जानें मई के महीने में कब पड़ेगा प्रदोष व्रत, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

हिन्दुओं में त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। आइए जानें मई के महीने में कब पड़ेगा यह व्रत और किस तरह से शिव पूजन फलदायी होगा।

 

may pradosh puja

हिंदू धर्म के अनुसार हर एक महीने में दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। इन पक्षों में होने वाली प्रत्येक तिथि का अपना अलग महत्व होता है। ऐसी ही तिथियों में से एक है त्रयोदशी तिथि। यह तिथि महीने में दो बार होती है और इसमें शिव पूजन का अपना अलग महत्व होता है। माह में दो बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। दोनों त्रयोदशी तिथियां भगवान् शिव को समर्पित होती हैं और इन्हें प्रदोष के नाम से भी जाता है, हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यंत फलदायी माना जाता है।

इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो भी व्यक्ति इस व्रत का पालन पूरी श्रद्धा भाव से करता है उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। आइए अयोध्या के पंडित राधे शरण शास्त्री जी से जानें मई के महीने में प्रदोष व्रत कब पड़ेगा और इसका क्या महत्व है।

मई प्रदोष प्रदोष तिथि

may pradosh vrat shubh muhurat

  • मई के महीने में प्रदोष व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा, इस बार त्रयोदशी तिथि 13 मई, शुक्रवार को पड़ेगी।
  • त्रयोदशी तिथि आरंभ -शाम 05 बजकर 27 मिनट पर
  • त्रयोदशी तिथि समापन -14 मई, शनिवार, दोपहर 03 बजकर 22 मिनट पर होगा।
  • प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में हो की जाती है और प्रदोष काल 13 मई को प्राप्त हो रहा है इसलिए इसी दिन यह व्रत करना फलदायी होगा।
  • चूंकि इस बार प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ेगा इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा। सनातन धर्म में इस प्रदोष व्रत का और ज्यादा महत्व बताया गया है।

प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त

pradosh vrat puja

मई महीने के प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 13 मई सायं 07 बजकर 04 मिनट से रात्रि 09 बजकर 09 मिनट तक है। इसके अलावा इस दिन शाम करीब पौने 4 बजे से सिद्धि योग लग रहा है।

शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व

हिंदुओं में इस व्रत का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसी मान्यता है कि संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं को जल्द ही संतान को प्राप्ति होती है और यह व्रत बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभदायक माना होता है। इस व्रत के दिन माता पार्वती समेत भगवान शिव का पूजन करना मुख्य रूप से फलदायी होता है और सभी कष्टों से मुक्त करता है।

प्रदोष व्रत में कैसे करें पूजन

puja vidhi pradosh vrat

  • शुक्र प्रदोष व्रत वाले दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
  • स्नान के बाद नए या साफ़ कपड़े पहनें और घर के मंदिर या पूजा स्थान की सफाई करें।
  • पूजा के मंदिर की सफाई के बाद सभी भगवानों को स्नान कराएं और नए वस्त्रों से सुसज्जित करें।
  • शिव पूजन के लिए शिवलिंग को स्नान कराएं या शिव परिवार को स्नान कराएं।
  • इसके बाद भोलेनाथ को याद करके व्रत एवं पूजा का संकल्प करें।
  • फिर शाम के शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में किसी शिव जी की पूजा पार्वती समेत करें।
  • मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें।
  • पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के कच्चे दूध से स्नान कराना फलदायी होता है।
  • पूजा के बाद शिव चालीसा का पाठ करें और शिव जी की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

इस प्रकार प्रदोष व्रत में शिव पूजन करना विशेष रूप से फलदायी होता है और इस व्रत को करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

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Image Credit: freepik and wallpapercave.com

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