Mother's Day 2023: जब 41 साल की मां ने तय किया कॉर्पोरेट वर्ल्ड का सफर, जानें श्वेता ओझा के उड़ान की कहानी

कामकाजी महिलाओं को हमेशा ऑफिस और बच्चों की जिम्मेदारियों के बीच तालमेल बैठाने में मुश्किल होती है, लेकिन हर मुश्किल को हल करके श्वेता ने मां होने के साथ-साथ अपने प्रोफेशन पर भी बखूबी ध्यान दिया और बड़ा मुकाम हासिल किया।  

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एक अच्छी मां कैसे बना जाए? यह सवाल हर मां के जहन में आता है। एक अच्छी मां होने के साथ-साथ अपने बच्चे के लिए रोल मॉडल बनना किसी बड़े लक्ष्य से कम नहीं होता है। आज हम आपको एक ऐसी ही मां से अपने इस लेख के जरिये मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की, परिवार और अपने बच्चों के साथ-साथ अपने सपनों को भी बेहद खूबसूरती से संजोया और समाज में एक बेहतरीन मुकाम हासिल किया है।

हम बात कर रहे हैं श्वेता ओझा के बारे में। श्वेता की जर्नी की खासियत यह है कि उन्होंने प्रोफेशनल लाइफ की शुरुआत 41 साल की उम्र में की जब वह पहले से ही मां की जिम्मेदारियां निभा रही थीं। मल्टी-टैलेंटेड होना क्या होता है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि श्वेता बैंकिंग और बिजनेस फाइनेंस में पीजीडीसीएस कर चुकी हैं। श्वेता ने वड़ोदरा और जयपुर से एंटरप्राइज एप्लिकेशन और एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट मैनेजमेंट की एडिशनल क्वालिफिकेशन हासिल की है।

श्वेता ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के अपने जुनून को कायम रखते हुए अपने दोनों बेटों का पालन-पोषण किया है। वह मैराथन रनर भी रह चुकी हैं और उन्हें ट्रैकिंग का भी बेहद शौक है। श्वेता रिसेंटली एक ऑफ़लाइन कम्युनिटी क्रिएट करने के अपने काम में जुटी हुई हैं। उन्होंने #LinkedInLocalThane लॉन्च किया है, जो एक ग्लोबल कम्युनिटी #linkedinlocal का हिस्सा है। इस पहल को आधिकारिक तौर पर लिंक्डइन इनकॉरपोरेशन द्वारा स्वीकार किया गया है और इसे लिंक्डइन मेम्बर्स स्वेच्छा से चलाते हैं। आइये अब खुद श्वेता से ही जानते हैं उनके बारे में और शुरू करते हैं सवाल-जवाब का छोटा सिलसिला।

1. आप खुद को कैसे परिभाषित करना चाहेंगी?

मैं खुद को एक स्वतंत्र महिला के रूप में परिभाषित करूंगी। पेशेवर रूप से मैं एक व्यक्तिगत ब्रांडिंग रणनीतिज्ञ हूं।

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2.आपने सबसे बड़ी चुनौतियां कौन सी देखी हैं?

मेरी सबसे चुनौतियों में, छोटी सोचा और सामाजिक अपेक्षाओं पर काबू पाना और परिवार के भीतर के जटिल ताने-बाने के सामंजस्य बनाना शामिल था।

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3. मां बनने के बाद आपको किन परेशानियों का सामना करना पड़ा?

मुझे कठोर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। जब मैंने मां बनने की जिम्मेदारी के साथ-साथ अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्लानिंग करना शुरू किया, तब मुझे कई नेगेटिव बातें सुननी पड़ीं। जैसे कि तुम्हें इतना संघर्ष करने की जरूरत ही क्या है, तुम क्या ही कर पाओगी और तुम्हारी वैल्यू ही क्या है' आदि।

4. आप खुद को एक मां, गृहिणी और कामकाजी महिला के रूप में क्या रेटिंग देना चाहेंगी?

एक मां के रूप में, मैं खुद को 10 में से 5 अंक दूंगी, एक गृहिणी के रूप में मेरा मानना है कि मैं 10 में से 9 रेटिंग के साथ उत्कृष्ट हूं। एक कामकाजी महिला के रूप में, मैं खुद को 10 में से 8 अंक दूंगी।

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5. आपकी सबसे कठिन सीख क्या रही है?

मेरा सबसे चुनौतीपूर्ण सबक यह महसूस करना था कि हमारी मानसिकता महत्वपूर्ण है। एक बार जब हम परिस्थितियों को स्वीकार कर लेते हैं और अपने आप पर विश्वास कर लेते हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं है।

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6. एक महिला को सफल होने के लिए किन गुणों का होना जरूरी होता है?

सफलता प्राप्त करने के लिए, एक महिला को आत्म-विश्वासी होना बहुत जरूरी है। साथ ही, किसी भी परिस्थिति को अपनी जरूरत के हिसाब से ढाल लेना ही सफल महिला बनने की पहली सीढ़ी है।

7. क्या आपने मॉम गिल्ट का सामना किया है और कैसे कोई मां इससे कैसे बाहर आ ओवर्कम कर सकती हैं?

मैंने 10वीं और 12वीं कक्षा में अपने बच्चों के महत्वपूर्ण वर्षों के दौरान मॉम ग्लिट महसूस किया था, जब मेरे बच्चे अपने महत्वपूर्ण वर्ष 10वीं और 12वीं कक्षा में थे । क्योंकि मैं घर के कामों और अपने प्रोफेशन की जरूरत के कारण उन्हें उतना वक्त नहीं दे सकी, जिस समय उनकी मुझसे उम्मीदें उम्मीद थीं।

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बहरहाल, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि मैंने अपनी पेशेवर यात्रा 41 साल की उम्र में शुरू की और अपने जीवन के 20 साल केवल एक गृहिणी होने के लिए समर्पित किए, जिससे मेरा पूरा ध्यान अपने बच्चों पर रहा। हालांकि, करियर में परिवर्तन मेरे लिए चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मेरे बच्चे परिपक्व होने के साथ अच्छी तरह से खुद को परिस्थितियों से तालमेल बिठा लिया समायोजित हो गए। (HZ Exclusive: Shilpa Shetty ने कम समर्थन और ज्यादा जिम्मेदारियों को बताया महिलाओं के लिए बाधा)

8. क्या आपको ऐसा लगता है कि मांओं से जुड़ा हुआ टॉक्सिक ग्लोरिफिकेशन किया जाता है जिससे हर मां के ऊपर प्रेशर क्रिएट होता है और इसे एक मां कैसे मैनेज कर सकती है?

मुझे लगता है कि मांओं से जुड़ा हुआ ये टॉक्सिक ग्लोरिफिकेशन सोशल कंडीशनिंग से उपजा है, जो पक्षपात और अपेक्षाएं पैदा करता है। मेरा मानना है कि माताओं के प्रति 'इट्स ओके सब ठीक है' वाली धारणा स्वीकार करना कारण बहुत आवश्यक आवाश्यक है, क्योंकि अपने बच्चों के लिए हम हैं और सिर्फ हम ही हैं।

हमारे देश में हर जिम्मेदारी मां के सिर पर होती है, लेकिन अगर गौर किया जाए, तो कई घरों में रहने वाली माताएं इस बात को अपना कर्तव्य समझती हैं, लेकिन अगर यही काम हर घर के पिता के सिर पर होगा तो हर मां कुछ वक्त अपने लिए भी निकाल पाएगी। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: instagram

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