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Supreme court asked madhya pradesh government is rape worth just Rs  big

सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार से पूछा, क्या रेप की कीमत 6,500 रुपये है?

मध्यप्रदेश को निर्भया फंड के तहत केंद्र सरकार से सबसे अधिक रकम मिलती है। लेकिन वो रेप पीड़ितों को केवल 6000-6500 रुपए ही देती है। इसी को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश की सरकार से पूछा है कि क्या रेप की कीमत 6,500 रुपये है? 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-02-16, 13:04 IST

मध्यप्रदेश को निर्भया फंड के तहत केंद्र सरकार से सबसे अधिक रकम मिलती है। लेकिन वो रेप पीड़ितों को केवल 6000-6500 रुपए ही देती है। इसी को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश की सरकार से पूछा है कि क्या रेप की कीमत 6,500 रुपये है? 

क्या आप खैरात बांटते हैं?

बीते गुरुवार को रेप के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के निर्भया फंड के आवंटन के तरीके को लेकर हैरानी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से पूछा है कि यौन उत्पीड़न के पीड़ितों को इतनी कम राशि देकर क्या आप खैरात बांट रहे हैं? 

मध्य प्रदेश को मिलती है सबसे ज्यादा रकम

शीर्ष अदालत ने हैरानी जताई है कि जब मध्यप्रदेश सरकार को केंद्र की तरफ से सबसे ज्यादा निर्भया फंड के तहत पैसे मिलते हैं तो ऐसा रवैया क्यों अपना रही है। केंद्र सरकार ने दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 को हुए गैंगरेप और हत्याकांड की घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकारों और गैर सरकारी संगठनों को आर्थिक मदद देने के लिए 2013 में निर्भया फंड योजना शुरू की थी। 

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न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ मध्य प्रदेश सरकार द्वारा निर्भया फंड को लेकर दिए गए हलफनामे का अवलोकन करते हुए कहा कि आप (मप्र) रेप पीडि़तों को औसतन 6,500 रुपये दे रहे हैं। क्या आप की नजर में रेप की कीमत केवल 6500 रुपए है? पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए सवाल किया है कि मध्य प्रदेश में कुल 1951 रेप पीड़ित हैं और आप प्रत्येक रेप पीड़ितों को 6000-6500 रुपए तक दे रहे हैं। अब क्या इसे सराहनीय कदम कहा जाएगा?

कोर्ट ने हरियाणा को भी फटकारा

कोर्ट ने निर्भया पंड को लेकर हरियाणा सरकार को भी फटकारा है। क्योंकि उसने निर्भया कोष के बारे में विवरण को लेकर अपना कोई भी हलफनामा अब तक दाखिल नहीं किया है। सुनवाई के दौरान जब हरियाणा के वकील ने कहा कि वे अपना हलफनामा दाखिल करेंगे तो पीठ ने कहा कि यदि आपने हलफनामा दाखिल नहीं किया है तो यह बहुत ही स्पष्ट संकेत है कि आपको अपने राज्य की महिलाओं की सेफ्टी की बिल्कुल भी फिक्र नहीं है। 

क्या है हलफनामा

साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते रेप के मामले और निर्भया की मां द्वारा उठाए गए सवालों को देखते हुए प्रत्येक राज्य से चार सप्ताह के अंदर हलफनामा दायर करने को कहा था। इस हलफनामे में बताना होता है कि राज्य निर्भया कोष में से रेप पीड़ितो को मुआवजे के लिए कितना धन दे रही है। अभी 24 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को हलफनामे दायर करने हैं।

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