खबर आ रही है कि निर्भया फंड बच्चियां अभी यूज़ नहीं कर पा रही हैं। ऐसा हम नहीं सुप्रीम कोर्ट के दिए गए आदेश से लगता है।
बीते नौ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित राज्यों से निर्भया फंड का ब्यौरा मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रेदश से पूछा है कि केंद्र से मिलने वाले निर्भया फंड के पैसे का वे किस तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं। गौरतलब है कि दिसंबर में निर्भया की मां ने निर्भया की पुण्यतिथि पर फंड (निर्भया फंड) के उपयोग को लेकर कई सारे सवाल उठाए थे। केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए निर्भया की मां ने आरोप लगाया था कि इस फंड की धनराशि के इस्तेमाल की अब तक कोई जानकारी नहीं है। इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये फंड राज्यों को यौन हमलों और एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं के इलाज के लिए दिए जाते हैं। ऐसे में वो इस फंड का हिसाब-किताब दें।
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सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एम बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने इस फंड का ब्यौरा मांगा है। केंद्र की ओर से जारी किए गए निर्भया फंड का इस्तेमाल करने के तरीके पर उसके सामने चार सप्ताह में नोटिस दाखिल करने को कहा है।
कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी भी जताई है कि उसके बार-बार ध्यान दिलाने पर भी राज्य जवाब नहीं देते। नाराजगी जताने के साथ जस्टिस मदन बी लोकुर व दीपक गुप्ता की बेंच ने साथ में ये भविष्यवाणी भी की कि उन्हें पता है कि राज्य ब्योरा नहीं देंगे।
अदालत ने इस मामले में वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह को न्यायमित्र बनाया है। उनका कहना था कि राज्यों से पूछा जाना चाहिए कि केंद्र से मिले पैसे को उन्होंने कहां खर्च किया।
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