New Income Tax Bill 2025 पुराने आयकर कानून 1961 से है कितना अलग? जानिए सेक्शन 80C से लेकर VRS तक क्या हुए बड़े बदलाव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तावित न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 लोकसभा में पेश किया गया। इस विधेयक के बारे में भारत के प्रत्येक टैक्सपेयर को पता होना चाहिए।
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13 फरवरी 2025 को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया और अब इस बिल को संसदीय स्टैंडिंग कमिटी को भेज दिया गया है। अगर इस बिल को संसद में चर्चा के बाद पारित कर दिया जाता है, तो यह 1 अप्रैल 2026 से पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह ले सकता है। तो आइए जानते हैं प्रस्तावित नए आयकर विधेयक 2025 में क्या बदलाव किए गए हैं और यह मौजूदा आयकर कानून 1961 से कितना अलग है।

न्यू इनकम टैक्स बिल 2025

आपको बता दें कि ओल्ड इनकम टैक्स एक्ट 1961, 823 पन्नों का था जबकि नया बिल करीब 625 पन्नों का है। पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 में 819 सेक्शन, 47 चैप्टर और 11 शेड्यूल हैं जबकि प्रस्तावित विधेयक में 536 सेक्शन, 23 चैप्टर और 16 शेड्यूल मौजूद हैं। नये विधेयक के रिव्यू का प्रस्ताव देने के पीछे की वजह भाषा को सरल बनाना और प्रावधानों को आसान तरीके से समझने के लिए टेबल का इस्तेमाल करना है।

टैक्स ईयर कहा गया

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नये विधेयक में 1 अप्रैल से शुरू होने वाले फाइनेंशियल ईयर के 12 महीनों के पीरियड को ‘टैक्स ईयर (Tax Year)’ कहा गया है। इसके अलावा, न्यू इनकम टैक्स बिल में टैक्स स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स के प्रावधानों को सरल बनाना शामिल है।

आपको बता दें कि पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 में कुछ प्रावधानों को इनकम टैक्स रिटर्न के साथ मिलकर पढ़ा जाता है, जबकि नये बिल में कुछ नियमों को अलग करके पढ़ा जाएगा।

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TDS/TCS में बदलाव

पुराने आयकर कानून 1961 में ब्याज, किराया, प्रोफेशनल फीस, रॉयल्टी पेमेंट, कमीशन जैसे कई कैटेगरी हैं। वहीं, न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 के तहत, धारा 393 में TDS से जुड़े प्रावधान, 392 में सैलरी से जुड़े प्रावधान और 394 में TCS से जुड़े प्रावधानों के बारे में बताया गया है।

सेक्शन 80C में बदलाव

न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 में इनकम टैक्स के सेक्शन 80C में बड़े बदलाव किए गए हैं। पुराने आयकर कानून 1961 में अब तक टैक्स छूट सेक्शन 80सी के तहत मिलती थी, वहीं अब हर तरह के डिडक्शन को काम के हिसाब से अलग-अलग क्लॉज में विभाजित कर दिया गया है।

  • नए बिल में LIC, PF जैसी चीजों पर टैक्स छूट को क्लॉज 123 के तहत रखा गया है।
  • होम लोन पर ब्याज की छूट को 2 क्लॉज (130 और 131) में डिवाइड कर दिया गया है।
  • एजुकेशन लोन पर ब्याज की छूट को क्लॉज 129 में रखा गया है।
  • पेंशन स्कीम पर मिलने वाले डिडक्शन को क्लॉज 124 में रखा गया है।
  • अग्निपथ स्कीम पर मिलने वाली छूट को क्लॉज 125 में रखा गया है।

आपको बता दें कि अलग-अलग कैटेगरी में बांटने की वजह से, अब टैक्सपेयर्स को अपनी वित्तीय गतिविधियों के हिसाब से टैक्स छूट का फायदा मिलेगा। अगर आप अभी तक प्रोविडेंट फंड, इंश्योरेंस, होम लोन या एजुकेशन लोन पर टैक्स बचा लिया करते थे, तो अब आपको नये क्लॉज के अनुसार अपनी डिडक्शन क्लेम करनी पड़ेगी।

सैलरी की कैटेगरी

नये बिल में टैक्स की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसमें, सैलरी से जुड़े सभी नियमों को एक जगह पर रखा गया है ताकि टैक्सपेयर्स को ITR फाइल करने में आसानी हो सके। वहीं ग्रेच्युटी, छुट्टी के बदले नकदी, पेंशन की बिक्री, वीआरएस और छंटनी मुआवजा जैसी तमाम चीजों को सैलरी सेक्शन में शामिल किया गया है।

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सेक्शन 10 के तहत छूट

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पुराने इनकम टैक्स कानून 1961 के सेक्शन 10 में कृषि इनकम, पार्टनरशिप कंपनी में प्रॉफिट का शेयर, पारिवारिक पेंशन, छात्रवृत्ति, NRI-FCNR डिपॉजिट पर ब्याज पर मिलने वाले डिडक्शन को रखा गया था, जबकि नये विधेयक में इसे अनुसूची 2 से अनुसूची 7 तक अलग-अलग सूचीबद्ध किया गया है।

NRI को पेमेंट पर टैक्स रेट

ओल्ड इनकम टैक्स कानून 1961 की धारा 115ए अप्रवासियों के लिए लागू टैक्स दरों को निर्धारित करती है। वहीं, नए बिल में धारा 207 के तहत अप्रवासियों को रॉयल्टी, टेक्नीकल सर्विस के लिए पेमेंट, लाभांश, ब्याज आदि पर लागू टैक्स दरों को सूचीबद्ध किया गया है।

कुल मिलाकर न्यू इनकम टैक्स बिल 2025, मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 1961 को सरल बनाने की दिशा में सरकार द्वारा उठाया गया शानदार कदम है।

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Image Credit - freepik


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