Narak Chaturdashi 2022: दिवाली मां लक्ष्मी का महापर्व है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा का विधान है। माना जाता है कि दिवाली के दिन जहां एक ओर मां लक्ष्मी पूरे संसार में भ्रमण करती हैं और जिस भी व्यक्ति की श्रद्धा भक्ति से प्रसन्न होती हैं उसके घर जाकर आशीष प्रदान करती हैं।
वहीं, दूसरी ओर प्रथम पूज्य श्री गणेश भी व्यक्ति का भक्तिभाव देख उसके सारे विघ्नों को हर लेते हैं। दिवाली से एक दिन छोटी दिवाली आती है जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन मां लक्ष्मी के साथ साथ तीन और ऐसे देवी देवता हैं जिनके नाम का दीपक जलाने से न सिर्फ व्यक्ति की सभिक मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं बल्कि उसे भय, रोग जैसे विकारों से भी मुक्ति मिल जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि नरक चतुर्दशी एक दिन किन देवी देवताओं के नाम का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।
इसे जरूर पढ़ें:Diwali Wishes 2022: अपने प्रियजनों को प्यार से कहें दिवाली मुबारक, भेजिए ये शुभकामनाएं और संदेश
नरक चतुर्दशी के दिन श्री कृष्ण के नाम का दीपक्ल अवश्य ही जलाना चाहिए। इसके पीछे का कारण है एक पौराणिक कथा जिसके अनुसार द्वापरयुग में एक नरकासुर नाम का राक्षस था जिसने नगर की सभी कुंवारी कन्याओं को मां काली के समक्ष बलि देने के लिए अपने महल में बंधी बना लिया था। जब यह बात श्री कृष्ण को पता चली तो वह अपनी भार्या सत्यभामा के साथ उस दैत्य का अंत करने के लिए निकल पड़े।
भगवान श्री कृष्ण ने एक लंबे युद्ध के बाद न सिर्फ उस राक्षस का अंत किया बल्कि उसके बंधीगृह में मौजूद सभी कन्याओं को मुक्त कराया। तभी से माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन श्री कृष्ण के नाम का दीपक जलाने से वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी परेशानियांदूर हो जाती हैं।
नरक चतुर्दशी के दिन यम का दीपक जलाने का भी विधान है। माना जाता है कि यम का दीपक (इस तरह करें धनतेरस पर यमराज की पूजा) जलाने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और मृत्यु दोष से भी मुक्ति मिल जाती है।
यम का दीपक जलाना नरक चतुर्दशी का सबसे बड़ा ज्योतिष एवं धार्मिक उपाय है। ध्यान देने वाली बात यह है कि यम का दीपक एक मुखी होना चाहिए और इसे सरसों के तेल से ही जलाना चाहिए।
इसे जरूर पढ़ें: Diwali 2022: छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी क्यों कहा जाता है?
नरक चतुर्दशी को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी से लेकर अमावस्या की काली रात यानी कि दिवाली की रात मां काली की पूजा के लिए समर्पित है। माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन मां काली की पूजा न सिर्फ तांत्रिकों द्वारा सिद्धि प्राप्ति के लिए की जाती है बल्कि घरों में भी मां काली के पूजन का विधान सालों से चला आ रहा है।
धर्म युक्त सात्विक पूजा विधि के अनुसार, काली चौदस के दिन मां काली के नाम का दीपक जलाने से व्यक्ति के सभी शत्रु शांत हो जाते हैं और उसके जीवन में भय का कोई स्थान नहीं रहता है।
तो इन्हीं कारणों के चलते ऐसा माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन मां लक्ष्मी के साथ साथ भगवान श्री कृष्ण, मानम काली और यम देव का दीपक अवश्य ही प्रज्वलित करना चाहिए।
इस आर्टिकल को शेयर और लाइक जरूर करें, साथ ही कमेंट भी करें।धर्म और त्यौहारों से जुड़े ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Freepik
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।