रहे और अंतिम समय में उनकी जिंदगी बहुत दर्दभरी रही। कैंसर के कारण उन्हें काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा और सिर्फ 54 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।
नूतन अपने जमाने की दमदार अदाकारा थीं और कई मामलों में उन्होंने बंदिशों को तोड़ा। नूतन ने गुस्से में आकर संजीव कुमार को फिल्म के सेट में कई लोगों के बीच थप्पड़ मार दिया था और साथ ही साथ किसी कारण से अपनी मां शोभना समर्थ पर केस भी कर दिया था। आज हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी जिंदगी के कुछ अहम फैक्ट्स।
नूतन का जन्म हुआ था एक मराठी परिवार में। नूतन के माता पिता कुमार सेन समर्थ डायरेक्टर और कवि थे और उनकी मां शोभना समर्थ एक्ट्रेस थीं। नूतन 4 भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं और नूतन और तनूजा के अलावा उनके भाई जयदीप और बहन चातुरा ने फिल्मों से दूरी रखी। तनूजा ने भी नूतन की तरह सक्सेसफुल फिल्मी करियर बनाया। नूतन ने अपनी स्कूल की पढ़ाई पंचगनी के सेंट जोसफ कॉन्वेंट स्कूल से करी थी और आगे की पढ़ाई के लिए वो स्वित्जरलैंड गई थीं।
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नूतन का फिल्मी करियर बहुत ही कम उम्र में शुरू हो गया था। 14 साल की उम्र में फिल्म हमारी बेटी से उन्होंने डेब्यू किया था। ये फिल्म उनकी मां शोभना ने प्रोड्यूस की थी। उनकी पहली फिल्म हमारी बेटी 1950 में रिलीज हुई थी। हालांकि, उनका करियर इतना अच्छा नहीं चला इसलिए उनकी मां ने उन्हें स्वित्जरलैंड भेज दिया था।
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1957 में उन्होंने एक फिल्म की थी, 'सीमा' इस फिल्म के लिए नूतन को बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था। इसके बाद नूतन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें अपनी फिल्म 'पेइंग गेस्ट,' 'अनाड़ी', 'सुजाता', 'छलिया', 'सरस्वती चंद्र', 'तेरे मेरे सपने', 'देवी', 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' और ऐसी ही कई फिल्मों के लिए सराहा गया और अवॉर्ड्स भी मिले।
फिल्म 'बंदिनी' में उनकी परफॉर्मेंस बहुत अच्छी रही थी। उन्हें इसके लिए भी बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था इसके अलावा, बंगाली फिल्म जर्नलिस्ट असोसिएशन द्वारा अवॉर्ड मिला था और फोर्ब्स इंडिया की तरफ से ’25 Greatest Acting Performances of Indian Cinema’ का अवॉर्ड मिला था। इस फिल्म में नूतन के साथ धर्मेंद्र भी थे।
नूतन ने अपनी पूरी जिंदगी में सिर्फ एक ही टीवी सीरियल में काम किया। वो टीवी सीरीयल था 'मुजरिम हज़ीर', इस सीरियल में उन्होंने 'कालीगंज की बहू' का किरदार निभाया था।
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नूतन ने नेवी अफसर लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीश बहल से शादी की थी। नूतन ने शादी से पहले कुछ समय डेटिंग भी की थी। उनके पति ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो सिर्फ दो हिंदी फिल्में देख चुके थे जिसमें से एक थी मदर इंडिया और दूसरी उनके पिता ने उन्हें दिखाई थी। उन्हें काफी समय तक पता ही नहीं था कि नूतन एक्ट्रेस हैं। शादी के बाद नूतन की कई फिल्में उन्होंने देखी और उन्हें पता चला कि नूतन कितनी अच्छी एक्टिंग करती हैं। दोनों एक साथ कई इवेंट्स में जाते थे। नूतन को शादी के बाद भी फिल्मों में काम करने की इजाजत थी, जब्कि रजनीश बहल के माता-पिता पुराने खयालात के थे। लेकिन नूतन उनकी फेवरेट बहू थीं।
भले ही ये थोड़ी अजीब बात लगे, लेकिन नूतन ने अस में मां पर कोर्ट केस किया था। नूतन ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'मेरे और मेरी मां के बीच में विवाद इतना बढ़ गया था कि उन्हें कोर्ट केस करना पड़ा। ये पैसों के कारण हुआ था। ये फैसला लेना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। हां मैं समझ सकती हूं आप सोच रहे होंगे कि कोई बेटी अपनी मां पर केस कैसे कर सकती है? मेरे लिए ये आसान नहीं था फिर भी मुझे अपने करीबियों के फ्यूचर के बारे में सोचना था।'
नूतन के बारे में ये कहा जाता था कि वो हमेशा विवादों से बचने की कोशिश करती थीं। पर एक बार उन्होंने एक फिल्म के सेट पर संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था। कारण ये था कि संजीव कुमार उन अफवाहों को हवा दे रहे थे जो कह रही थीं कि उनमें और संजीव कुमार में अफेयर चल रहा है। नूतन ने इसके बारे में कहा था, 'संजीव ने बहुत ही केयरलेस होकर ये स्टेटमेंट दिया था कि हमारा अफेयर चल रहा है। इसकी वजह से मुझे गुस्सा आया। मेरा नाम किसी भी स्कैंडल या किसी भी लिंक अप में नहीं जुड़ा था। मुझे उन्हें ये समझाना था कि ये सही नहीं है।' इस थप्पड़ के बाद भी नूतन और संजीव कुमार का लव सीन फिलमाया गया था।
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नूतन ने अपनी आखिरी रिलीज देखी थी, 'कानून अपना अपना' ये फिल्म 1989 में रिलीज हुई थी। नूतन 1991 में गुजर गई थीं और उनकी मृत्यू के बाद भी दो फिल्में रिलीज हुई थीं। ये फिल्में थीं 'नसीबवाला' और 'इंसानियत'।
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