नरगिस की जिंदगी में हमेशा उतार-चढ़ाव लगे रहे थे लेकिन इनके पति सुनिल दत्त ने कभी इनका साथ नहीं छोड़ा था। नरगिस के बच्चे भी उन्हें बहुत प्यार करते थे और संजू बाबा तो अपनी मां के बहुत करीब थे। हिंदी सिनेमा को शुरूआती दौर में जिन अभिनेत्रियों ने एक अलग उंचाई दी है उनमें से एक नाम खूबसूरत एक्ट्रेस नरगिस का भी है। नरगिस राज्यसभा के लिए नॉमिनेट होने और पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली पहली हीरोइन थीं।
बड़े पर्दे पर ‘संजू’ फिल्म रिलीज हो चुकी है और हर तरफ संजय दत्त की पर्सनल लाइफ के बारे में बातें की जा रही हैं, ऐसे में संजू जिसके सबसे ज्यादा करीब थे मतलब उनकी मां नरगिस के बारे में बातें ना हो ऐसा कैसे हो सकता है।
नरगिस के अभिनय का जादू कुछ ऐसा था कि साल 1968 में जब बेस्ट एक्ट्रेस के लिए पहले फिल्मफेयर अवॉर्ड देने की बारी आई तो उन्हें ही चुना गया।
यहां आपको बता दें कि नरगिस के बचपन का नाम फातिमा राशिद था। उनका जन्म 1 जून 1929 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता शहर में हुआ था। नरगिस के पिता उत्तमचंद मोहनदास एक जाने-माने डॉक्टर थे। उनकी मां जद्दनबाई मशहूर नर्तक और गायिका थी। मां के सहयोग से ही नरगिस फिल्मों से जुड़ीं और उनके करियर की शुरुआत हुई फिल्म 'तलाश-ए-हक' से। जिसमें उन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया। उस समय उनकी उम्र महज 6 साल की थी। इस फिल्म के बाद वो बेबी नरगिस के नाम से मशहूर हो गई थीं।
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1940 से लेकर 1950 के बीच नरगिस ने कई बड़ी फ़िल्मों में काम किया। जैसे ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘दीदार’ और ‘श्री 420’। तब राज कपूर का दौर था। नरगिस ने राज कपूर के साथ 16 फिल्में की और ज्यादातर फिल्में सफल साबित हुईं। ऐसा कहा जाता है कि इस बीच दोनों में नजदीकियां भी बढ़ने लगीं और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया।
राज कपूर से अलग होने के ठीक एक साल बाद नरगिस ने 1957 में महबूब खान की 'मदर इंडिया' की शूटिंग शुरू की। मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग गई। सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर नरगिस को बचाया और दोनों में प्यार हो गया। मार्च 1958 में दोनों की शादी हो गई। सुनिल दत्त और नरगिस ताउम्र एक-दूसरे के साथ रहें।
नरगिस एक अभिनेत्री से ज्यादा एक समाज सेविका थीं। उन्होंने असहाय बच्चों के लिए काफी काम किया। उन्होंने सुनील दत्त के साथ मिलकर 'अजंता कला सांस्कृतिक दल' बनाया जिसमें तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे और उनका मनोरंजन करते थे। संजय दत्त की पहली फिल्म ‘रॉकी’ 1981 में अप्रैल-मई में रिलीज होने वाली थी। नरगिस तब बीमार चल रही थीं, उन्हें कैंसर था। वो संजू की फिल्म देखने को बेचैन थीं। बेटे संजू से उन्होंने कहा था कि उनकी तबीयत खराब रही और स्ट्रेचर पर भी ले जाना पड़ा, तब भी वो फिल्म ज़रूर देखेंगी। फिल्म 8 मई को रिलीज होनी थी लेकिन 3 मई को ही नरगिस की मौत हो गई जिस दिन फिल्म का शो था उस दिन एक सीट नरगिस के लिए खाली रखी गई थी।
नरगिस की मौत पर रोने की तो छोड़िए संजय दत्त ऐसे मौके पर बहन प्रिया दत्त के पास पहुंचे और चरस मांगने लगे। इसके बाद सुनील दत्त ने विदेशी डॉक्टरों से बात की और इलाज के लिए पहले जर्मनी ले गए फिर अमेरिका।
इलाज के बाद जब संजय दत्त को एहसास हुआ कि उनकी मां का निधन हो गया है तब जाकर रोए और ऐसा रोए कि लगातार चार दिन तक रोते रहे। संजय दत्त को ऐसा लग रहा था कि उनकी मां मर गईं क्योंकि वो उन्हें ठीक करना चाहती थीं लेकिन उन्होंने इसे सीरियसली नहीं लिया।
‘संजू’ फिल्म में संजय दत्त की मां का किरदार मनीषा कोइराला ने निभाया है।
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