महिलाओं की प्रगति के लिहाज से साल 2019काफी अच्छा कहा जा सकता है। इस साल महिलाओं ने कई नए क्षेत्रों में कदम रखते हुए कामयाबी की इबारत लिखी। स्नेहा से लेकर मिंटी अग्रवाल तक और अनुप्रिया लाकड़ा से लेकर रूपा गुरुनाथ तक, महिलाओं ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया और पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में कामयाबी के झंडे गाढ़ दिए। लेकिन दूसरी तरफ इसी साल महिलाओं से जुड़े कई अहम मुद्दे भी उठे, जिन्होंने जनमानस को सोचने पर मजबूत कर दिया, चाहें वह सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का मामला हो, मीटू का मामला हो, या फिर महिलाओं से जुड़े यौन हिंसा के मामले। आइए जानते हैं साल 2019 के सबसे बड़े वुमन इशुज के बारे में-
सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का मामला बड़ी बेंच को सौंपा गया
हमारे देश में सदियों से कुछ मंदिरों में महिलाओं के जाने पर रोक थी। इनमें से एक मंदिर सबरीमाला भी रहा। लेकिन महिलाओं के लगातार होने वाले आंदोलनों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी थी। इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में बहुत सी पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं। पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया कि इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है। ऐसे में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की पीठ ने 3:2 के अनुपात से यह मामला बड़ी बेंच को सौंप दिया।
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चीफ जस्टिस गोगोई का कहना था कि मामला सिर्फ महिलाओं के मंदिर के प्रवेश तक सीमित नहीं है, इसमें मस्जिद में प्रवेश भी शामिल है। यह भी अहम बात रही सुप्रीम कोर्ट ने अपने 28 सितंबर, 2018 के फैसले पर रोक नहीं लगाई है। इसका सीधा अर्थ ये है कि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश जारी रहेगा। इस फैसले में 10 से 50 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने से रोकने वाले प्रतिबंध को हटा दिया गया था।
मीटू मूवमेंट पड़ पड़ गया फीका
बॉलीवुड में साल 2018 में मीटू एक बड़ा मुद्दा बना था। इस दौरान तनुश्री दत्ता से लेकर चित्रांगदा सिंह जैसी कई सेलेब्स ने अपने साथ होने वाली ज्यादती के बारे में आवाज उठाई। इस मामले की शुरुआत तनुश्री दत्ता ने की थी, उन्होंने नाना पाटेकर पर फिल्म हॉर्न ओके की शूटिंग के दौरान सेक्शुअल हैरसमेंट के आरोप लगाए थे। जहां कंगना रनौत, कल्कि कनमनी, और विंता नंदा जैसी महिलाओं ने मीटू मोमेंट शेयर किए, वहीं एम जे अकबर, साजिद खान, विकास बहल, अन्नू मलिक और सुभाष घई जैसे दिग्गजों पर महिलाओं के साथ सेक्शुअल हैरसमेंट के आरोप लगे। लेकिन साल 2019 में मीटू की चमक फीकी पड़ती दिखी। हकीकत ये है कि जिन पुरुषों के नाम मीटू विवाद में सामने आए थे, उनमें से ज्यादातर ने फिर से वापसी कर ली है।
डायरेक्टर सुभाष कपूर पर यौन शोषण के आरोप लगे थे, लेकिन वही अब मुगल फिल्म बना रहे हैं, जो दिवंगत गुलशन कुमार की जिंदगी पर आधारित है। हालांकि पहले मीटू के चलते आमिर खान ने इस प्रोजेक्ट से किनारा कर लिया था, लेकिन कुछ समय बाद आमिर ने फिर से प्रोजेक्ट में वापसी कर ली। उन्होंने तर्क दिया कि 'जिस व्यक्ति के अपराध के बारे में मुझे कुछ नहीं पता, मैं उससे उसके काम का अधिकार नहीं छीन सकता।' इस पर तनुश्री दत्ता ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा था, 'यह कितनी डराने वाली बात है कि गैरजिम्मेदार लोगों को ऑन स्क्रीन भगवान का रोल अदा करने का मौका मिलता है, जबकि रियल लाइफ में वे ऐसे लोगों के साथ काम करने से भी मना नहीं कर सकते, जिन्होंने महिला को बुरी तरह प्रताड़ित किया हो।'
फिल्म मेकर साजिद खान पर मीटू मूवमेंट के दौरान कई महिलाओं ने सेक्शुअल हैरसमेंट के आरोप लगाए थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हाउसफुल 4 की शूटिंग पूरी कर ली। यह भी माना जा रहा है कि किसी बड़े बैनर के तले जल्द ही वह डायरेक्टर के तौर पर फिर से नई शुरुआत करेंगे।
यौन हिंसा और रेप के मामले पर फिर बढ़ी चिंता
साल 2012 में जब निर्भया के साथ के साथ गैंगरेप हुआ था, तो देशभर में इसके विरोध में व्यापक आंदोलन हुए थे। निर्भया की मौत के बाद दोषियों को फांसी की सजा दिलाने और यौन हिंसा के खिलाफ सख्ती बरतने की बात कही गई थी। इसी के मद्देनजर महिला सुरक्षा के लिए निर्भया फंड भी बनाया गया था। लेकिन साल-दर-साल महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा और रेप केसेस लगातार बढ़े हैं, जो महिलाओं के लिए चिंता का सबब बना हुआ है।
2019 में बड़े पैमाने पर महिलाओं के साथ यौन हिंसा के मामले दर्ज किए गए। हैदराबाद में वेटरनरी डॉक्टर के साथ रेप और फिर उन्हें जिंदा जला दिए जाने की घटना के बाद देश एक बार महिलाओं की सुरक्षा के लिए चिंतित नजर आया। इस घटना के महज कुछ दिनों के भीतर उन्नाव रेप मामले के दोषियों ने बेल पर बाहर आते ही पीड़िता को जिंदा जला दिया था। 90 फीसदी जल जाने के बाद भी पीड़िता एक 1 किमी दौड़ती हुई गांव में पहुंची थी और लोगों से मदद की फरियाद की थी। इलाज के लिए पीड़िता को दिल्ली लाया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। उन्नाव का ही एक और रेप केस बीजेपी के पूर्व एमएलए कुलदीप सेंगर पर भी चल रहा था, जिसमें अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया है। वहीं निर्भया रेप केस मामले में जेल में बंद दोषी अक्षय सिंह की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी, जिसके बाद चारों दोषियों को जल्द फांसी दी जा सकती है। हालांकि यौन हिंसा के मामलों पर अदालतों में पहले की तुलना में अब त्वरित कार्रवाई की जा रही है, लेकिन यौन हिंसा की शिकार महिलाओं को इंसाफ मिलने के लिए अभी भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में महिलाओं के लिए सुरक्षा मुहैया कराना और कानूनों का सख्ती से पालन कराना अनिवार्य हो गया है।
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