शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन देवी जी के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा होती है। देवी जी का यह स्वरूप शुक्र ग्रह को नियंत्रित करता है। यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा करता है तो उसके जीवन में सुख और समृद्धि आती है। इतना ही नहीं अगर आपको जीवन में आकर्षण, सौंदर्य, प्रेम चाहिए तो आपको देवी चंद्रघंटा की पूजा जरूर करनी चाहिए। देवी का तीसरा स्वरूप सौम्य होता है और आप इस दिन पूजा कर उचित फल पा सकती हैं।
देवी जी के तीसरे स्वरूप की अराधना करने से आपको भौतिक सुख सुविधा की प्राप्ती भी होती है। मगर आपको देवी जी के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा कैसी करनी चाहिए आइए पंडित एवं ज्योतिषाचार्य दयनंद शास्त्री से जानते हैं। पंडित जी द्वारा बताए गए नियमों का पालन करने पर माता की पूजा सही ढंग से समपन्न हो सकती है। इस स्टोरी में शुभ मुहूर्त से लेकर शुभ रंग और पूजा विधि तक सभी चीज़ों की चर्चा की जाएगी।
कैसे करें पूजा
पंडित जी बताते हैं, ‘देवी चंद्रघंटा की पूजा के समय यदि आप पीले रंग के कपड़े पहनती हैं तो इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा को दूध और द्रध से बनी चीजें बहुत अधिक प्रिय होती हैं इसलिए आपको इन्हें वही अर्पित करनी चाहिए। गुड़ और लाल सेब भी मैय्या को बहुत पसंद है। ऐसा करने से सभी बुरी शक्तियां दूर भाग जाती हैं।’नवरात्र के व्रतों में शास्त्रानुसार करें भोजन ग्रहण
शुभ मुहूर्त
देवी चंद्रघंटा की पूजा का शुभ मुहूर्त 9 अक्टूबर, शनिवार को प्रात: 7 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर चतुर्थी तिथि सुबह 4 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
नवरात्रि 2021 के तीसरे दिन का शुभ रंग-
पीले रंग के वस्त्र पहन कर इनकी पूजा करनी चाहिए। इसी के साथ, इन्हें पीले या सफेद रंग के फूलों की माला पहनाना चाहिए।
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कौन सी राशि के जातकों को करनी चाहिए देवी चंद्रघंटा की पूजा
अगर आपकी राशि मिथुन या कन्या है तो आपको देवी चंद्रघंटा की पूजा जरूर करनी चाहिए। आपको देवी चंद्रघंटा की पूजा के दौरान यह मंत्र जपना चाहिए। इससे आपको कल्याण होगा।नवरात्री के नौ दिन नौ प्रसाद
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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कैसा होता है स्वरूप
अपने नाम की ही तरह देवी चंद्रघंटा का स्वरूव थोड़ा अलग सा होता है। उनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना होता है। इस लिए इन्हें चंद्रघंटा का जाता है। देवी जी का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा सिंह पर विराजमान रहती हैं और इनकी दस भुजाएं हाती हैं। यह अपनी दसों भुजाओं में अलग-अलग अस्त्र पकड़े हुए होती हैं। अगर आप देवी चंद्रघंटा की अराधना कर रहे हैं तो आपको इन्हें हमेशा सफेद रंग के फूलों की माला पहनानी चाहिए।नवरात्री में श्री दुर्गा सप्तशती पाठ का क्या है महत्व
पण्डित दयानन्द शास्त्री, ‘चन्द्रमा हमारे मन का प्रतीक है। मन का अपना ही उतार चढ़ाव लगा रहता है। प्राय:, हम अपने मन से ही उलझते रहते हैं – सभी नकारात्मक विचार हमारे मन में आते हैं, ईर्ष्या आती है, घृणा आती है और आप उनसे छुटकारा पाने के लिये और अपने मन को साफ़ करने के लिये संघर्ष करते हैं। अगर आप देवी चंद्रघंटा की पूजा करती हैं तो आपके मन में हमेशा सकारात्मक विचार ही आएंगे।’
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