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जानें मई के महीने में कब पड़ रहा है प्रदोष व्रत, क्या है इसका महत्त्व

हिन्दू धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत का विशेष महत्त्व है। आइए जानें मई के महीने में कब पड़ रहा है प्रदोष व्रत, कैसे करें इस दिन शिव पूजन और इसका महत्त्व।   
Editorial
Updated:- 2021-05-07, 17:03 IST

हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्त्व है प्रत्येक माह में दो प्रदोष व्रत होते हैं। एक प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। इस व्रत का हिन्दुओं में विशेष महत्त्व बताया गया है।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख का महीना साल का दूसरा महीना है आमतौर पर यह महीना अप्रैल या मई में शुरू होता है। इस महीने में प्रदोष व्रत का विशेष महत्त्व है। आइए विश्व के जाने माने ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें मई के महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्त्व।

प्रदोष व्रत की तिथि

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मई के महीने में प्रदोष व्रत 8 मई 2021 को, दिन शनिवार को रखा जाएगा। इस बार यह व्रत शनिवार को पड़ने के कारण शनि प्रदोष कहलाएगा। प्रत्येक प्रदोष व्रत का अपना अलग महत्त्व है और प्रत्येक दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत रखा जाता है। जैसे सोमवार को सोम प्रदोष व्रत, बुधवार को भौम प्रदोष, शुक्रवार को शुक्र प्रदोष और शनिवार को शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इस बार मई का पहला प्रदोष व्रत शनिवार को है और शनि प्रदोष में शिव पूजन विशेष फलदायी होता है।

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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

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प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानि संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले आरंभ कर दी जाती है। इस दिन विधि-विधान से व्रत और पूजन करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यतानुसार शुभ मुहूर्त में शिव पूजन, प्रदोष काल में करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। आइए जानें इस महीने में प्रदोष का शुभ मुहूर्त

  • वैशाख त्रयोदशी तिथि आरंभ- 08 मई 2021 शाम 05 बजकर 20 मिनट से
  • वैशाख त्रयोदशी तिथि समाप्त- 09 मई 2021 शाम 07 बजकर 30 मिनट पर
  • पूजा समय- 08 मई शाम 07 बजकर रात 09 बजकर 07 मिनट तक
  • पूजा की पूर्ण अवधि 02 घंटे 07 मिनट रहेगी।

शनि प्रदोष व्रत का महत्व

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प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। वैशाख के महीने में यह तिथि शनिवार को पड़ने के कारण इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। शिव जी को शनिदेव के गुरु के रूप में जाना जाता है। इसलिए शनि प्रदोष में इनकी पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति प्राप्त होती है। शनिवार को प्रदोष व्रत पड़ने पर भगवान शिव और शनिदेव काएक साथ पूजन करने से सभी प्रकार के कष्टो से मुक्ति प्राप्त होती है। नौकरी, व्यवसाय और धन संबंधित समस्याएं दूर होती हैं और घर में सुख समृद्धि आती है। संतान की इच्छा रखने वाली स्त्रियों के लिए ये व्रत विशेष फलदायी होता है।

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कैसे करें पूजन

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  • प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा के स्थान को अच्छी तरह से साफ़ करें और शिव जी की मूर्ति और शिवलिंग को स्नान कराएं।
  • एक चौकी में सफ़ेद कपड़ा बिछाकर शिव मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें।
  • भगवान शिव को चंदन लगाएं और नए वस्त्रों से सुसज्जित करें।
  • शनि प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर फूल, धतूरा और भांग चढ़ाएं या ताजे फलों का भोग अर्पित करें।
  • प्रातः काल का पूजन करने के पश्चात पूरे दिन व्रत का पालन करें और फलाहर ग्रहण करें।
  • जहां तक संभव हो व्रत के दौरान नमक का सेवन न करें।
  • प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त के अनुसार शिव पूजन करें, प्रदोष व्रत की कथा सुनें व पढ़ें।
  • शिव जी की आरती करने के बाद भोग सभी को वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।

इस प्रकार शनि प्रदोष व्रत में शुभ मुहूर्त में शिव पूजन करने से भगवान् शिव की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

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Image Credit: freepik and pintrest

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