निर्भया गैंगरेप मामले के आरोपी फांसी पर लटकेंगे, सुप्रीम कोर्ट ने सजा रखी बरकरार

निर्भया गैंगरेप मामले में फांसी की सजा पाने वाले 3 दोषियों की रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है और निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा है।

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निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट चार में से तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। शीर्ष अदालत ने दोषियों की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर उनकी सजा को बरकरार रखा है।

रंजना कुमारी ने शीर्ष अदालत के फैसले का किया स्वागत

वुमन राइट एक्टिविस्ट रंजना कुमारी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 'इस फैसले का हम स्वागत करते हैं, दुर्भाग्यवश यह फैसला आने में 6 साल लग गए। लेकिन देर आए, दुरुस्त आए। परिवार की इंसाफ पाने की लड़ाई में हमने भी उनका साथ दिया। यह भी काबिले-तारीफ है कि पीड़ित परिवार ने हिम्मत रखी। आज निर्भया के परिवार को न्याय मिला है। इस मामले में पूरा देश सड़कों पर उतर आया, युवाओं में भारी गुस्सा था, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कड़ा फैसला सुनाया जाना एक सकारात्मक कदम है। हमारे देश में जिस रफ्तार से रेप केस बढ़ रहे हैं और उनकी सुनवाई में जितना समय लगता है, उसे देखते हुए अदालत के फैसले से न्याय व्यवस्था में नई उम्मीद जगी है।हालांकि सजाए-मौत पर चर्चा हो सकती है, लेकिन अभी की जो व्यवस्था है, इस मामले को 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस' करार देकर दोषियों को कड़ी सजा देना पूरी तरह न्यायसंगत है।'

दोषियों को सजा मिलने से न्याय मिलने की जगेगी आस

इस मामले में एक दोषी की रिव्यू पिटीशन पर हालांकि फैसला आना बाकी है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि चौथी रिव्यू पिटीशन में भी सुप्रीम कोर्ट मौत की सजा बरकरार रखेगी। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रिव्यू पिटीशन पर फैसला आने में ठीक-ठाक समय लगा। इसकी प्रक्रिया ऐसी है कि इसमेंमामलों की सुनवाई में समय लग जाता है। हम उम्मीद करते हैं कि चौथे दोषी के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट को तत्काल फैसला लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोषी राष्ट्रपति को अपनी दया याचिका भेज सकते हैं। अगर राष्ट्रपति भी इस सजा को कायम रखते हैं तोपूरे देश में एक तरह से यही संदेश जाएगा कि महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा और अत्याचार बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे और इसमें दोषी पाए जाने वालों को कड़ी सजा मिलेगी। इससे देश की लड़कियों में ऐसे मामलों में न्याय मिलने की आस भी जगेगी।

निर्भया के पिता को दोषियों को फांसी दिए जाने का इंतजार

कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या के चारों दोषियों को पिछले साल 5 मई को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके बाद इन दोषियों ने राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी। निर्भया के पिता का कहना था कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से न्याय की पूरी उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा था कि निर्भया के साथ गैंगरेप और मर्डर करने वालों को जिस दिन फांसी दी जाएगी, उसी दिन उन्हें और पूरे देश को तसल्ली होगी। अब उन्हें इसी बात का इंतजार रहेगा कि कब इन चारों दोषियों को फांसी के फंदे में लटकाया जाए।

सरकारी वकील ने निर्भया मामले के दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखने की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने तीन दोषियों की रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के बाद 4 मई को फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर. भानुमति की बेंच नेनिर्भया गैंगरेप और मर्डर में फांसी की सजा पाए दोषियों के रिव्यू पिटीशन पर आज अपना फैसला सुनाया। बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह के अनुसार अक्षय की तरफ से रिव्यू पिटिशन बाद में दाखिल की गई।

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गंभीर चोटों से हुई थी निर्भया की मौत

सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत की तरफ से 23 वर्षीय पैरामेडिक छात्रा से 16 दिसंबर 2012 को गैंगरेप और हत्या के मामले में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था। निर्भया के साथ दक्षिणी दिल्ली में रात के सन्नाटे में चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था। इस दौरान इन लोगों ने पीड़िता को गंभीर चोट पहुंचाईं और बाद में सड़क किनारे फेंक दिया। गंभीर रूप से घायल पीड़िता को बचाने के लिए डॉक्टरों ने अपनी तरफ से हर संभव उपाय किए, लेकिन चोटों से हुए इन्फेक्शन से वह उबर नहीं पाईं और सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में 29 दिसंबर 2012 को उसकी मौत हो गई।

इस मामले में एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य आरोपी नाबालिग था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया और तीन साल के लिए सुधार गृह में रखे जाने के बाद रिहा कर दिया।

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रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस

निर्भया गैंगरेप और मर्डर मामले में कोर्ट ने चारों मुजरिमों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश की फांसी की सजा को पिछले साल 5 मई को बरकरार रखा था। कोर्ट के अनुसार यह मामला 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' श्रेणी में आता है। अदालत ने यह भी माना कि पीड़िता ने मरने से पहले जो बयान दिया, वह दोषियों के खिलाफ बेहद अहम और पुख्ता साक्ष्य है।

देशभर में हुए थे विरोध प्रदर्शन

इस मामले पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके बाद इन दोषियों ने एक-एक कर रिव्यू पिटिशन दाखिल की। नियम के तहत रिव्यू पिटिशन की ओपन कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसके बाद 4 मई 2018 को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

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