Tax Saving Tips: एंप्लॉयर को इन्वेस्टमेंट प्रूफ जमा करते समय इन बातों का रखना चाहिए ध्यान, वरना सहना पड़ेगा भारी नुकसान

Income Tax Benefit: जनवरी और फरवरी का महीना एंप्लॉयर के पास अपना इन्वेस्टमेंट प्रूफ जमा करने का होता है, ताकि सैलरी से अनावश्यक टैक्स की कटौती न हो। हालांकि कई बार लोगों से गलतियां हो जाती हैं, जिससे उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ जाता है। ऐसे में, अगर आप कुछ खास बातों का ध्यान रखेंगे तो आप अपने पैसे का नुकसान बचा सकते हैं।
Income Tax Benefit

Income Tax Employer Investment Proof: नए साल की शुरुआत के साथ ही टैक्स सेविंग की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है। हर साल जनवरी-फरवरी के महीने में अपने एंप्लॉयर को इन्वेस्टमेंट प्रूफ जमा करने होते हैं, ताकि सैलरी से अनावश्यक टैक्स की कटौती न हो। हालांकि, इस दौरान कई बार लोग जल्दबाजी में कुछ गलतियां कर बैठते हैं, जिनकी वजह से उनका ज्यादा टैक्स कट जाता है। इतना ही नहीं, बाद में रिफंड क्लेम करने के लिए भी उन्हें लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। अगर आप भी इस परेशानी से बचना चाहते हैं, तो यहां हम आपको कुछ जरूरी टिप्स बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप इन्वेस्टमेंट प्रूफ जमा करने में किसी भी तरह की गलती से बच सकते हैं।

इन्वेस्टमेंट प्रपोजल तैयार करते समय रखें इन बातों का ध्यान

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आपके द्वारा जनवरी-फरवरी में जमा किए गए इन्वेस्टमेंट प्रूफ के आधार पर आपकी सैलरी से टैक्स की कटौती होती है। लेकिन नए वित्तीय वर्ष (अप्रैल) की शुरुआत में एंप्लॉयर आपसे इन्वेस्टमेंट प्रपोजल भी मांग सकता है, जिसमें आपको यह बताना होगा कि आगामी वर्ष 2025-26 में आप कहां और कितना निवेश करने का प्लान बना रहे हैं।

इस प्रक्रिया में आपको यह भी तय करना होगा कि आप पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनना चाहते हैं या नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स भरेंगे। आपका इन्वेस्टमेंट प्रपोजल यह निर्धारित करेगा कि आपकी सैलरी से कितना टीडीएस कटेगा। इसलिए, अगर आप पहले से सही इन्वेस्टमेंट प्लानिंग कर लेते हैं, तो इससे आप अपनी टैक्स बचाने के साथ-साथ वित्तीय असुविधा से भी बच सकेंगे।

गलत या अधूरे दस्तावेज न दें

अक्सर लोग जल्दबाजी में इन्वेस्टमेंट प्रूफ जमा करने में गलतियां कर देते हैं। इनमें एक्सपायर्ड इंश्योरेंस पॉलिसी की रसीद देना, किराए की नकली रसीद जमा करना, अधूरे या गलत दस्तावेज देना आदि शामिल हैं। अगर आपके दस्तावेज में कोई गलती होती है, तो कंपनी आपके निवेश को मान्य नहीं करेगी और आपकी सैलरी से अधिक टैक्स काटी जा सकती है।

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टैक्स बचाने के कर सकते हैं प्लानिंग

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टैक्स बचाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन धारा 80C है, जिसके तहत आप 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स कटौती का लाभ ले सकते हैं। इस कटौती का पूरा फायदा उठाने के लिए आप नीचे दिए गए टिप्स को अपना सकते हैं-

  • इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS): यह टैक्स सेविंग के साथ-साथ अच्छा रिटर्न देने का भी एक बेहतर तरीका है।
  • पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF): यह लंबी अवधि के निवेश के लिए सुरक्षित विकल्प है और अच्छा ब्याज भी प्रदान करता है।
  • सुकन्या समृद्धि योजना: अगर आपकी बेटी है, तो यह योजना टैक्स सेविंग के साथ-साथ भविष्य के लिए अच्छी बचत का भी एक अच्छा माध्यम है।
  • 5 साल की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD): कुछ बैंक 5 साल के टैक्स-सेविंग एफडी की सुविधा देते हैं, जो 80C के तहत टैक्स बचाने में मदद करता है।
  • बच्चों की ट्यूशन फीस: बच्चों की पढ़ाई पर खर्च की गई राशि पर भी 80C के तहत टैक्स में छूट मिलती है। इसके अलावा, अगर आपके घर में बुजुर्ग हैं और उनके मेडिकल पर खर्च है, तो इस प्रूफ को दिखाकर भी टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं।
  • होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट पर छूट: अगर आपने होम लोन लिया है, तो उसके मूलधन पर टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं।

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अंत समय की गलती से बचें

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कई लोग वित्तीय वर्ष के अंत में जल्दबाजी में लाइफ इंश्योरेंस खरीदकर 80C का लाभ उठाने की कोशिश करते हैं। हालांकि, यह सबसे आम गलतियों में से एक है। इसके बजाय, आप नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), EPF, बच्चों की ट्यूशन फीस और हेल्थ इंश्योरेंस जैसी योजनाओं में निवेश करके टैक्स बचाने के बेहतर विकल्प चुन सकते हैं।

अगर आप सही योजना और रणनीति के साथ इन्वेस्टमेंट प्रूफ जमा करते हैं, तो आप अनावश्यक टैक्स की कटौती से बच सकते हैं। साथ ही, सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले सभी कर लाभों का पूरा फायदा भी उठा सकते हैं। टैक्स बचाने के लिए पहले से प्लानिंग करें और सभी प्रूफ समय पर जमा करें, ताकि आपको वित्तीय परेशानी का सामना न करना पड़े।

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Image credit- Freepik


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