इस बार शारदीय नवरात्रि का आरम्भ 17 अक्टूबर को हो रहा है। नवरात्रि के नौ दिनों को बहुत ज्यादा पावन माना जाता है। इन दिनों में भक्तजन श्रद्धा भाव से माता के लिए नौ दिनों का उपवास करते हैं। खासतौर पर महिलाएं माता की आराधना बड़े ही श्रद्धा भाव से करती हैं और घर में कलश और ज्योति की भी स्थापना करती हैं। पूरे नौ दिनों तक दुर्गा शप्तसती का पाठ होता है और माता की आरती सुबह व शाम होती है। साधना, जप और ध्यान का पर्व है नवरात्रि। इन 9 दिनों में माता के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। अध्यात्म की दृष्टि से भी ये पर्व अत्यधिक मायने रखता है क्योंकि इन 9 दिनों में मनुष्य सभी प्रकार की तामसिक चीजों से दूर रहता है और निरंतर ध्यान करता है। लेकिन इन दिनों महिलाओं के लिए एक सबसे बड़ी चिंता का विषय ये होता है कि नवरात्रि व्रत और पूजन के दौरान यदि पीरियड्स शुरू हो जाएं तो क्या किया जाए। ऐसे में आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिससे पूजन में पवित्रता बनी रहे। आइए जानें -
पीरियड्स की डेट नजदीक है तो न करें उपवास
महिलाओं का मासिक चक्र 22 से 28 दिन का होता है और सभी को अपनी पीरियड्स की डेट का पहले से ही अनुमान होता है। ऐसे में यदि आपको लगता है कि 9 दिनों के बीच पीरियड्स की डेट पद सकती है तो आपको पहले से ही सचेत होकर पूरे नौ दिनों का उपवास नहीं करना चाहिए। यदि आप उपवास करना ही चाहें तो प्रथम व आखिरी दिन का उपवास कर सकती हैं। इसके अलावा यदि नवरात्रि शुरू होने से पहले ही मासिक धर्म की शुरूआत हो चुकी है, तो आप नवरात्रि का उपवास न करें। यदि किसी वजह से आपने पहले ही व्रत का संकल्प लिया है तो आप व्रत करें लेकिन पूजन किसी और से करवाएं। हिन्दू मान्यतानुसार पीरियड्स में मंदिर में प्रवेश करना वर्जित होता है। यदि आप शादी शुदा हैं तो अपने पति से पूजन करवा सकती हैं।
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कलश से बनाए रखें दूरी
यदि पीरियड्स की आशंका है तो आप कलश स्थापित न करें। क्योंकि कलश स्थापना के अपने अलग ही नियम हैं, इसलिए कलश वाले स्थान को बहुत ज्यादा पवित्र रखना पड़ता है। यदि कलश स्थापित हो चुका है तो आपको कलश से दूरी बनाए रखनी चाहिए। यदि कलश आपसे स्पर्श हो गया तो इसकी पवित्रता ख़त्म हो सकती है। अतः कलश को बहुत ज्यादा पवित्र स्थान पर ही स्थापित करना चाहिए।
माता का भोग न बनाएं
पीरियड्स के दौरान आपको माता के लिए भोग भी नहीं तैयार करना चाहिए। ऐसे समय में बनाया गया भोग माता द्वारा स्वीकार्य नहीं होता है। यहां तक कि माता का भोग भी किसी और से लगवाएं । यदि आपने पहला व्रत रख लिया और आपको आखिर व्रत में पीरियड्स शुरू हो गए हैं तब भी आपको आखिरी व्रत अवश्य रखना चाहिए और कुछ नियमों का पालन करना चाहिए जैसे माता की तस्वीर का स्पर्श न करें और मंडी में प्रवेश से बचें । जिस समय आपका मासिक धर्म खत्म हो जाए उस समय नहाकर साफ वस्त्र धारण करके मां भगवती का पूजन करें। यदि आप नियमित रूप से माता कोलौंग का जोड़ाचढाती हैं और पीरियड्स की वजह से ऐसा नहीं कर पायी हैं तो पीरियड्स ख़त्म होने के बाद एक साथ लौंग के उतने जोड़े चढ़ा दें जितने दिन छूटे हैं।
मोबाइल में पढ़ें दुर्गा सप्तशती
यदि आप नियमित रूप से दुर्गा सप्तशती का पाठ करती आयी हैं और बीच में आपको पीरियड्स शुरू हो जाएं तो आपको ये पाठ अपने मोबाइल पर पढ़ना चाहिए जिससे पाठ खंडित न हो सके। यदि पढ़ नहीं पा रही हैं तो आप मोबाइल पर इसे सुन भी सकती हैं। इससे भी आपको पाठ पढ़ने जैसा ही फल प्राप्त होगा। पीरियड्स के दौरान माता के मंत्रों का मानसिक जाप करें और उनका मानसिक ध्यान करें। मंडी में प्रवेश करने की जगह किसी अन्य स्थान पर माता का ध्यान रख सकती हैं।
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मासिक धर्म एक आम प्रक्रिया है इससे बचा नहीं जा सकता है लेकिन यहाँ बताए गए नियमों का पालन करके आप पीरियड्स के दौरान भी मां का पूजन श्रद्धा भाव से कर सकती हैं।
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Image Credit: freepik ,pintrest
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