हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह तिथि एक महीने में दो बार पड़ती है और पूरे साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं। ऐसा माना जाता है कि साल में पड़ने वाली प्रत्येक एकादशी तिथि अलग मायने रखती है और इनमें भिन्न तरीकों से पूजन का विधान है।
ऐसा माना जाता है कि किसी भी एकादशी तिथि में पूरी श्रद्धा भाव से विष्णु जी का पूजन करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। ऐसी मान्यता है इन सभी एकादशियों में वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व है। इस एकादशी के दिन विष्णु जी के मोहिनी अवतार का आगमन हुआ था इसी वजह से इस दिन विष्णु पूजन का विशेष महत्व है। आइए ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इस साल कब है मोहिनी एकादशी और इस दिन किस तरह से पूजन करना आपके लिए फलदायी हो सकता है।
मोहिनी एकादशी की तिथि
- इस साल मोहिनी एकादशी 12 मई, 2022, गुरूवार के दिन पड़ेगी।
- मोहिनी एकादशी तिथि आरंभ - 11 मई, बुधवार को शाम 7 बजकर 31 मिनट पर
- मोहिनी एकादशी तिथि समापन -12 मई, गुरूवार को शाम 6 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी।
- उदया तिथि के अनुसार एकादशी तिथि 12 मई को ही पड़ेगी।
- मोहिनी एकादशी व्रत के पारण का समय - इस तिथि का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है। जो लोग मोहिनी एकादशी का व्रत 12 मई को रखेंगे वो अगले दिन 13 मई को इस व्रत का पारण करेंगे।
- इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा होती है।
मोहिनी एकादशी की कथा
शास्त्रों के अनुसार मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप का अवतरण हुआ था। इसकी कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से अमृत कलश निकला, तो देवताओं और असुरों में इस बात को लेकर विवाद शुरू हो गया कि राक्षसों और देवताओं के बीच अमृत का कलश कौन लेगा। अमृत कलश के सही विभाजन के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। ऐसे में अमृत कलश को राक्षसों से बचाने और देवताओं में समान रूप से वितरित करने हेतु भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक एक सुंदर स्त्री के रूप अवतार लिया। इसके बाद सभी देवताओं ने विष्णु जी की सहायता से अमृत का सेवन किया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ये शुभ दिन वैशाख शुक्ल पक्ष एकादशी का ही था, इसलिए तभी से इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाने लगा और इस दिन का विशेष महत्व माना जाने लगा।
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मोहिनी एकादशी का महत्व
पुराणों के अनुसार मोहिनी एकादशी का विशेष महत्व है और ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी तिथि के दिन जो व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा पूरी श्रद्धा भाव से करता है उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यता यह भी है कि मोहिनी अवतार की पूजा करने वाला व्यक्ति सभी जगह सफल होता है और उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यही नहीं इस एकादशी व्रत के दिन इसकी कथा सुनने से व्यक्ति को न जाने कितनी समस्याओं से छुटकारा मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कैसे करें इस दिन भगवान विष्णु की पूजा
- यदि आप मोहिनी एकादशी का व्रत करते हैं तो प्रातः जल्दी उठें और स्नान करके साफ़ वस्त्र धारण करें।
- अपने घर के मंदिर को अच्छी तरह से साफ़ करें और मंदिर के सभी भगवानों को स्नान करें और साफ़ वस्त्रों से सुसज्जित करें।
- भगवान् विष्णु की तस्वीर चौकी पर स्थापित करें और उस पर चन्दन से तिलक लगाएं।
- भगवान विष्णु को पीले फूल, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें और तुलसी दल चढ़ाएं।
- ध्यान रखें कि तुलसी में एकादशी के दिन भूलकर भी जल न चढ़ाएं, क्योंकि इस दिन तुलसी माता निर्जला उपवास करती हैं।
- एकादशी व्रत की कथा पढ़ें और धूप-दीप से भगवान् विष्णु की आरती करें।
- व्रत रखने पर पूरे दिन फलाहार का पालन करें और नमक का सेवन न करें।
- शाम के समय विष्णु जी की आरती करें और फलाहर ही ग्रहण करें।
- अगले दिन द्वादशी तिथि के दिन पूरी श्रद्धा भाव से व्रत का पारण करें।
इस प्रकार मोहिनी एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन से सभी बाधाएं लगती हैं और उन्हें सभी पापों से मुक्ति भी मिलती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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